Last Updated:July 08, 2025, 07:58 IST
Su-57E stealth fighter offered by Russia: भारत को अपने पुराने मित्र रूस से ऐसा ऑफर मिला है, जो पाकिस्तान को हार्ट अटैक दे सकता है. दरअसल अमेरिका के F-35 वाला जेट भारत आधी कीमत में अपने कूटनीतिक दोस्त रूस से खरी...और पढ़ें

रूस से Su-57E stealth fighter का सोर्स कोड ले सकता है भारत. (Credit- Reuters)
हाइलाइट्स
भारत अपने पुराने मित्र रूस से ले सकता है Su-57E स्टील्थ फाइटर की तकनीकरूस ने भारत को Su-35M और Su-57E स्टील्थ फाइटर का सोर्स कोड ऑफर कियाभारत इसे लेकर अपने लिए कस्टमाइज फिफ्थ जेनरेशन फाइटर प्लेन बना सकता हैSu-57E stealth fighter Su-35M offered to India: दुनियाभर में फैली अशांति और युद्धों ने ये साबित कर दिया कि हर देश को अपने डिफेंस सिस्टम को चाक-चौबंद रखना होगा. यही वजह है कि वे देश भी अब हथियार खरीद और बना रहे हैं, जो लंबे वक्त से इस होड़ में शामिल नहीं थे. भारत की बात करें, तो उसे अपनी सीमाओं पर मौजूद दुश्मनों को देखते हुए देसी और विदेशी हथियारों की एडवांस तकनीक रखनी जरूरी है और हम ऐसा कर भी रहे हैं.
रूस से Su-57E stealth fighter का सोर्स कोड ले सकता है भारत. (Credit- Reuters)
इस सिलसिले में रूस ने भारत को एक जबरदस्त प्रस्ताव दिया है- जो हमारे डिफेंस सिस्टम में रॉकेट जैसी तेजी देगा. रूस के इस प्रस्ताव में उसका पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर Su‑57E और एडवांस 4.5‑पीढ़ी का Su‑35M शामिल है. यह रणनीतिक कदम भारत-रूस रक्षा सहयोग को फिर से ताकत देने की दिशा में एक प्रमुख प्रयास है. इस बात की जानकारी रूस की स्टेट कंपनी Rostec और Sukhoi ने दी है.
5th जेनरेशन के फाइटर जेट की जरूरत क्यों?
भारत ने पाकिस्तान के साथ सैन्य टकराव के दौरान ऑपरेशन सिंदूर पर ब्रीफिंग देते हुए ये माना था कि उन्हें नई टेक्नोलॉजी की जरूरत है. वायुसेना को अपने सिस्टम अपग्रेडेशन की जरूरत है, जिसमें पांचवी पीढ़ी के फाइटर जेट काफी अहम है. भारत इस कमी को घरेलू और बाहरी खरीद के स्तर पर दूर करने में जुटा है. उसने एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट यानि AMCA प्रोजेक्ट के तहत 5th जेनरेशन देसी फाइटर जेट बनाने का प्रोजेक्ट चालू कर दिया है, जिसके लिए 15,000 करोड़ रुपये का भारी-भरकम शुरुआती फंड भी रखा गया है. ईरान-इजरायल युद्ध में स्टील्थ फाइटर जेट्स की अहमियत देखने के बाद भारत का फोकस भी इस तरफ शिफ्ट हो गया है. वो इसके लिए अपने पार्टनर देशों की तकनीक और अपने रक्षा बजट दोनों को देखते हुए काम कर रहा है.
रूस देगा F-35 का धांसू तोड़
अमेरिका के F-35 में जो खासियत है, उसे भारत आधी कीमत में अपने कूटनीतिक दोस्त रूस से खरीदने जा रहा है. दिलचस्प ये है कि इसमें रूस का वैसा नियंत्रण नहीं होगा, जैसा अमेरिका F-35 पर रखता है. यानि ब्रह्मोस, अस्त्र और रुद्रम जैसी देसी मिसाइलों को ये फाइटर जेट और भी ताकत देने वाला है. रूस ने भारत को जो प्रस्ताव दिया है, उसमें 5th जेनरेशन फाइटर जेट Su‑57E के सोर्स कोड सहित निर्माण विकल्प और Su‑35M की जल्द से जल्द उपलब्धता शामिल है. ये भारत के रक्षा क्षेत्र को एक नया आयाम दे सकता है. इसके सबसे बड़ा फायदा ये है कि भारत इस तकनीक से मेक इन इंडिया और आर्त्मनिर्भर भारत के तहत अपने घरेलू उत्पादन के लिए भी रणनीति बना सकता है.
भारत को Su-57E stealth fighter का सोर्स कोड देना चाहता है रूस. (Credit- Reuters)
क्या है Su‑57E की खासियत?
Su-57E, रूस का पाँचवीं पीढ़ी का स्टील्थ मल्टीरोल फाइटर जेट है, जिसे सुखोई डिजाइन ब्यूरो ने विकसित किया है. यह एक्सपोर्ट वेरिएंट है, जो हवाई, जमीनी और समुद्री लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है. Su-57E में रडार क्रॉस-सेक्शन को कम करने के लिए रडार से बचने की क्षमता, इंटरनल वेपन बे और स्पेशल एयरफ्रेम डिजाइन का उपयोग किया गया है. यह इसे दुश्मन के रडार से बचने में सक्षम बनाता है. यह जेट AL-41F1 इंजनों से संचालित है, जो आगे चलकर AL-51F से रिप्लेस हो सकता है. ये इंजन इसे 3D थ्रस्ट वेक्टरिंग प्रदान करते हैं, जिससे यह हवा में ये जमकर कलाबाजी कर सकता है. यह मैक 1.3 से 1.6 की सुपरसोनिक गति बिना आफ्टरबर्नर के बनाए रख सकता है, जबकि इसकी अधिकतम गति मैक 2 (लगभग 2450 किमी/घंटा) और युद्ध रेंज 1900-2000 किमी है. Su-57E में यूनिफाइड एवियोनिक्स और इलेक्ट्रॉनिक सेकंड पायलट भी है, जो पायलट को सपोर्ट देता है. यह R-77M, Kh-69 क्रूज़ मिसाइल, और GROM ग्लाइड बम जैसे हथियार ले जा सकता है. डेटा लिंक सिस्टम इसे अन्य विमानों और कंट्रोल रूम रण के साथ रियल-टाइम इंफॉर्मेशन देने के लायक बनाता है.
F-35 से तुलना में कैसे बेहतर?
Su‑57E की कीमत लगभग $35–40 मिलियन प्रति विमान है, जबकि F‑35A की कीमत $80–110 मिलियन प्रति सीट है. F‑35 के रख‑रखाव और ऑपरेशन की लागत प्रति घंटे $35,000 से अधिक हो सकती है, वहीं Su‑57 की परिचालन व्यवस्था सस्ती और संतुलित है. Su‑57 का इन्फ्रास्ट्रक्चर और उपकरण IAF के मौजूदा Su‑30MKI जैसे प्लेटफॉर्म से मेल खाते हैं, जिससे प्रशिक्षण और लॉजिस्टिक्स आसान होता है. F‑35 पर भारत को सख्त अमेरिकी नियंत्रण झेलना पड़ सकता है, जहां Astra, BrahMos, Rudram जैसे सिस्टम लागू नहीं होते. Su‑57E के सोर्स कोड और उत्पादन अधिकार मिलने से भारत अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार विमान कस्टमाइज कर सकता है, जो F‑35 के साथ संभव नहीं. इससे AMCA जैसे स्वदेशी कार्यक्रम को भी गति मिलेगी क्योंकि तकनीकी साझा करने से भारत खुद एडवांस तकनीक सीख सकेगा. हालांकि इसके साथ बड़ी समस्या ये आ सकती है कि रूस पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की वजह से पुराने सुखोई और नए वर्जन के एयरक्राफ्ट के पार्ट्स की चेन सप्लाई में दिक्कत आएगी, जिसका तोड़ उसे निकालना होगा.
News18 में Offbeat डेस्क पर कार्यरत हैं. इससे पहले Zee Media Ltd. में डिजिटल के साथ टीवी पत्रकारिता भी अनुभव रहा है. डिजिटल वीडियो के लेखन और प्रोडक्शन की भी जानकारी . टीवी पत्रकारिता के दौरान कला-साहित्य के सा...और पढ़ें
News18 में Offbeat डेस्क पर कार्यरत हैं. इससे पहले Zee Media Ltd. में डिजिटल के साथ टीवी पत्रकारिता भी अनुभव रहा है. डिजिटल वीडियो के लेखन और प्रोडक्शन की भी जानकारी . टीवी पत्रकारिता के दौरान कला-साहित्य के सा...
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