Last Updated:November 04, 2025, 23:19 IST
ब्रह्मोस मिसाइल की इंडोनेशिया को 3750 करोड़ रुपये में बिक्री अंतिम चरण में है, जिससे भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी और रणनीतिक आत्मनिर्भरता को मजबूती मिलेगी.भारत की घातक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस अब इंडोनेशिया की सेना में भी शामिल होने जा रही है. इंडोनेशिया, फिलिपींस के बाद दूसरा ASEAN देश बन जाएगा जो ब्रह्मोस खरीदेगा. यह मिसाइल मच 2.8 की रफ्तार से 290 किमी दूर तक वार कर सकती है.
ब्रह्मोस मिसाइल की डिमांड इंडोनेशिया से आई है. भारत की सबसे घातक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस एक बार फिर सुर्खियों में है. दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत की रक्षा कूटनीति का परचम लहराते हुए इंडोनेशिया अब इस मिसाइल सिस्टम को खरीदने वाला दूसरा ASEAN देश बनने जा रहा है. बताया जा रहा है कि करीब 450 मिलियन डॉलर यानी लगभग 3,750 करोड़ रुपये का यह सौदा फाइनल चरण में है. इससे पहले फिलिपींस ने साल 2022 में ब्रह्मोस खरीदने का समझौता किया था.
दरअसल, ब्रह्मोस भारत-पाकिस्तान के बीच मई 7–10 के बीच संघर्ष के दौरान चर्चा में रही. इस मिसाइल ने अपने सटीक वार और तेज रफ्तार से पाकिस्तानी वायुसेना के हवाई अड्डों ठिकानों को धुआं-धुआं कर दिया था. पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर के पास भी ब्रह्मोस के वार की कोई काट नहीं थी. यही वजह है कि भारत ने जैसे ही युद्ध में ब्रह्मोस मिसाइल चालाई, अगले ही दिन पाकिस्तान की तरफ से सीजफायर की दरख्वास्त आ गई.
इस घटना के बाद कई देशों ने इस सिस्टम में दिलचस्पी दिखाई, लेकिन इंडोनेशिया की डील को एशिया-पैसिफिक क्षेत्र के लिए गेम-चेंजर मानी जा रही है. ब्रह्मोस की खासियत यह है कि यह मच 2.8 (ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना) की रफ्तार से उड़ती है और 290 किमी तक के लक्ष्य को सटीकता से भेद सकती है. इसे जमीन, हवा, पानी हर प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है. यही वजह है कि इसे दुनिया की सबसे बहुमुखी और घातक मिसाइलों में गिना जाता है.
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह डील भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी को और मजबूती देगी. इंडोनेशिया न केवल हिंद महासागर में भारत का रणनीतिक साझेदार है बल्कि उसके नौसैनिक ठिकाने दक्षिण चीन सागर के पास स्थित हैं. ऐसे में ब्रह्मोस की तैनाती इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच शक्ति संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभा सकती है. भारत के लिए यह सौदा सिर्फ रक्षा निर्यात का नहीं बल्कि रणनीतिक आत्मनिर्भरता और वैश्विक भरोसे की जीत है.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...
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First Published :
November 04, 2025, 23:19 IST

3 hours ago
