Ratan Tata : दिग्गज उद्योगपति और टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा एक सफल व्यवसायी होने के साथ सबसे बड़े दानवीर भी थे. उन्होंने अमेरिका की मशहूर कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के कॉर्नेल कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग से से बीएससी आर्किटेक्चर की डिग्री ली थी. जिसके बाद उन्होंने लॉस ऐंजिल्स में जोन्स एंड एमोंस के साथ कुछ समय तक काम किया. इसके बाद वह साल 1962 में भारत लौट आए.
टाटा ने एक इंटरव्यू के दौरान एक किस्सा शेयर किया था. जो यूं था कि उन्हें IBM में नौकरी मिल गई थी. लेकिन उनके चाचा मेंटर जेआरडी टाटा इस फैसले से खुश नहीं थे. उन्होंने रतन टाटा से अपना बायोडाटा शेयर करने और टाटा ग्रुप में काम करने के लिए कहा. लेकिन टाटा के पास कोई बायोडाटा नहीं था.
रतन टाटा ने ऐसे बनाया पहला रिज्यूमे
रतन टाटा ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह अपनी दादी की बिगड़ती सेहत जानने के बाद 1962 में अमेरिका से भारत लौट आए थे और अब उनके लिए जिम्मेदारियां उठाने का समय आ गया था. भारत आकर उन्हें आईबीएम में नौकरी का प्रस्ताव मिला. रतन टाटा इसके आगे बताते हैं, ”जेआरडी टाटा ने मुझे एक दिन कॉल किया और कहा कि तुम भारत में रहकर आईबीएम के लिए काम नहीं कर सकते. मैं उस वक्त आईबीएम के दफ्तर में था और मुझे याद है कि उन्होंने मुझसे रिज्यूमे मांगा था, जो कि मेरे पास नहीं था. दफ्तर में इलेक्ट्रॉनिक टाइपराइटर थे, इसलिए मैंने एक शाम बैठकर रिज्यूमे टाइप किया और जेआरडी टाटा को भेज दिया. इस तरह उन्हें टाटा समूह में पहली नौकरी मिली.
टाटा इंडस्ट्रीज में मिली पहली जॉब
जेआरडी टाटा को रिज्यूमे भेजने के बाद रतन टाटा को पहली जॉब टाटा समूह की प्रमोटर कंपनी टाटा इंडस्ट्रीज में मिली. इसके बाद उन्होंने साल 1963 में टिस्को (जो अब टाटा स्टील है) में शामिल होने से पहले टेल्को (जो अब टाटा मोटर्स) में छह महीने बिताए. इस तरह रतन टाटा के लिए अवसरों के दरवाजे खुलते गए और उन्होंने टाटा समूह को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया.
जमशेदपुर स्टील फैक्ट्री में की अपरेंटिस
रिपोर्ट्स के अनुसार, रतन टाटा ने टाटा समूह में अपने काम की शुरुआत जमशेदपुर स्टील फैक्ट्री से की थी. वह यहां छह साल तक रहे. शुरुआत में उन्होंने एक शॉपफ़्लोर मज़दूर की तरह नीला ओवरऑल पहनकर अप्रेंटिसशिप की.
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FIRST PUBLISHED :
October 10, 2024, 07:27 IST