नई दिल्ली. प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा गिरफ्तार पत्रकार महेश लांगा की अंतरिम जमानत याचिका को लेकर सोमवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और कपिल सिब्बल के बीच तीखी बहस देखने को मिली. महेश लांग के अरेस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता लगातार दलीलें रख रहे थे और इस बीच मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत ने कहा कि हम अंतरिम जमानत देते हैं.
असल में क्या है ये पूरा मामला?
पत्रकार महेश लांगा मनी लॉन्ड्रिंग केस में जेल में हैं. उनके खिलाफ अहमदाबाद पुलिस की दर्ज एफआईआर के आधार पर ईडी ने कार्रवाई की है. महेश लांगा पर धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात, कथित वसूली और करोड़ों रुपये की हेराफेरी का आरोप है. लांगा को पहले अक्टूबर 2024 में जीएसटी धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया गया था, जबकि 25 फरवरी 2025 को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तारी दिखाई.
सुप्रीम कोर्ट में आखिर हुआ क्या
एसजी तुषार मेहता: एक पत्रकार को पैसे वसूलते हुए पाया गया है. हम एक अतिरिक्त काउंटर दाखिल करना चाहते हैं. वे कहते हैं कि अगर पैसे नहीं दिए तो कुछ छाप देंगे.
सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल: मैंने उनके जवाब पर काउंटर दाखिल किया है. अब वे एक और अतिरिक्त काउंटर दाखिल करना चाहते हैं. आपको क्या अधिकार है? वे कहते हैं 68 करोड़ की धोखाधड़ी है, जबकि यह 68 लाख भी नहीं है.
एसजी मेहता: यहां पत्रकार के खिलाफ 9 गवाह हैं.
सीजेआई कांत: हम अंतरिम जमानत देते हैं.
एसजी: मुझे दलील रखने दें…
सीजेआई: निम्नलिखित शर्तों पर अंतरिम जमानत दी जाए:-
– पीएमएलए कोर्ट की संतुष्टि के अनुसार, जमानती बॉन्ड जमा करें. – विशेष अदालत रोजाना मामले की सुनवाई करे और 9 गवाहों के बयान दर्ज करे. – ट्रायल में पूरी तरह सहयोग करें और यह कहकर स्थगन की मांग न करें कि क्वैशिंग की अर्जी लगी है. – याचिकाकर्ता अपने खिलाफ चल रहे आरोपों पर कोई लेख या रिपोर्ट प्रकाशित या लिखित रूप में न दें. – ईडी उपरोक्त शर्तों के पालन पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे. – यह मामला 6 जनवरी 2026 को लिस्ट किया जाए. एसजी: पत्रकार पैसे वसूल रहे हैं!सिब्बल: उद्योगपति पत्रकारों को निशाना बना रहे हैं!
सीजेआई: हम ट्रायल पूरा होने दे रहे हैं. कोई देरी की रणनीति नहीं होनी चाहिए.
एसजी: हम यहां सिर्फ पेशेवर हैं, कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है.
सिब्बल: क्या आप कह रहे हैं कि हम पेशेवर नहीं हैं?
सीजेआई: वह अपनी पत्रकार की स्थिति का दुरुपयोग न करें आदि.
सिब्बल: तब जमानत रद्द की जा सकती है.
पिछली सुनवाई में क्या हुआ था?
सिब्बल ने दलील दी थी कि एक पत्रकार के खिलाफ छह मामले दर्ज हैं.
ईडी के वकील ने कहा, पत्रकार पर वसूली का आरोप है और यह कहते हुए थोड़ी मोहलत मांगी कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता फिलहाल उपलब्ध नहीं हैं.
लांगा की जमानत याचिका पर नोटिस जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बेंच से पूछा था कि ये किस तरह के पत्रकार हैं? पीठ ने सिब्बल से कहा था कि सभी सम्मान के साथ, कुछ बहुत अच्छे पत्रकार भी होते हैं. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो स्कूटर पर घूमते हुए खुद को ‘पत्रकार’ बताते हैं और असल में क्या करते हैं, सबको पता है.
इस पर सिब्बल ने जवाब दिया कि ये सब आरोप हैं. उन्होंने कहा था कि एक एफआईआर में उन्हें अग्रिम जमानत मिलती है, फिर दूसरी एफआईआर दर्ज होती है और उसमें भी अग्रिम जमानत मिल जाती है, लेकिन अब तीसरी एफआईआर में उन पर आयकर चोरी का मामला दर्ज किया गया है. उनके खिलाफ और भी बातें हैं. उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले की एक पृष्ठभूमि भी है.
31 जुलाई को गुजरात हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लांगा की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि अगर उन्हें जमानत दी गई तो अभियोजन पक्ष के मामले को नुकसान पहुंचेगा. 25 फरवरी को ईडी ने कहा था कि उसने लांगा को एक कथित वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया है. उन्हें पहली बार अक्टूबर 2024 में जीएसटी धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया गया था. लांगा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला अहमदाबाद पुलिस द्वारा दर्ज दो एफआईआर पर आधारित है, जिनमें धोखाधड़ी, आपराधिक गबन, आपराधिक विश्वासघात, धोखा देने और कुछ लोगों को लाखों रुपये का नुकसान पहुंचाने के आरोप हैं.

3 hours ago
