यहां पर पार्क, पेड़-पौधे नहीं डस्टबिन गोद लेते हैं लोग, गर्व से लिखवाया नाम

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Last Updated:December 15, 2025, 20:08 IST

मिजोरम के आइजॉल में 'डस्टबिन गोद लो' योजना से लोग डस्टबिन गोद ले रहे हैं, असम के नॉर्थ लखीमपुर में कचरा प्रबंधन मॉडल बना और अरुणाचल के रोइंग में 'ग्रीन रोइंग' समूह ने बदलाव लाया.

यहां पर पार्क, पेड़-पौधे नहीं डस्टबिन गोद लेते हैं लोग, गर्व से लिखवाया नामयहां पर कचरा प्रबंधन बना गया है उदाहरण.

नई दिल्‍ली. आमतौर पर लोग पार्क, पेड़ पौधों को गोद लेते हैं और उस पर अपना नाम लिखवा देते हैं, पर मिजोरम में इससे अलग ही काम चल रहा है. अब तक 75 जगहों पर 95 डस्टबिन गोद लिए गए हैं. कई लोगों ने साइनबोर्ड लगाए, जगह सुंदर बनाई और जागरूकता फैलाई. यही वजह है कि पूर्वोत्तर भारत की ऊंची पहाड़ियों और घाटियों में कचरा प्रबंधन को लेकर स्‍थानीय लोग नई कहानी लिख रहे हैं.

मिजोरम में साझा जिम्मेदारी, साफ सड़कें आइजॉल ने सफाई अभियान तेज किया है – ‘डस्टबिन गोद लो’ योजना शुरू की. 5 जून 2025, विश्व पर्यावरण दिवस पर शुरू हुई यह योजना शहर के ठोस कचरा प्रबंधन योजना का हिस्सा है. व्यक्ति, दुकानदार, संस्थाएं, एनजीओ और युवा समूह सार्वजनिक डस्टबिन गोद लेते हैं और कचरा उठाते हैं उसे साफ रखते हैं.

पूर्वोत्तर भारत दिखा रहा है कि कचरे को अब छिपाया नहीं, बल्कि दोबारा उपयोग, रिकवरी और प्रकृति को बचाने का काम किया जा रहा है. असम में नॉर्थ लखीमपुर की हरी क्रांतिअसम का नॉर्थ लखीमपुर शहर स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के तहत वैज्ञानिक कचरा प्रबंधन का बेहतरीन उदाहरण बन गया है. यहां चंदमारी डंपसाइट से 79,000 मीट्रिक टन पुराना कचरा हटाया गया. इससे 16 बीघा जमीन खाली हुई और अब 10 बीघा पर शहरी जंगल और आराम क्षेत्र बनाया जा रहा है.

यहां पर रोजाना 36-42 टन कचरा पैदा होता है, जिसे अब आधुनिक तरीके से निपटान किया जाता है. जपीसाजिया असम का पहला एकीकृत केंद्र है, जहां मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) और कचरा-से-खाद प्लांट एक साथ काम करते हैं. एमआरएफ 100 टन प्रतिदिन की क्षमता वाला है और रिसाइक्लिंग सामग्री को फिर से अर्थव्यवस्था में लाता है. खाद इकाई रोज 25 टन गीला कचरा किसानों के लिए जैविक खाद में बदलती है. पुराने कचरे की सफाई, आधुनिक सुविधाएं और पर्यावरण बहाली ने नॉर्थ लखीमपुर को असम में विकास का मॉडल बना दिया है.

अरुणाचल में समुदाय की पहल अरुणाचल प्रदेश के रोइंग में कचरा संकट को समुदाय ने सफलता में बदला. 2022 में रोइंग नगर परिषद ने ‘ग्रीन रोइंग’ स्वयं-सहायता समूह के साथ साझेदारी की.12 सदस्यीय टीम घर-घर कचरा इकट्ठा करती है. प्लास्टिक वाले डंपिंग स्थलों को घेरा गया. रिसाइक्लिंग सामग्री बेचकर समूह की महिलाएं कमाई करती हैं. रोइंग की सबसे खूबसूरत मिसाल है ‘वेस्ट टू वंडर’ बटरफ्लाई पार्क, जो 10,000 प्लास्टिक बोतलों से बना है.

Location :

New Delhi,New Delhi,Delhi

First Published :

December 15, 2025, 20:08 IST

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