DNA: जंग में इजरायल नहीं अकेला, मुस्लिम देश होकर भी ईरान को भारत के 'दोस्त' ने सुना दी खरी-खोटी

20 hours ago

पश्चिम एशिया में इजरायल की तरह मिडिल ईस्ट में डॉनल्ड ट्रंप का एक और महत्वपूर्ण सहयोगी है. ये देश है सऊदी अरब, जिसने इजरायल और ईरान के टकराव पर अपनी सख्त प्रतिक्रिया दी है. सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान ने इजरायल और ईरान के लिए क्या पैगाम भेजा है, ये जानना जरूरी है.

सऊदी अरब का हल्ला बोल

सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि इस्लामिक देश ईरान पर बिना उकसावे के हुए हमले की हम कड़ी निंदा करते हैं. इजरायल की ये एकतरफा कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है और इससे क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता को खतरा पैदा हुआ है. 

सऊदी अरब के इस संदेश में भारी भरकम शब्द तो इस्तेमाल किए गए लेकिन ये शब्द इजरायल की आलोचना से ज्यादा ईरान के ऊपर तंज नजर आते हैं. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं ये जानने और समझने के लिए आपको सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान का ईरान पर वो बयान जरूर जानना चाहिए जो 7 साल पहले दिया गया था.

हिटलर से की थी तुलना

एक इंटरव्यू में मोहम्मद बिन सलमान ने ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अल खामिनेई की तुलना हिटलर से की थी और कहा था कि ईरान का सिस्टम बिल्कुल नाजी जर्मनी जैसा हो चुका है. मोहम्मद बिन सलमान ने ईरान पर एक और आरोप लगाते हुए कहा था कि मिडिल ईस्ट में ईरान वही करना चाहता है जो नाजी जर्मनी ने दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान यूरोप में किया था.

ईरान और सऊदी अरब के रिश्ते पारंपरिक तौर पर अच्छे नहीं रहे हैं. ऊपरी तौर पर इस तनातनी को शिया बहुल और सुन्नी बहुल देशों के बीच फर्क के तौर पर देखा जा सकता है. लेकिन असली वजह है कि दोनों ही देश मिडिल ईस्ट में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहते है और जब यमन के गृहयुद्ध में ईरान ने शिया हूती आतंकियों का समर्थन किया तो इस कदम ने दोनों देशों के बीच फासले काफी बढ़ा दिए थे.

सऊदी अरब पर भी उठे सवाल

संदेशों की इस कड़ी में एक सवाल उस संदेश पर भी उठाया जा रहा है, जो कट्टरपंथियों ने सऊदी अरब को दिया था. DNA में हमने आपको बताया था कि इस्लाम के पवित्र स्थल मक्का की सुरक्षा के लिए सऊदी अरब ने जब अमेरिकी पैट्रियट डिफेंस सिस्टम को तैनात किया था. तब कट्टरपंथियों ने सऊदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा था कि इस्लाम के पवित्र स्थल पर तुर्की या ईरान जैसे इस्लामिक देश का ही डिफेंस सिस्टम तैनात करना चाहिए ना कि गैर इस्लामिक देश का. इसी संदेश को लेकर अब सोशल मीडिया पर तंज कसे जा रहे हैं.

कुछ यूजर्स पूछ रहे हैं कि जिस इस्लामिक देश का एयर डिफेंस सिस्टम अपनी रक्षा तक तो कर नहीं पाया, वो मक्का की सुरक्षा कैसे करेगा तो कुछ लोग ये भी कह रहे हैं कि कट्टरपंथी विचार सिर्फ भाषणों में ही मजबूत दिखते हैं, युद्ध के मैदान में वो कमजोर साबित होते हैं.

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