Last Updated:March 17, 2025, 14:41 IST
सुप्रीम कोर्ट ने पुडुचेरी के ऑरोविले टाउनशिप परियोजना पर एनजीटी की रोक को खारिज कर दिया है. देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि विकास और पर्यावरण संरक्षण दोनों महत्वपूर्ण हैं. विकास को पीछे रखते ही पर्यावरण संरक्ष...और पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट फैसला सुनाया. (File Photo)
नई दिल्ली. अक्सर इसे लेकर बहस होती रहती है कि विकास परियोजनाओं के नाम पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना कितना उचित है. पर्यावरण संरक्षण में जुटे लोग और एनजीओ अक्सर केंद्र और राज्य सरकार के फैसलों के खिलाफ एनजीटी सहित तमाम अदालतों का रुख करते हैं. ऐसे में कई बार सरकार के पक्ष में फैसला आता है तो कई बार पर्यावरण संरक्षण से जुड़े स्वयं सेवियों के पक्ष में. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसले में यह साफ कर दिया कि देश में पर्यावरण संरक्षण जितना जरुरी है, उतना ही जरुरी विकास भी है. सुप्रीम कोर्ट ने ऑरोविले टाउनशिप परियोजना पर एनजीटी की रोक को खारिज कर दिया है. देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि विकास पर्यावरण संरक्षण जितना ही महत्वपूर्ण है. स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार एक मौलिक अधिकार है. विकास का अधिकार भी समान रूप से प्राथमिकता का दावा करता है.
ऑरोविले की अगर बात करें तो पुडुचेरी में स्थित ये एक बेहद खूबसूरत लोकेशन वाला स्थान है. साल 1968 में श्री अरबिंदो की आध्यात्मिक सहयोगी मीरा अल्फासा द्वारा किया गया था. मीरा अल्फासा को आम लोग मदर/माँ के नाम से पुकारते हैं. पुडुचेरी स्थित ऑरोविले शहर को सांस्कृतिक, अंतर्राष्ट्रीय, औद्योगिक और आवासीय क्षेत्रों में विभाजित किया गया है. यहां टाउनशिप के केंद्र में एक विशाल ग्लोब के आकार की संरचना है, जिसे “शहर की आत्मा” कहा जाता है. इसे बेहद खूबसूरत तरीके से बनाया गया था.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी की दक्षिणी पीठ ने निवासियों के विरोध और अशांति के बाद ऑरोविले फाउंडेशन में परियोजना के निर्माण पर रोक लगा दी थी. इस मामले में अवधारणा की अगर बात करें तो एक यूनिवर्सल टाउनशिप बनाने की बात हो रही थी, जिसमें विश्व भर से 50,000 लोगों की आबादी बसेगी लेकिन टाउनशिप के विकास के कुछ पहलुओं का विरोध किया गया था.
First Published :
March 17, 2025, 14:33 IST