Last Updated:May 21, 2025, 18:30 IST
Jharkhand liquor scam: रांची शराब घोटाले में आईएएस विनय चौबे और गजेंद्र सिंह की गिरफ्तारी के बाद सीएम हेमंत सोरेन पर सवाल उठे हैं. एसीबी जांच में 100 करोड़ से अधिक का घोटाला सामने आ चुका है और इस घोटाले की रकम ...और पढ़ें

झारखंड शराब घोटाले में आईएएस विनय चौबे की गिरफ्तारी.
हाइलाइट्स
झारखंड शराब घोटाले में सीनियर आईएएस गिरफ्तार, सीएम सोरेन पर बीजेपी हमलावर.बीजेपी और विपक्ष का आरोप है कि सरकार के शीर्ष पर बैठे लोग भी घोटाले में शामिल हैं.आईएएस विनय चौबे और गजेंद्र सिंह की गिरफ्तारी के बाद सीएम हेमंत सोरेन पर सवाल.रांची. शराब घोटाला मामले में सीनियर आईएएस अधिकारी विनय चौबे और गजेंद्र सिंह की गिरफ्तारी के बाद राज्य सरकार पर भी सवाल उठने लगे हैं. ऐसे में सीएम हेमंत सोरेन पर बीजेपी भी हमलावर है. वहीं, इस मामले में तथ्य निकलकर आए हैं कि झारखंड में शराब नीति के माध्यम से सरकार को करोड़ों का चूना लगाया गया. अब तक जांच में जो बातें सामने आईं हैं उसके अनुसार, ये घोटाला 100 करोड़ से ऊपर तक चला गया है और मामले में कई अन्य आरोपियों में गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. इसमें न सिर्फ सरकारी अधिकारी बल्कि दूसरे भी लोग शामिल है. बता दें कि उत्पाद नीति में 07 प्लेसमेंट एजेंसी का चयन किया गया था. इस पूरे मामले में ये बातें भी एसीबी की जांच में सामने आई कि इन प्लेसमेंट के एजेंसियों के चयन में नियम कायदे कानून को ताक पर रखा गया.
ऐसी दो कंपनियों के प्रमाण एसीबी को मिले हैं, जिसमें हजारीबाग में ऑपरेट कर रही कंपनी विजन हॉस्पिटैलिटी है जिसके द्वारा 12 करोड़ से ज्यादा की रकम की फर्जी बैंक गारंटी दी गई थी. वहीं, मार्शन इनोवेटिव सिक्युरिटी जो धनबाद में कार्यरत थी.इसे माध्यम से भी 25 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी दी गई थी. इन दोनों कंपनियों की ओर से ही करीब 38 करोड़ का फर्जी बैंक गारंटी दी गई थी, जो जांच में सामने आई है. वहीं, इन फर्जी बैंक गारंटी की जांच भी शुरुआत में नहीं की गई जिस कारण इन कंपनियों के पास बकाए की वसूली तक नहीं हो पाई.
दो ही नहीं अन्य पांच कंपनियां भी शराब घोटाले में शामिल!
एसीबी की जांच में में ये बाते भी सामने आई की इन कंपनियों सभी कंपनियों को शराब बेचकर पैसा जमा करना था, लेकिन इन्होंने पैसा जमा नहीं किया गया जिस कारण ये रकम बढ़ती ही गई. जब तक सरकार को इसकी जानकारी मिली तब तक ये बकाया रकम और भी बढ़ गई. बता दें कि शराब बेचकर पैसे नहीं देनेवाले प्लेसमेंट कंपनियों में।और ये दो ही कंपनियां नहीं हैं, बल्कि अन्य 5 कंपनियां भी शामिल हैं.अब तक की जांच में ये रकम 100 करोड़ से ऊपर जा चुकी है और ऐसा लगता है कि ये रकम और भी बढ़ेगी. मामले में ये बातें भी सामने आईं हैं कि आईएएस विनय कुमार चौबे और गजेंद्र सिंह इस बात से पूरी तरह वाकिफ थे कि ये बैंक गारंटी फर्जी है. यही वजह थी कि बकाए के बावजूद इन बैंक गारंटी से पैसे की निकासी नहीं की गई.
शराब नीति में एसीबी की जांच पर विपक्ष के सवाल कितने जायज?
बता दें कि मामले को लेकर विपक्ष भी लगातार सवाल उठा रही है बीजेपी और आजसू जैसे दलों का आरोप है कि इस मामले में केंद्रीय एजेंसियां जब जांच कर रही थी तो आखिर क्यों राज्य सरकार ने अपनी तरफ से इस मामले में एसीबी को जांच का जिम्मा दिया? वहीं इसके साथ ही विपक्ष का ये भी आरोप है कि कहीं न कहीं इस पूरे मामले में सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोग भी सम्मिलित है और उन्हें बचाने को लेकर ही ये पूरी कवायद है. इसके पीछे हो तर्क है उसे भी नकारा नहीं जा सकता, क्योंकि इतना बड़ा घोटाला हुआ और सरकार के तरफ से शराब नीति में बदलाव किया गया तो ऐसे में इस बात को दरकिनार करना कि सरकार को इसकी जानकारी नहीं, विपक्ष के गले नहीं उतर रहा. वहीं, इसके साथ ही विपक्ष का कहना है कि जब इस मामले में केंद्रीय एजेंसी के द्वारा जांच की जा रही है तो फिर राज्य सरकार की एजेंसी को इसमें इंवेस्टीगेशन का जिम्मा देना बहुत कुछ इशारा करता है.
पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें
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