Last Updated:May 05, 2025, 12:59 IST
Mahabharat Katha: महाभारत में युधिष्ठिर कई बार रोए. युद्ध के दौरान और उससे पहले भी पांडवों और कौरवों के जीवन में कई ऐसे अवसर आए, जब उनके रोने का जिक्र मिलता है. हालांकि पुरुषों में सबसे ज्यादा युधिष्ठिर ही रोए,...और पढ़ें

हाइलाइट्स
युधिष्ठिर पुरुष पात्रों में कई बार महाभारत में रोयेधृतराष्ट्र और गांधारी अपने पुत्रों की मृत्यु पर रोएसबसे हृदयविदारक विलाप कुंती ने कियामहाभारत में युधिष्ठिर ने कई बार रोये. कभी अपनी स्थिति के कारण तो कभी सगे संबंधियों, भाइयों और प्रियजनों की मृत्यु पर. युद्ध के दौरान और उसके बाद उनकी पीड़ा कई बार जाहिर हुई. वैसे केवल युधिष्ठिर ही क्यों महाभारत में तो धृतराष्ट्र, कर्ण, दुर्योधन सभी रोए. लेकिन सबसे ज्यादा दहाड़कर मारकर रोने वाली कुंती थीं. वो जिस तरह रोईं तो हर कोई हिल गया.
पहले ये जानेंगे कि युधिष्ठिर की पीड़ा कब रोने के रूप में बाहर निकली. पांडव जब वनवास काट रहे थे. तो वो कभी कभी अपनी जगह बदलते थे. उस समय पांडव वन में निवास कर रहे थे.
अर्जुन द्वियास्त्र हासिल करने के लिए इंद्र के पास चले गए थे. उनके बगैर भीम युधिष्ठिर से लगातार झगड़ते रहते थे. जरूरत से ज्यादा सहिष्णु और धैर्यवान होने के लिए युधिष्ठिर की आलोचना करते रहते थे. द्रौपदी अपने भाग्य पर रोती रहती थी, जिसने उन सभी को ये दिन दिखाए थे.
तब युधिष्ठिर ऋषि के सामने फफक पड़े
इसी दौरान महान ऋषि वृहदश्व उनसे मिलने आए. युधिष्ठिर जो दुख और आत्मनिंदा से भरे हुए थे, ऋषि के सामने फूट-फूटकर रो पड़े. क्या आपने मुझसे अधिक दुर्भाग्यशाली को देखा या सुना है, कहकर वह सुबकने लगे. खैर ऋषि ने युधिष्ठिर को ढांढस बंधाया. अच्छे दिनों का आश्वासन दिया.
कम से कम तीन बार रोए
हालांकि ये युधिष्ठर का पहली बार रोना नहीं था. वह इसके बाद भी कई बार रोए. कम से कम तीन बार इसका जिक्र महाभारत में मिलता ही है. युद्ध के दौरान जब युधिष्ठिर को लगा कि अर्जुन मारा गया है, तो वह रोने लगे. यह स्थिति तब आई जब उन्होंने श्री कृष्ण की भयंकर शंखध्वनि सुनी, लेकिन गांडीव की टंकार नहीं सुनाई दी, जिससे उन्हें लगा कि अर्जुन की मृत्यु हो गई है.
युद्ध में अपने भाइयों और सगे संबंधियों की मृत्यु से भी युधिष्ठिर को गहरा दुख और आत्मग्लानि हुई. इस पर भी उन्होंने विलाप किया. वे इसके चलते मनोवैज्ञानिक तौर पर बेचैन और व्याकुल हो गए. सपनों में युद्ध के दृश्य देखते थे. इस व्यथा को श्री कृष्ण के सामने भी जाहिर किया.
युद्धस्थल में जब पांडवों की मां कुंती कर्ण के शव को गोद में लेकर दहाड़ मारकर रोईं तो हरकोई विचलित हो गया. (News18 AI)
तब कुंती दहाड़कर मारकर रोईं
जब युद्ध खत्म हुआ. कुंती कर्ण के मृत शरीर को गोद में लेकर रो रही थीं, तब युधिष्ठिर को यह पता चला कि कर्ण भी उनके भाई थे. इस तथ्य को जानकर वो भी भावुक हुए, रोए. गुस्से में आकर उन्होंने महिलाओं को श्राप दिया कि वे अपने मन की बात छिपा नहीं पाएंगी. युद्ध के बाद भी युधिष्ठिर ने अपने परिवार और संबंधियों के विनाश पर गहरा शोक व्यक्त किया, जो कई बार उनके रोने और विलाप के रूप में सामने आया.
कहा जाता है कि सबसे जबरदस्त विलाप कुंती ने किया था. वह कर्ण की मृत्यु के बाद उसके शव को गोद में लेकर दहाड़ें मारकर रोने लगीं. ये महाभारत का बहुत भावुक क्षण था. कुंती के विलाप को देखकर युधिष्ठिर भी भावुक हुए थे. हर कोई इसलिए भी तब हैरान था कि कुंती भला कर्ण के लिए क्यों इतना विलाप कर रही हैं. बाद में पता लगा कि कर्ण भी कुंती के बेटे थे.
महाभारत में द्रौपदी कई बार रोईं. कभी सभा में सबसे सामने अपने अपमान पर तो कभी पुत्रों की मृत्यु पर (News18 AI)
अर्जुन क्यों रोए थे
महाभारत के पुरुष पात्रों में कई बार भावुक और रोने के प्रसंग आते हैं. अर्जुन ने तब विलाप किया और बहुत दुखी हो गए जबकि अभिमन्यु की मृत्यु के बारे में जाना. अर्जुन तब भी फफकर रो पड़े जब उन्होंने महाभारत युद्ध की शुरुआत अपने सगे संबंधियों को सामने देखा. तब वह श्रीकृष्ण के सामने भावुक होकर रो पड़े. युद्ध करने से मना कर दिया.
भीम की आंखों में आए आंसू
भीम की आंखों में तब आंसू आ गये जब द्रौपदी के चीरहरण के समय सबके सामने पांडवों को अपमानित होना पड़ा, तब भीम की आंखों में भी आंसू आ गए थे.
महाभारत युद्ध के दौरान धृतराष्ट्र पुत्रों की मृत्यु के समाचार पर कई बार रोए. गांधारी भी दुर्योधन व अन्य पुत्रों की मृत्यु पर रोईं. जब उन्होंने श्रीकृष्ण को श्राप दिया, उससे पहले भी युद्धस्थल में जाकर वह रोईं थीं. अपने भाइयों और मित्रों की मृत्यु के बाद दुर्योधन ने भी युद्धभूमि में आंसू बहाए.
कर्ण ये रहस्य पता लगने पर रोए
कर्ण तब श्रीकृष्ण के सामने रो पड़े, जब उन्होंने कर्ण को पहली बार ये बताया कि वो पांडवों के भाई और कुंती के सबसे बड़े पुत्र हैं. ये रहस्य अब तक छिपा हुआ था लेकिन जब ये पता लगा तो कर्ण ने भावनात्मक तौर पर खुद को ऐसी स्थिति में पाया कि वो रोने लगे.
सबसे ज्यादा बार द्रौपदी रोईं
वैसे महाभारत के महिला पात्रों में सबसे ज्यादा रोने वालों में द्रौपदी हैं. वह पहली बार तब रोईं जब युधिष्ठर ने उन्हें दांव पर लगाया. सभा में उनका सबके सामने अपमान हुआ. तब भी वह फफक उठीं जब अभिमन्यु की मृत्यु की सूचना मिली. अपने पाचों पुत्रों (उपपांडवों) की अश्वतथामा द्वारा हत्या के बाद भी वह खूब रोईं. उनके आंसू थमने का नाम नहीं लेते थे.
Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh