Last Updated:July 09, 2025, 19:09 IST
Bihar Chunav: पटना चक्का-जाम में तेजस्वी यादव का ऐसा जलवा दिखा कि पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को अगले कुछ दिनों तक नींद नहीं आएगी. राहुल गांधी के सामने कन्हैया कुमार और पप्पू यादव को जान बूझकर मंच चढ़ने नहीं दि...और पढ़ें

कन्हैया और पप्पू यादव को तेजस्वी ने क्या कर दिया सेट?
हाइलाइट्स
तेजस्वी यादव का पटना चक्का-जाम में वर्चस्व दिखा.कन्हैया कुमार और पप्पू यादव को मंच पर बोलने नहीं दिया गया.तेजस्वी यादव ने बता दिया कि बिहार चुनाव में किसका होगा दबदबा?पटना. बिहार में मुख्यमंत्री बनने का दावा ठोक रहे तेजस्वी यादव ने बुधवार को पटना में कांग्रेस के दो नेताओं को दिन में ही तारे दिखा दिए. दोनों नेताओं ने पिछले कुछ सालों से कांग्रेस की मजबूती से दीवार थाम रखी है. ‘बाढ़ और सूखा’ आने के बाद भी ये दोनों नेता राहुल गांधी के नजरों से कभी नहीं गिरे. लेकिन यह बिहार है यहां आंख के सामने से काजल चुरा लिया जाता है. आरजेडी के सीएम फेस तेजस्वी यादव ने पटना के चक्का जाम में यही किया. बुधवार को बिहार बंद के दौरान पटना में कांग्रेस के दो नेताओं को राहुल गांधी की मौजूदगी में तेजस्वी यादव ने आइना दिखा दिया. दरअसल, कांग्रेस का पिछले कई सालों से ध्वज लेकर चल रहे पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव और राहुल गांधी के नजदीकी का खिताब हासिल करने वाले जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को पटना में गजब की बेइज्जती झेलनी पड़ी. मौका था बिहार बंद के दौरान पटना में चक्का जाम में भाग लेने का. राहुल गांधी के साथ मंच पर कांग्रेस के कई ‘फूके हुए कारतूस’ नजर आए, लेकिन कन्हैया कुमार और पप्पू यादव जैसे जुझारू नेताओं को मंच पर जगह नहीं मिली. ऐसे में सोशल मीडिया पर लोग खूब चटकारे लेने लगे. कुछ लोगों ने तो यह कहना शुरू कर दिया कि तेजस्वी यादव ने पप्पू यादव और कन्हैया कुमार से सालों पुराना बदला ले लिया.
9 जुलाई 2025 को इंडिया गठबंधन द्वारा आयोजित चक्का जाम, जिसका मकसद विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण (SIR) के खिलाफ विरोध था, ने बिहार की सियासत में नया रंग भर दिया. इस प्रदर्शन में तेजस्वी यादव का दबदबा और कांग्रेस की आंतरिक कमजोरियां स्पष्ट रूप से सामने आईं. राहुल गांधी की मौजूदगी के बावजूद, कन्हैया कुमार और पप्पू यादव को मंच से दूर रखा जाना न केवल उनकी बेइज्जती के रूप में देखा गया, बल्कि यह बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एक्स पर वायरल वीडियो में दिखा कि कन्हैया को ट्रक से उतारा गया, जबकि पप्पू यादव को चढ़ने का मौका ही नहीं मिला. यह घटना तेजस्वी के नेतृत्व में RJD की मजबूत पकड़ और कांग्रेस की कमजोर स्थिति को उजागर करती है.
तेजस्वी का पटना में जलवा?
तेजस्वी यादव ने इस चक्का जाम को अपने नेतृत्व में बदल दिया. ओपन ट्रक पर राहुल के साथ उनकी मौजूदगी ने उन्हें मुख्य चेहरा बनाया, जबकि अन्य नेताओं को हाशिए पर धकेल दिया गया. RJD के नेतृत्व में यह प्रदर्शन तेजस्वी के बढ़ते कद का प्रतीक बन गया. बेरोजगारी, महंगाई और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर उनकी सक्रियता और नीतीश कुमार की विश्वसनीयता में कमी ने उन्हें बिहार में एक मजबूत विकल्प के रूप में स्थापित किया है.
सोशल मीडिया पर क्या बोल रहे हैं लोग
x पर कई पोस्ट्स में इसे तेजस्वी का ‘वन मेन शो’ करार दिया गया, जिसमें RJD कार्यकर्ताओं ने इसे उनकी सियासी ताकत का सबूत बताया. कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी इस घटना में साफ झलकी. कन्हैया कुमार, जो अपनी “नौकरी दो, पलायन रोको यात्रा” के जरिए युवाओं में लोकप्रियता हासिल किए थे और पप्पू यादव, जो पूर्णिया में अपनी जीत के बाद कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण चेहरा बन चुके हैं, दोनों को इस मंच से बाहर रखा जाना पार्टी के भीतर असंतुलन को दर्शाता है. कन्हैया की बेइज्जती को लेकर उनके समर्थकों ने सोशल मीडिया पर नाराजगी जाहिर की, जबकि पप्पू यादव की अनदेखी ने उनके समर्थकों में असंतोष पैदा किया. यह घटना कांग्रेस के बिहार में सीमित प्रभाव और संगठनात्मक कमजोरी को उजागर करती है. राहुल गांधी की उपस्थिति के बावजूद, पार्टी का नेतृत्व तेजस्वी के सामने कमजोर दिखा.
तेजस्वी ने न केवल इस प्रदर्शन को अपने नियंत्रण में रखा, बल्कि गठबंधन के अन्य दलों को सहयोगी की भूमिका में सीमित कर दिया. RJD के प्रवक्ताओं ने इसे तेजस्वी के नेतृत्व में एकजुटता का प्रदर्शन बताया, लेकिन कांग्रेस के लिए यह एक चेतावनी है. बिहार में कांग्रेस की स्थिति पहले से कमजोर है, और इस तरह की घटनाएं पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों का मनोबल तोड़ सकती हैं. कन्हैया और पप्पू जैसे नेताओं को दरकिनार करना न केवल उनकी व्यक्तिगत छवि को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि कांग्रेस की एकता और रणनीति पर भी सवाल उठाता है.