Last Updated:July 10, 2025, 11:13 IST
बाड़मेर के भीमड़ा गांव में डॉ. जोगेश चौधरी ने थार रेगिस्तान की रेत में चंदन की खेती कर इतिहास रच दिया है. 18 बीघा जमीन पर 900 चंदन के पौधों का बागान, केजरीना, खेजड़ी, आंवला और नींबू के सहायक पौधों के साथ तैयार ...और पढ़ें

सहायक पौधों की मदद से की खेती (इमेज- फाइल फोटो)
प्रेमदान देथा/बाड़मेर: राजस्थान का एक ऐसा जिला जहां तपती धूप, रेतीली मिट्टी और पानी की कमी खेती को नामुमकिन सा बना देती है. कर्मचारी इसे ‘काले पानी की सजा’ मानते हैं लेकिन यही वह धरती है जहां भीमड़ा गांव के डॉ. जोगेश चौधरी ने असंभव को संभव कर दिखाया. बाड़मेर जिला मुख्यालय से 50-60 किलोमीटर दूर बसे इस गांव में डॉ. जोगेश ने रतनाली नाड़ी के पास अपनी 18 बीघा जमीन पर 900 सफेद चंदन के पौधों का बागान विकसित किया है. चंदन, जिसे दुनिया की सबसे कीमती लकड़ियों में गिना जाता है, अब थार रेगिस्तान की रेत में खुशबू बिखेर रहा है. इसकी कीमत प्रति टन 5 से 35 लाख रुपये तक होती है और यह बागान ना केवल हरियाली, बल्कि आर्थिक समृद्धि की मिसाल बन चुका है.
बड़ी चुनौती थी खेती
सफेद चंदन एक परजीवी पौधा है, जिसे पनपने के लिए सहायक पौधों की जरूरत होती है. इस चुनौती को स्वीकार करते हुए डॉ. जोगेश ने वैज्ञानिक विधियों का सहारा लिया. उन्होंने अपने बागान में 900 चंदन के पौधों के साथ 500 केजरीना, 100 से अधिक खेजड़ी, 500 आंवला, 100 से अधिक नींबू, 50 अमरूद, अंजीर और 700 मालाबार नीम के पौधे लगाए. ये सहायक पौधे चंदन को पोषण और सुरक्षा प्रदान करते हैं. ड्रिप सिंचाई, गहरी जुताई और समय-समय पर खरपतवार हटाने के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति ने इस बागान को फलने-फूलने में मदद की.
कमाई में अव्वल
कर्मचारी बताते हैं कि पहले उन्होंने केवल चंदन का नाम सुना था, लेकिन थार में इसकी खेती को देखकर वे हैरान हैं. उनका कहना है, “हम पौधों को बच्चे की तरह पालते हैं, खाद, पानी और दवाइयों का पूरा ध्यान रखते हैं।”डॉ. जोगेश चौधरी, जो बाटाडू सीएससी में कार्यरत हैं, ने News 18 से खास बातचीत में बताया कि वे प्रकृति प्रेमी हैं और खेती में नवाचार उनका जुनून है. कर्नाटक की एक यात्रा के दौरान उन्होंने चंदन के बागान देखे और इसके बारे में गहन अध्ययन किया. इसके बाद उन्होंने अपनी जमीन पर चंदन की खेती शुरू की. शुरुआत में चुनौतियां आईं लेकिन उनकी मेहनत और वैज्ञानिक तकनीकों ने रंग लाया.वे बताते हैं, “बागान में 400 चंदन के पौधे अब 5-6 फीट की ऊंचाई तक पहुंच चुके हैं. यह मेहनत और सही तकनीक का परिणाम है.”
चंदन का पौधा 14-15 साल में परिपक्व होता है, लेकिन इसके बाद यह वर्षों तक आय का स्रोत बन सकता है. एक परिपक्व चंदन के पौधे से लाखों रुपये की कमाई संभव है. इसकी जड़ से निकलने वाला तेल लाखों में बिकता है, और तना प्रति किलो 5,000 रुपये से अधिक की कीमत पर बिक सकता है. इसके अलावा, आंवला, नींबू और अमरूद जैसे बागवानी फसलों से सालाना आय भी हो सकती है. डॉ. जोगेश का कहना है कि चंदन का पौधा दो-तीन फीट जमीन ही घेरता है, जिससे बाकी जमीन पर खरीफ और रबी की फसलें उगाई जा सकती है.
न्यूज 18 में बतौर सीनियर सब एडिटर काम कर रही हूं. रीजनल सेक्शन के तहत राज्यों में हो रही उन घटनाओं से आपको रूबरू करवाना मकसद है, जिसे सोशल मीडिया पर पसंद किया जा रहा है. ताकि कोई वायरल कंटेंट आपसे छूट ना जाए.
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Location :
Barmer,Rajasthan