मकान खरीदने पर कहां-कहां ठगते हैं बिल्‍डर, वसूलते हैं लाखों का फर्जी चार्ज

1 month ago

नई दिल्‍ली. रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी यानी रेरा के आने के बाद से रियल्टी सेक्टर के निवेशकों के साथ ही एंड यूजर्स के हितों को सुरक्षित रखने में जहां काफी हद तक मदद मिली है. तमाम तरह की गड़बड़ियां करने वाले बिल्डर्स और डेवलपर्स पर इस संस्था ने लगाम भी कसी है. बावजूद इसके अनेक ऐसे बिल्डर्स हैं जो किसी न किसी जरिये अपनी परियोजनाओं में मौजूद संपत्तियों की ग्राहकों से अधिक दाम वसूलने की कोशिश में लगे रहते हैं. कई​ बिल्डर्स ग्राहकों से पीएलसी यानी प्राइम लोकेशन चार्ज वसूलने से नहीं कतरा रहे जबकि रेरा स्पष्ट तौर पर कह चुका है कि बिल्डर्स की तरफ से निर्धारित प्रति वर्ग फुट के दाम में संपत्ति की कुल कीमत समाहित होनी चाहिए और ग्राहक से किसी तरह का कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं लिया जाना चाहिए.

प्रॉपर्टी मामलों के जानकार प्रदीप मिश्रा का कहना है कि ऐसे में जब आप किसी बिल्डर या डेवलपर की परियोजना में मकान बु​क करवा रहे हों तो इन छुपी कीमतों के बारे में भी उससे जरूर बात कर लें. साथ ही सुनिश्चित कर लें कि बुकिंग के समय बताई व निर्धारित की गई कीमत के अलावा वह आपसे किसी अतिरिक्त रकम की मांग नहीं करेगा. वैसे संपत्ति की बुकिंग के बाद बिल्डर किस रूप में आपसे अतिरिक्त पैसों की मांग कर सकता है इसे जान लेते हैं.

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ईडीसी और आईडीसी
ईडीसी का अर्थ एक्सटर्नल डेवलपमेंट चार्ज से है जबकि आईडीसी को इंटरनल डेवलपमेंट चार्ज के तौर पर समझा जा सकता है. कुछ साल पहले तक बिल्डर्स यह रकम बुकिंग के बाद परियोजना के आधा बन जाने या फिर पजेशन के समय मांगते थे. परियोजना के भीतरी और जिस लोकेशन पर परियोजना मौजूद रहती उस क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास को लेकर इस तरह की रकम की मांग की जाती थी. लेकिन कीमतों में हो रही इस हेराफेरी के मद्देनजर रेरा ने कड़ाई बरती और बिल्डरों से ऐसी किसी तरह की रकम न मांगने की बात कही गई. अब बिल्डर्स और डेवलपर्स ने इन चार्जेज को संपत्ति के मूल्य में समाहित करना शुरू कर दिया.

पार्किंग और क्लब मेम्बरशिप
निजी बिल्डर्स की परियोजनाओं में ओपन और कवर्ड दो तरह की पार्किंग के विकल्प मिलते हैं जिसके लिए बिल्डर ग्राहकों से डेढ़ से पांच लाख रुपये तक वसूलते हैं.दूसरी तरफ क्लब सदस्यता को लेकर भी लगभग इसी अनुपात में राशि की मांग की जाती है. हालांकि रेरा की तरफ से स्पष्ट किया गया है कि बिल्डर इन मदों में भी ग्राहकों से पैसा नहीं ले सकता.

एक्स्ट्रा इलेक्ट्रिफिकेशन चार्ज
परियोजना के कॉमन एरिया मसलन पार्क, फुटपाथ, भीतरी सड़कें, सीढ़ियों वगैरह पर अतिरिक्त लाइटें और वायरिंग की जरूरत पड़ जाती है. लेकिन इसका खर्च बिल्डर्स अपनी जेब पर नहीं डालता और इसकी वसूली भी प्रोजेक्ट में घर खरीदने वाले ग्राहकों पर डाल दी जाती है. इस चार्ज की जानकारी भी बिल्डर की तरफ से ग्राहक को संपत्ति की पजेशन के समय दी जाती है. आप अपने अधिकारों को समझते हुए बिल्डर को ही इस अतिरिक्त रकम का भुगतान करने के लिए कह सकते हैं. लेकिन, यह तभी मुमकिन हो सकेगा जब बिल्डर बायर एग्रीमेंट में आपने पहले से लिखवा रखा हो कि बुकिंग के समय संपत्ति की जो कीमत निर्धारित की गई है आप उसे उससे अधिक नहीं देंगे.

लेट पेमेंट पेनाल्टी क्लॉज
मौजूदा समय में होम लोन की सुविधा का लाभ उठाते हुए संपत्तियां खरीदने वाले ग्राहकों की संख्या अधिक है. जहां तक किसी निर्माणाधीन परियोजना की बात है तो ऐसी संपत्तियों पर बैंकों की तरफ से कंस्ट्रक्शन लिंक प्लान के अनुसार लोन सैंक्शन किया जाता है. कंस्ट्रक्शन लिंक का अर्थ यह है कि जैसे-जैसे परियोजना बनती जाएगी, उसी अनुपात में लोन की रकम बिल्डर के पास पहुंचती जाएगी. कई बार बैंक की तरफ से तय तारीख पर लोन की किस्त जारी नहीं हो पाती है, जिसके एवज में बिल्डर, ग्राहकों पर लेट पेमेंट पेनाल्टी लगा देता है. ऐसे चार-पांच मौके हो जाने पर बिल्डर की तरफ से ब्याज लगाकर उस रकम को लाखों रुपयों में पहुंचा दिया जाता है. रकम न चुकाये जाने पर मकान की बुकिंग रद्द करने की धमकी भी दी जाती है. लिहाजा बुकिंग के समय ही बिल्डर बायर एग्रीमेंट में आप अपने हितों के संबंधी तमाम बातें लिखवाने का प्रयास करें, ताकि आप सही दाम पर अच्छी संपत्ति प्राप्त कर सकें.

Tags: Business news, Property, Property dispute

FIRST PUBLISHED :

October 13, 2024, 07:22 IST

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