Last Updated:August 14, 2025, 07:14 IST
Raju Pal Murder Story: बसपा विधायक राजू पाल सिंह की हत्या को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. मौजूदा एमएलए को दौड़ा-दौड़ा कर गोली मारी गई, पर बचाने वाला कोई नहीं था. अब उन्हीं राजू पाल की पत्नी और सपा विधायक पूजा...और पढ़ें

Raju Pal Murder Story: प्रयागराज (तब इलाहाबाद) की राजनीति में साल 2005 का साल एक ऐसे मोड़ के रूप में दर्ज है, जिसने न केवल तत्कालीन सत्ता समीकरण बदल दिए, बल्कि आने वाले वर्षों में कई खूनी वारदात के लिए जमीन भी तैयार कर दी थी. यही वह साल था जब बहुजन समाज पार्टी (BSP) के उभरते नेता राजू पाल सिंह का दिनदहाड़े क़त्ल हुआ और इस वारदात के तार सीधे अतीक अहमद और उनके परिवार से जुड़े. अप्रैल 2023 में अतीक अहमद की उस समय हत्या कर दी गई, जब उन्हें मेडिकल चेकअप के लिए ले जाया जा रहा था. राजू पाल की पत्नी और सपा विधायक पूजा पाल ने योगी आदित्यनाथ सरकार की तारीफ करते हुए उन्हें थैंक यू कहा है.
साल 2002 में राजू पाल ने पहली बार प्रयागराज पश्चिम विधानसभा सीट से अतीक अहमद के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए. साल 2004 में अतीक लोकसभा के फूलपुर सीट से सांसद बने और विधानसभा सीट अपने भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ़ के लिए छोड़ दी. इस उपचुनाव में मुलायम सिंह यादव के करीबी अतीक के सामने मायावती ने अतीक के कट्टर विरोधी राजू पाल को टिकट दिया. नतीजा चौंकाने वाला रहा था. राजू पाल ने 4,818 वोटों के मामूली अंतर से खालिद अजीम को हरा दिया. यह हार अतीक परिवार के लिए बड़ी चोट थी, क्योंकि 1989 से इस सीट पर अतीक का दबदबा था.
25 जनवरी 2005: दिनदहाड़े गोलियों की बौछार
चुनाव जीतने के बाद राजू पाल पर पहले भी दो बार जानलेवा हमला हो चुका था. 25 जनवरी 2005 को वह स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल से लौट रहे थे. अस्पताल से निकलते ही दो कारें उनका पीछा करने लगीं. राजू पाल अपनी टोयोटा क्वालिस खुद चला रहे थे, पीछे उनकी स्कॉर्पियो में साथी थे. रास्ते में उन्होंने अपने समर्थक सादिक की बहन रुक्साना को भी लिफ्ट दी थी. जैसे ही काफिला सुलैम सराय (नेहरू पार्क) के पास पहुंचा, तो हमलावरों की मारुति वैन ने उनकी गाड़ी रोक दी. करीब 25 शार्पशूटरों ने अत्याधुनिक हथियारों से ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. इस हमले में राजू पाल, उनके साथी संदीप यादव और देवी लाल मौके पर ही मारे गए.
FIR में अतीक और अशरफ के नाम
हत्या के बाद राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने अतीक अहमद, उनके भाई मोहम्मद अशरफ़ और गिरोह के अन्य सदस्यों (फरहान, आबिद, रंजीत पाल, गुफ़रान समेत नौ लोग) के खिलाफ़ केस दर्ज कराया. यह मामला प्रयागराज की राजनीति का सबसे चर्चित और हाई-प्रोफ़ाइल केस बन गया.
सीट पर फिर अतीक परिवार की वापसी
राजू पाल की मौत के बाद हुए उपचुनाव में खालिद अजीम ने जीत दर्ज कर सीट वापस पा ली. मायावती ने पूजा पाल को टिकट दिया, लेकिन वह हार गईं. हालांकि, 2007 में पूजा पाल ने उसी सीट से जीत हासिल की और 2012 में अतीक अहमद को भी हराया. साल 2017 में वह बीजेपी के सिद्धार्थ नाथ सिंह से हार गईं, मगर 2022 में समाजवादी पार्टी से चायल सीट जीतकर फिर विधानसभा पहुंचीं.
गवाह उमेश पाल की हत्या
साल 2023 में एक और बड़ा कांड हुआ. राजू पाल हत्याकांड में नई कड़ी तब जुड़ी जब इस कांड के गवाह उमेश पाल की हत्या कर दी गई. दिलचस्प यह है कि 2005 से 2016 तक पूजा पाल और उमेश पाल के रिश्ते बेहद ठंडे थे. कभी अतीक अहमद के नज़दीकी माने जाने वाले उमेश ने एक समय अदालत में उनके पक्ष में बयान भी दिया था. साल 2016 में सुलह की कोशिश हुई, लेकिन पूजा का गुस्सा पूरी तरह ठंडा नहीं हुआ. यहां तक कि उमेश की पत्नी को उन्होंने उनके दोहरी नीति पर फटकार तक लगाई थी. उमेश की हत्या के बाद अंतिम संस्कार में भी पूजा और उमेश के परिवार के बीच तीखी नोकझोंक हुई.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...
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Location :
Lucknow,Uttar Pradesh
First Published :
August 14, 2025, 07:14 IST
राजू पाल सिंह: वो विधायक, जिनका दिनदहाड़े हुआ मर्डर, 5KM तक दौड़ाकर मारी गोली