Last Updated:June 08, 2025, 07:57 IST
Pakitan-UNSC : आतंकियों के आका के तौर पर पूरी दुनिया में कुख्यात पाकिस्तान को UNSC में तगड़ा झटका लगा है. शहबाज शरीफ के देश ने UN में टेररिज्म से जुड़ी 4 कमेटियों की अगुआई करने की मांग की थी, लेकि...और पढ़ें

UNSC में पाकिस्तान को गहरा झटका लगा है. (फोटो: एपी)
हाइलाइट्स
पाकिस्तान ने UNSC में 4 कमेटियों की अध्यक्षता मांगी थी, सदस्य देश सहमत नहींपाकिस्तान को सिर्फ 1988 तालिबान सैंक्शन कमेटी को लीड करने का मिला मौकापाकिस्तान की डिमांड की वजह से कमेटी के आवंटन में तकरीबन 5 महीने की देरीUN में 1988 तालिबान सैंक्शन कमेटी का चेयरमैनशिप हासिल करने वाले पाकिस्तान को UNSC में तगड़ा झटका लगा है. शहबाज शरीफ का देश छब्बे बनने चले थे, लेकिन चौबे बनकर ही संतोष करना पड़ा. पाकिस्तान की हठधर्मिता की वजह से UNSC में दो फाड़ हो गया. अधिकांश मेंबर इस्लामाबाद की डिमांड से सहमत नहीं थे. ऐसे में कमेटी के आवंटन में कम से कम 5 महीने की देरी हुई. जो काम जनवरी 2025 में जाना चाहिए था, वह जून के पहले सप्ताह में हो सका. बताया जाता है कि पाकिस्तान के इस रवैये से UNSC के मेंबर्स खफा भी हो गए. इस पूरे प्रकरण को पाकिस्तान की डिप्लोमेटिक हार की तरह से देखा जा रहा है.
दरअसल, पाकिस्तान ने UNSC के अस्थाई सदस्य के तौर पर आतंकवाद से जुड़ी 4 कमेटी की अगुआई करने का मौका देने की डिमांड की थी. इससे UNSC में दो फाड़ हो गया. पाकिस्तान की मांग पर सदस्यों के बीच सहमति नहीं बन पाने की वजह से कमेटी के अलोकेशन में महीनों की देरी हुई. एक गुट ऐसा था जो पाकिस्तान की मांग को बढ़ावा दे रहा था, वहीं दूसरा ग्रुप इसके सख्त खिलाफ था. ऐसे में महीनों तक इसपर रस्साकशी चलती रही. आखिरकार पाकिस्तान की मांग को खारिज कर दिया और उसे सिर्फ 1988 तालिबान सैंक्शन कमेटी को चेयर करने यानी अध्यक्ष बनने का मौका मिला. पाकिस्तान को इसके अलावा काउंटर टेररिज्म कमेटी का वाइस-चेयरमैन बनने का अवसर भी मिला है. बता दें क UNSC में 5 स्थाई और 10 अस्थाई समेत कुल 15 सदस्य होते हैं. पांच स्थाई सदस्यों को ही वीटो का अधिकार हासिल है.
पाकिस्ता की मांग
पाकिस्तान ने 1267 सैंक्शन कमेटी, 1540 नॉन-प्रोलिफेरेशन सैंक्शन कमेटी, 1988 तालिबान कमेटी और 1373 काउंटर टेररिज्म कमेटी की अध्यक्षता की मांग की थी. तालिबान सैंक्शन कमेटी के के अलावा उसे सीटीसी की उपाध्यक्षता की भी अनुमति दी गई है् भारत इसे अपने पड़ोसी की बड़ी उम्मीदों और दावों से भी कम मानता है. पाकिस्तान की मांगों के कारण यूएनएससी में आम सहमति नहीं बन पाई, जिससे यूएन कमेटी के आवंटन की प्रक्रिया में लगभग 5 महीने की देरी हुई. एक अधिकारी ने बताया कि यह आवंटन जनवरी 2025 तक हो जाना चाहिए था. बताया जाता है कि पाकिस्तान के रवैये से UNSC के कई अन्य सदस्य खुश नहीं थे.
आम राय नहीं बन सकी
‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ ने एक अधिकारी के हवाले से अपनी रिपोर्ट में बताया कि पाकिस्तान बेसिरपैर की डिमांड से सदस्य देशों में आम सहमति नहीं बन सकी. अपनी मांग पर अड़े रहने के पाकिस्तान के रुख ने अन्य देशों को नाराज भी कर दिया. पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद को लेकर भारत के खिलाफ अभियान चलाने की मुहिम पर भी यूएनएससी के अन्य सदस्य देशों ने ब्रेक लगा दिया. सूत्रों के अनुसार, वीटो अधिकार प्राप्त 5 देशों (चीन, फ्रांस, रूस, अमेरिका और ब्रिटेन) की ओर से इन कमेटियों की चेयरमैनशिप को लेकर कोई रुचि नहीं दिखाई गई, क्योंकि उन्हें मालूम है कि इसका कोई ज्यादा महत्व नहीं है. मुद्दे की बात यह है कि इन कमेटी में आम राय से ही कोई फैसला लिया जाता है.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
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