Luo Tribe: अफ्रीका की नील नदी घाटी में बसे निलोटिक समुदाय की कई जनजातियों में से एक लुओ जनजाति की परंपराएं दुनिया के लिए बेहद अनोखी मानी जाती हैं. सूडान से पलायन कर पश्चिमी केन्या, उत्तरी युगांडा और उत्तरी तंजानिया में बसने वाली इस जनजाति के लोग सदियों से अपनी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपराओं का पालन कर रहे हैं. लुओ जनजाति की सबसे चर्चा में रहने वाली परंपरा विधवा महिलाओं से जुड़ी है. इस परंपरा के अनुसार, किसी महिला के पति की मृत्यु होने के बाद उसे उसके शव के बगल में सोना पड़ता है. लुओ समाज में इसे महिला की अपने दिवंगत पति के प्रति अंतिम जिम्मेदारी माना जाता है. जनजाति का मानना है कि इस रात के दौरान पति-पत्नी का आध्यात्मिक संबंध बना रहता है जब तक कि आत्माएं यह तय नहीं कर लेतीं कि महिला अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए स्वतंत्र है.

इसके बाद, विधवा महिला एक सपने की प्रतीक्षा करती है. अगर सपने में दिवंगत पति महिला को प्यार करते हुए दिखाई देता है तो इसे महिला की दूसरी शादी और जीवन में आगे बढ़ने की मंजूरी के रूप में देखा जाता है. जनजाति के बुजुर्ग इसे अत्यंत गंभीरता से मानते हैं और मानते हैं कि बिना ऐसे सपने के महिला को अपने जीवन में आगे बढ़ने की अनुमति नहीं है.
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इस बीच आपको बता दें कि लुओ लोग पारंपरिक रूप से पशुपालन, खेती और मछली पकड़ने का काम करते हैं. मुख्य रूप से विक्टोरिया झील के पास मछली पकड़ना उनकी जीवनशैली का हिस्सा है. मवेशी इस समुदाय में धन और सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रतीक माने जाते हैं और विवाह या मुआवजे के अवसर पर इन्हें दहेज या मुआवजे के रूप में दिया जाता है.

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