राज्य कानून से चलेगा, धर्म से नहीं, ह‍िन्‍दुओं की रक्षा से जुड़े सवाल पर भागवत

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Last Updated:December 21, 2025, 16:18 IST

क्या भारत एक सेक्युलर राष्ट्र है और हिंदुत्व की असली परिभाषा क्या है? RSS चीफ मोहन भागवत ने कहा क‍ि राज्य धर्म से नहीं, बल्कि कानून से चलता है और सेक्युलरिज्म शासन की ही एक पद्धति है. उन्होंने युवाओं को एक बड़ा संदेश देते हुए हिंदुत्व को पूजा-पाठ और कर्मकांडों से बाहर निकाला है. संघ प्रमुख ने कहा कि मंदिर जाना ही हिंदू होने की अनिवार्य शर्त नहीं है, बल्कि आपका आचरणही आपका असली धर्म है.

राज्य कानून से चलेगा, धर्म से नहीं, ह‍िन्‍दुओं की रक्षा से जुड़े सवाल पर भागवतमोहन भागवत.

ह‍िन्‍दुत्‍व और सेक्‍युलर‍िज्‍म पर आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने दो टूक कहा क‍ि ‘राज्य कानून से चलता है, धर्म से नहीं… उनसे पूछा गया था क‍ि सेक्‍युलर‍िज्‍म के ढांचे के भीतर हिंदुओं की रक्षा कैसे की जा सकती है? हिंदुत्व की नींव पर हमारे युवाओं का निर्माण कैसे किया जा सकता है? इस पर भागवत ने साफ शब्दों में कहा है कि राज्य कानून से चलता है, धर्म से नहीं. उन्होंने हिंदुत्व को कर्मकांडों से अलग करते हुए युवाओं को यह संदेश दिया कि केवल मंदिर जाना ही हिंदू होना नहीं है, बल्कि आपका आचरण ही आपका असली धर्म है.

मोहन भागवत ने सेक्युलरिज्म को लेकर अक्सर होने वाले भ्रम को दूर करने की कोशिश की. उन्होंने स्पष्ट किया कि सेक्युलरिज्म कोई पश्चिमी अवधारणा नहीं जिसे थोपा गया हो, बल्कि यह शासन चलाने की एक व्यवस्था है. भागवत ने कहा, सेक्युलरिज्म शासन की एक पद्धति है. राज्य की सत्ता चलाने वाली कोई भी व्यवस्था हमेशा से सेक्युलर रही है और राज्य सेक्युलर ही रहेगा. यह बात समझनी होगी. उनका यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अक्सर हिंदुत्ववादी संगठनों पर संविधान के सेक्युलर ढांचे को चुनौती देने के आरोप लगते हैं. लेकिन संघ प्रमुख ने यहां स्पष्ट कर दिया कि राज्य का संचालन किसी विशेष उपासना पद्धति या धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि कानून के आधार पर होता है. राज्य को पंथनिरपेक्ष होना ही चाहिए.

हिंदू होने का प्रमाण क्‍या?

हिंदुत्व की परिभाषा को व्यापक करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू होने का प्रमाण केवल पूजा-पाठ नहीं है. उन्होंने युवाओं और समाज को एक बड़ी लकीर खींचते हुए समझाया कि अगर कोई व्यक्ति मंदिर नहीं जाता, तो इसका मतलब यह नहीं कि वह हिंदू नहीं है. भागवत ने कहा, हम यह नहीं कह सकते कि कोई व्यक्ति हिंदू नहीं है, सिर्फ इसलिए कि वह मंदिर नहीं जाता. धर्म केवल कर्मकांडों या पूजा तक सीमित नहीं है. यह बयान संघ की उस विचारधारा को पुख्ता करता है जो हिंदुत्व को एक जीवन पद्धति मानता है, न कि केवल एक रिलिजन. भागवत का संदेश साफ है कि बाहरी दिखावे से ज्यादा महत्वपूर्ण आंतरिक आचरण है.

युवाओं के लिए संदेश क्‍या है?

आज की युवा पीढ़ी, जो तर्क और आधुनिकता के साथ चल रही है, उसे हिंदुत्व से कैसे जोड़ा जाए? इस सवाल पर भागवत ने कहा कि युवाओं को कर्मकांड में उलझाने के बजाय उन्हें यह समझाना होगा कि धर्म उनके व्यवहार में झलकना चाहिए. उन्होंने कहा, कर्मकांडों से पहले कार्य और आचरण आता है. युवाओं को यह समझाना होगा कि धर्म किसी के व्यवहार में परिलक्षित होता है.

सच्‍चा ह‍िन्‍दू कौन?

इसका अर्थ है कि एक युवा अगर सत्य बोलता है, दूसरों की मदद करता है, अनुशासित है और राष्ट्र के प्रति समर्पित है, तो वह सच्चा हिंदू है, चाहे वह रोज मंदिर जाकर घंटी बजाता हो या नहीं. हिंदुत्व की नींव चरित्र निर्माण पर टिकी है, और यही युवाओं को सिखाने की जरूरत है. जब सवाल यह आया कि सेक्युलरिज्म के ढांचे में हिंदुओं की रक्षा कैसे हो, तो भागवत का जवाब ‘टकराव’ नहीं बल्कि ‘सद्भाव’ पर केंद्रित था. उन्होंने कहा कि सेक्युलरिज्म का अर्थ है धार्मिक रूप से तटस्थ होना. भागवत के अनुसार, राज्य का काम कानून का पालन कराना है और समाज का काम आपसी भाईचारा बनाए रखना है. अगर राज्य कानून के आधार पर चलेगा (किसी का तुष्टिकरण नहीं करेगा) और समाज अपने आचरण में धर्म (कर्तव्य) का पालन करेगा, तो सुरक्षा अपने आप सुनिश्चित हो जाएगी.

सरकार मंद‍िर बनाए या नहीं?

मोहन भागवत से पूछा गया क‍ि क्‍या सरकार को मंदिर या मस्जिद बनाना चाहिए, जैसा बंगाल में हो रहा है. इस पर भागवत ने कहा, सरकार को न मंदिर बनाना चाहिए और न ही मस्जिद. राम मंदिर भी सरकार ने नहीं बनवाया है. इसे राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. मुझे पता है कि यह नियमों के खिलाफ है.

संघ के मुस्‍ल‍िम विरोधी होने पर क्‍या कहा?

मोहन भागवत ने कहा, ऐसी कोई धारणा नहीं है, जिसे लगता है वो यहां आ करके देखे. बहुत लोग यहां आए और देखा तब उन्होंने कहा कि संघ बिल्‍कुल मुस्लिम विरोधी नहीं है. बाबरी मस्जिद बनाने पर कहा क‍ि मंदिर का मामला कोर्ट में और उसके आधार पर हुआ है, लेकिन अब मंदिर- मस्जिद विवाद बंद होना चाहिए.

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Gyanendra Mishra

Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें

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Delhi,Delhi,Delhi

First Published :

December 21, 2025, 15:59 IST

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