रूस लगातार ट्रंप की फजीहत कर रहा है और इस फजीहत से ट्रंप इतने ज्यादा बौखला गए हैं कि एक दिन पहले उन्होंने रूस की इकोनॉमी को डेड यानी मरा हुआ बता दिया. अब रूस से इसका जवाब भी आ गया है और ये भी पता चल गया है कभी पुतिन के नाम की माला जपने वाले ट्रंप को रूस से इतनी ज्यादा चिढ़ क्यों हो गई है. आज आपको भी समझना चाहिए, क्यों माना जा रहा है ट्रंप जैसे तुगलकी फैसले करने वाले नेता का इलाज सिर्फ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कर सकते हैं.
यूक्रेन वॉर जोन से लेकर ट्रंप के टैरिफ वॉर तक पुतिन, ट्रंप पर हर जगह भारी पड़ रहे हैं. ट्रंप ने रूस और भारत की इकोनॉमी को डेड बताया. इसका जवाब पुतिन के भरोसेमंद और रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव (Dmitry Medvedev) ने दिया.
भारत और रूस की 'डेड इकोनॉमी' और 'खतरनाक क्षेत्र में दाखिल होने' का सवाल है, तो ट्रंप को अपनी पसंदीदा 'द वॉकिंग डेड' जैसी फिल्में याद करनी चाहिए. साथ ही उन्हें ये भी याद रखना चाहिए कि 'डेड हैंड' कितना खतरनाक हो सकता है
यहां पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन का राइट हैंड माने जाने वाले दिमित्री मेदवेदेव ने डॉनल्ड ट्रंप की डेड इकोनॉमी के जवाब में अमेरिकी राष्ट्रपति को द वॉकिंग डेड और डेड हैंड की याद दिलवाई. आज आपको इन दोनों शब्दों के जिक्र के मतलब को समझना चाहिए. पहले समझिए डेड हैंड क्या है?
- 'डेड हैंड' एक सोवियत परमाणु हथियार नीयंत्रण प्रणाली थी.
- जिसे Cold War के दौरान विकसित किया गया था.
- इसका उद्देश्य सोवियत संघ की परमाणु प्रतिक्रिया सुनीश्चित करना था.
- यानी USSR के शीर्ष नेतृत्व को परमाणु हमले के दौरान नष्ट कर दिया जाए तो यह प्रणाली अपने आप परमाणु मिसाइलों को लॉन्च कर सकती थी. और अमेरिका जैसे दुश्मन का सर्वनाश कर सकती थी.
यानी डेड हैंड प्रणाली की याद दिलाकर दिमित्री मेदवेदेव ने सुपर पावर अमेरिका को रूस की परमाणु ताकत की याद दिलाई है और समझाया है कि रूस की इकोनॉमी और रूस के लोगों को डेड करना डॉनल्ड ट्रंप के बस की बात नहीं है. क्योंकि ट्रंप भी जानते हैं आज भी दुनीया में सबसे ज्यादा परमाणु बम रूस के पास ही मौजूद हैं.
अब द वॉकिंग डेड का मतलब समझिए. द वॉकिंग डेड एक मशहूर टीवी शो है. जिसमें दुनीया भर में एक महामारी फैलने के बाद लाशों यानी जॉम्बीज़ का आतंक फैल जाता है. आप कह सकते हैं, द वॉकिंग डेड का जिक्र भी ट्रंप को रूस की सीधी धमकी है कि रूस के पास किसी भी मुल्क को बर्बाद करने की ताकत है.
डॉनल्ड ट्रंप और अमेरिका जैसे देश को ऐसी धमकी दुनीया में पुतिन और उनके सहयोगियों के अलावा शायद कोई और नहीं दे सकता..लेकिन ये भी एक बहुत बड़ी सच्चाई है...आज डॉनल्ड ट्रंप भले ही रूस को धमका रहे हों...यूक्रेन वॉर खत्म करने के अल्टीमेटम की मियाद कम करते जा रहे हों...लेकिन अमेरिका में उन्हें ही पुतिन का सबसे बड़ा शुभचिंतक कहा जाता था. इसीलिए ट्रंप ने चुनाव के दौरान दावा किया था...वो सत्ता में आने के 24 घंटे के अंदर रूस यूक्रेन वॉर को खत्म करवा सकते हैं. लेकिन ट्रंप का असली दर्द ये है कि वो तमाम कोशिशों के बाद ये वॉर बंद नहीं करवा पाए हैं.
ट्रंप ने 20 जनवरी 2025 को दूसरी बार राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी...और तब से लेकर आज डीएनए शुरू होने तक...193 दिन और 9 घंटे बीत चुके हैं...यानी जो काम ट्रंप ने 24 घंटे में करने का दावा किया था....वो ट्रंप 4 हजार 641 घंटे में भी नहीं कर पाए हैं...और इसीलिए रूस को कभी 50 दिन का कभी 12 दिन का अल्टीमेटम दे रहे हैं.
लेकिन पुतिन पर डोनल्ड ट्रंप का कोई जोर नहीं चल रहा और इसीलिए बौखलाकर वो कभी रूस से तेल और हथियार खरीदने पर भारत को जुर्माने की धमकी दे रहे हैं. कभी रूस और भारत की इकोनॉमी को डेड बता रहे हैं और यूक्रेन वॉर खत्म नहीं करने पर रूस को गंभीर नतीजे भुगतने की धमकी दे रहे हैं. लेकिन ट्रंप रूस यूक्रेन वॉर को क्यों खत्म करवाना चाहते हैं. आज आपको उनके छिपे हुए मकसद को समझना चाहिए. रूस-यूक्रेन युद्ध रुक गया तो ट्रंप को क्या मिल जाएगा. इस सवाल का जवाब आज व्हाइट हाउस के एक बयान से मिल गया.
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानीत किया जाना चाहिए. इसकी वजह बताते हुए कैरोलिन लेविट ने कहा अमेरिकी राष्ट्रपति ने दुनीया भर में कई संघर्षों को समाप्त कराया है, जिसमें भारत और पाकिस्तान के बीच का संघर्ष भी शामिल है. ट्रंप ने जिन देशों के बीच युद्ध समाप्त कराने का लिया क्रेडिट लिया है.
-उसमें थाईलैंड और कंबोडिया के बीच चला चार दिन का युद्ध.
-इजरायल और ईरान के बीच चला 12 दिन का संघर्ष.
-रवांडा और कांगो के बीच की झड़प.
-इसके अलावा भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवाने का दावा ट्रंप 30 बार कर चुके हैं.
-वहीं सर्बिया और कोसोवो के साथ साथ साथ ट्रंप इजिप्ट और इथियोपिया के बीच युद्ध रुकवाने का दावा भी करते हैं.
ट्रंप की बहुत बड़ी हसरत है, इसके लिए उनको नोबल पुरस्कार दिया जाए. हालांकि जितनी बार ट्रंप ने भारत पाकिस्तान का युद्ध रुकवाने का दावा किया है. उतनी ही बार भारत बता चुका है कि भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवाने में डॉनल्ड ट्रंप का कोई योगदान नहीं था. माना जा रहा है भारत से ट्रंप इसलिए भी खफा हैं और पुतिन तो साम दाम, दंड, भेदॉ, सब कुछ अपनाने के बावजूद वॉर रोकने को तैयार ही नहीं है. जिससे ट्रंप की फजीहत हो रही है.
अगर भारत कह दे कि ट्रंप ने ही भारत पाकिस्तान के बीच का युद्ध रुकवाया है और पुतिन ट्रंप के कहने पर वॉर रोक दें तो ट्रंप को नोबल पक्का हो जाएगा. लेकिन पुतिन ये सब अपनी शर्तों पर करेंगे, इसीलिए वो ट्रंप को आजकल बिल्कुल पसंद नहीं आ रहे हैं. हांलाकि इससे पुतिन को ना तो फर्क पड़ा था और ना ही पड़ेगा.
पाकिस्तान में तेल पर ट्रंप की फजीहत का दूसरा राउंड कुछ दिनों बाद शुरू होगा. लेकिन रूस लगातार ट्रंप की फजीहत कर रहा है और इस फजीहत से ट्रंप इतने ज्यादा बौखला गए हैं कि एक दिन पहले उन्होंने रूस की इकोनॉमी को डेड यानी मरा हुआ बता दिया. लेकिन अब रूस से इसका जवाब भी आ गया है और ये भी पता चल गया है कभी पुतिन के नाम की माला जपने वाले ट्रंप को रूस से इतनी ज्यादा चिढ़ क्यों हो गई है. आज आपको भी समझना चाहिए, क्यों माना जा रहा है ट्रंप जैसे तुगलकी फैसले करने वाले नेता का इलाज सिर्फ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कर सकते हैं.