Last Updated:April 04, 2025, 14:40 IST
Sharad Pawar on Waqf Bill: सरकार ने भारी हंगामे के बीच वक्फ संशोधन बिल को राज्यसभा से पास कराया. शरद पवार ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया, जिससे उनकी पार्टी के रुख पर सवाल उठ रहे हैं. सोशल मीडिया पर कयास जारी है...और पढ़ें

वक्फ बिल पर शरद पवार ने वोटिंग नहीं की. (File Photo)
हाइलाइट्स
वक्फ बिल पर शरद पवार ने वोट नहीं डाला.राज्यसभा में आधी रात को वक्फ बिल पर वोटिंग हुई.शरद पवार की यह नई रणनीति या कुछ और?Sharad Pawar on Waqf Bill: भारी हंगामे के बीच सरकार वक्फ संशोधन बिल को आधी रात को राज्यसभा से भी पास कराने में सफल रही. एनसीपी शरद गुट की तरफ से इस बिल का सदन में खूब विरोध किया गया. वोटिंग में पार्टी चीफ शरद पवार ने हिस्सा नहीं लिया. इससे यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या सच में शरद पवार की पार्टी इस बिल के विरोध में ही थी, या एक बार फिर पवार ने बड़ा खेला कर दिया है. इसे लेकर सोशल मीडिया पर भी कयासों का दौर चल रहा है. दरअसल, शरद पवार वक्फ बिल पर इंडिया गठबंधन के साथ तो नजर आए लेकिन उन्होंने खुद इस बिल को रोकने में ज्यादा दम नहीं लगाया.
एनसीपी शरद पवार गुट के दो अन्य सांसद भी इस मतदान के समय मौजूद नहीं थे. इस अनुपस्थिति ने राजनीतिक हलकों में चर्चा को जन्म दिया है, क्योंकि यह स्पष्ट नहीं है कि उनका रुख विधेयक के समर्थन में था या विरोध में. इसके पीछे कोई आधिकारिक कारण उनकी ओर से घोषित नहीं किया गया है. हालांकि, कुछ विश्लेषकों और सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं के आधार पर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि शरद पवार ने इस मुद्दे पर अपनी स्थिति को अस्पष्ट रखने की रणनीति अपनाई हो सकती है.
क्या शरद दोनों पक्षों के साथ बना रहे संतुलन?
उनकी राजनीतिक शैली में अक्सर देखा गया है कि वे संवेदनशील या विवादास्पद मुद्दों पर न्यूट्रल रहकर दोनों पक्षों के साथ संतुलन बनाए रखने की कोशिश करते हैं. शरद पवार ना मुस्लिम समुदाय को नाराज करना चाहते हैं और ना ही वो हिन्दुओं के साथ खड़ा नजर आना चाहते हैं. पिछले कुछ बयानों में शरद पवार ने वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करने की बात कही थी. सितंबर 2024 में उन्होंने मुस्लिम समुदाय के समर्थन में बोलते हुए कहा था कि वे इस विधेयक को किसी भी कीमत पर पास नहीं होने देंगे. हालांकि संसदीय समिति में भी उनकी पार्टी का रुख अस्पष्ट रहा था.
गरीम मुसलमानों के हक में बिल
यह निश्चित रूप से कहना मुश्किल है कि वोट न डालने का उनका निर्णय किस ठोस कारण से प्रेरित था. यह भी संभव है कि उम्र 84 वर्ष या स्वास्थ्य संबंधी वजहों ने उनकी उपस्थिति को प्रभावित किया हो, जैसा कि वे हाल के दिनों में अपनी उम्र का जिक्र करते रहे हैं. यह भी संभव है कि शरद पवार को यह लगता हो कि बिल गरीब मुस्लिमों के हित में है. शरद पवार नहीं चाहते कि उनके हाथ से मुस्लिम वोट-बैंक छिटके. इसी लिए यह उनकी एक रणनीति हो सकती है.
First Published :
April 04, 2025, 14:40 IST