Last Updated:June 09, 2025, 15:58 IST
Rajasthan Gurjar Reservation Andolan : राजस्थान में एक बार फिर से गूंजी गुर्जर आरक्षण आंदोलन की कहानी करीब दो दशक पुरानी है. इन दो दशकों में एक दशक तक वसुंधरा राजे और एक दशक तक अशोक गहलोत सीएम रहे. जानें दोनों ...और पढ़ें

वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत ने वार्ता के लिए अधिकतर गुर्जर जनप्रतिनिधियों को ही हमेशा आगे रखा.
हाइलाइट्स
गुर्जर आरक्षण आंदोलन 2006 से राजस्थान में जारी है.वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत ने अलग-अलग रणनीतियों से आंदोलन संभाला.गहलोत ने गुर्जर नेताओं को वार्ता के लिए आगे किया.जयपुर. राजस्थान में गुर्जर आंदोलन की धमक एक बार फिर से सुनाई देने लगी है. प्रदेश में साल 2006 से शुरू हुआ गुर्जर आरक्षण आंदोलन अब तक कई पड़ावों से गुजर चुका है. साल 2006 से लेकर अब तक सूबे में सत्तारुढ़ रही बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों को गुर्जर आंदोलनों से रू-ब-रू होना पड़ा है. इस दौरान राजस्थान की राजनीति के कई चेहरे ऐसे रहे हैं जो सरकार में रहते हुए गुर्जर प्रतिनिधिमंडलों से वार्ता-दर-वार्ता करते रहे हैं. गुर्जर आरक्षण आंदोलन के करीब दो दशक के समय में आंदोलनकारी गुर्जर समुदाय से बातचीत करने के लिए हर बार सरकार ने अधिकतर गुर्जर जनप्रतनिधियों और मंत्रियों को ही आगे किया. यह बात दीगर है कि उनके आजू-बाजू में सरकार ने कई दिग्गज नेताओं और अधिकारियों को खड़ा रखा है. मौजूदा सरकार में यह जिम्मा गुर्जर समुदाय से आने वाले गृह राज्यमंत्री जवाहर सिंह बेढम संभाले हुए हैं.
बीजेपी की वसुंधरा राजे के पहले कार्यकाल के समय (2003-08) में गुर्जर आंदोलन सबसे ज्यादा उफान पर आया था. उस समय राजे ने गुर्जर आरक्षण आंदोलन से निपटने के अपने विश्वस्त सिपाहसालर राजेन्द्र राठौड़ की अगुवाई में पंचायती राज मंत्री गुर्जर नेता कालूलाल गुर्जर, दिगम्बर सिंह और सांवरलाल जाट को आगे किया था. ये प्रतिनिधि मंडल पटरी पर डटे गुर्जरों से वार्ता करता रहा था.
गहलोत ने विश्वेन्द्र सिंह को आगे किया
इस दौरान गुर्जर आरक्षण आंदोलन में हुई गुर्जर समाज के कई लोगों की मौत के बाद बीजेपी सत्ता से बेदखल हो गई और कांग्रेस राज आ गया. अशोक गहलोत ने दूसरी बार सूबे की कमान संभाली. 2008 से 2013 तक गहलोत के इस राज में भी गुर्जर आंदोलन की छाया पड़ती रही. गहलोत राज में गुर्जर समाज आंदोलन की मांग को लेकर फिर जब-जब रेलवे ट्रैक पर आया तब-तब तत्ककालीन सीएम गहलोत ने पूर्वी राजस्थान की गुर्जर पट्टी के दिग्गज जाट नेता विश्वेन्द्र सिंह को आगे किया. उनके साथ स्थानीय गुर्जर नेताओं को आगे रखा गया ताकि आंदोलन के ताप को कम किया जा सके.
राजे ने फिर से बनाई ये टीम
गहलोत ने राजस्थान की सत्ता के नेचर के अनुरुप 2013 में जनता ने फिर तख्ता पलट किया. वसुंधरा राजे का राज फिर लौटा. गुर्जर समुदाय फिर भी शांत नहीं हुआ और अपनी आवाज को बुलंद करने के लिए बार-बार उग्र होता रहा. इस बार भी राजे ने अपनी पुरानी टीम राजेन्द्र राठौड़ और कालूलाल गुर्जर के साथ मुस्लिम समुदाय के कद्दावर नेता युनूस खान को उनके साथ जोड़ा. गुर्जर आरक्षण की अगुवाई करने वाले कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के साथ सुलह की बात आगे बढ़ाई. फिर बैंसला को लोकसभा चुनाव में उतार कर गुर्जर समाज का गुस्सा शांत करने का प्रयास किया. यह अलग बात है कि बैंसला इतने बड़े आंदोलन की अगुवाई करने के बाद भी हार गए.
गहलोत ने चांदना को किया आगे
साल 2018 में गहलोत ने तीसरी बार राजस्थान की कमान संभाली. लेकिन गुर्जर आंदोलन की तब भी ठंडी नहीं हुई. बैंसला के तेवर उग्र होने लगे तो गहलोत ने इस बार अपने गुर्जर मंत्री अशोक चांदना को आगे किया. उनके साथ अपने विश्वसनीय आईएएस नीरज के पवन और आईपीएस सीबी शर्मा समेत स्थानीय गुर्जर नेताओं को आगे कर कर्नल बैंसला से बातचीत का सिलसिला बढ़ाया. इस पूरे समय में गुर्जर समाज की कुछ मांगे पूरी हुई कुछ अधूरी रही. मामला सरकार के साथ-साथ कोर्ट में भी चलता रहा. लेकिन वह अपने मुकाम पर नहीं पहुंच पाया. इस बीच बैंसला का निधन हो गया.
भजनलाल सरकार ने जवाहर सिंह सौंपी कमान
भजनलाल सरकार ने जराजस्थान ने अपनी पंरपरा के अनुसार 2023 में फिर गहलोत को सत्ता से बाहर कर दिया और बीजेपी को सरकार चलाने का मौका दिया. लेकिन इससे पहले बीजेपी ने गुर्जर समाज से संतुलन साधते हुए बैंसला के बेटे विजय बैंसला को विधानसभा चुनाव में उतारकर गुर्जर समुदाय का रुख अपनी तरफ मोड़ने का प्रयास किया. बीजेपी जरुर सत्ता में आ गई लेकिन विजय बैंसला चुनाव हार गए. सरकार का गठन होने के बाद बीजेपी ने गुर्जर समुदाय के दूसरे नेता जवाहर सिंह बेढम को राज्यमंत्री बनाया. अब जब गुर्जर फिर ट्रेन पर कब्जा जमाने आए तो भजनलाल सरकार ने वार्ता के लिए बेढम को आगे किया है.
संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.
संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.
Location :
Jaipur,Jaipur,Rajasthan