वक्फ कानून पर BJP नेता ने SC से कही ऐसी बात, तुरंत मान गए CJI गवई

1 month ago

Last Updated:May 27, 2025, 11:55 IST

Waqf Amendment Act Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली अश्विनी उपाध्याय की याचिका को लंबित मामले में अंतरिम आवेदन के रूप में स्वीकार किया.

वक्फ कानून पर BJP नेता ने SC से कही ऐसी बात, तुरंत मान गए CJI गवई

सुप्रीम कोर्ट में वक्‍फ कानून को लेकर गर्मागर्म बहस चली.

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के प्रावधानों को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई की. मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई और जस्टिस मसीह की बेंच ने इस मामले में याचिकाकर्ता वकील अश्विनी उपाध्याय की दलीलों को सुना. बीजेपी नेता उपाध्याय ने इस याचिका में वक्फ अधिनियम 1995 की कई धाराओं की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है, जिन्हें वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के जरिये संशोधित किया गया है. कोर्ट ने इस मामले में देरी को आधार बताते हुए याचिका को खारिज करने की बात कही, लेकिन आखिरकार इसे एक पेंडिंग मामले में अंतरिम आवेदन (Interim Application) के रूप में स्वीकार कर लिया.

अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में वक्फ अधिनियम 1995 की धारा 3(आर), 4, 5, 6(1), 7(1), 8, 28, 29, 33, 36, 41, 52, 83, 85, 89 और 101 की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाए. उन्होंने तर्क दिया कि ये प्रावधान, भले ही 2025 के संशोधन के बाद बदल गए हों, संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं. उपाध्याय ने कोर्ट से अनुरोध किया कि उनकी याचिका को उन अन्य लंबित याचिकाओं के साथ जोड़ा जाए, जिनमें पूजा स्थल अधिनियम और अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम को चुनौती दी गई है.

1995 के कानून को अब चुनौती क्यों?

हालांकि कोर्ट ने इस बात पर चिंता जताई कि 1995 के कानून को अब तक चुनौती क्यों नहीं दी गई, और इतने लंबे समय बाद इस मामले को उठाना उचित नहीं लगता. जस्टिस मसीह ने उपाध्याय से कहा, ‘हमने पहले ही इस मामले में आदेश पारित कर दिया है.’ वहीं सीजेआई बीआर गवई ने याचिकाकर्ता से सवाल किया, ‘अब आप 1995 के अधिनियम को भी चुनौती दे रहे हैं. 1995 के अधिनियम को 2025 में चुनौती देने की अनुमति क्यों दी जानी चाहिए? हमें देरी के आधार पर इसे खारिज कर देना चाहिए.’

अश्विनी उपाध्याय ने क्या दी दलील?

इस पर अश्विनी उपाध्याय ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट पहले से ही पूजा स्थल अधिनियम और अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘यह कोर्ट 2020 और 2024 में भी इस तरह की याचिकाओं पर सुनवाई कर चुका है. मैं अनुरोध करता हूं कि इस याचिका को लंबित मामले के साथ अंतरिम आवेदन (आईए) के रूप में स्वीकार किया जाए.’ हालांकि, सीजेआई गवई ने कहा, ‘2025 में नहीं.’

इस मामले में लंबी बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अश्विनी उपाध्याय की याचिका को एक लंबित मामले में आईए के रूप में स्वीकार करने की अनुमति दे दी. यह निर्णय वक्फ संपत्तियों, अल्पसंख्यक अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़े कानूनों पर कोर्ट के रुख को और स्पष्ट करेगा.

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Saad Omar

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें

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