Last Updated:June 23, 2025, 11:35 IST
Iran Supreme Security Council : इजराइल के साथ युद्ध अब सिर्फ ईरान ही नहीं, पूरी दुनिया के संकट पैदा कर रहा है. ईरान की संसद ने तो दुनिया की 20 फीसदी तेल सप्लाई बंद करने पर फैसला भी कर लिया है और अब सब...और पढ़ें

ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य को मध्य करने की चेतावनी दी है.
हाइलाइट्स
ईरान की सुरक्षा परिषद तेल आपूर्ति बंद करने पर विचार कर रही है.होर्मुज जलडमरूमध्य बंद करने से वैश्विक तेल आपूर्ति प्रभावित होगी.ईरान की सुरक्षा परिषद राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों पर निर्णय लेती है.नई दिल्ली. ईरान और इजराइल की लड़ाई अब उस मोड़ पर आ खड़ी हुई है, जिसका खामियाजा पूरी दुनिया को भुगतना पड़ेगा. वह भी सीधे तौर पर. ईरान ने इसकी खुली धमकी भी दे दी है और उसकी संसद ने इस पर एकमत होकर फैसला भी कर लिया है. अब सिर्फ ईरान की सर्वोच्च सुरक्षा परिषद को मुहर लगाना बाकी है, जो असल में अमानतुल्ला खामनेई के ही इशारों पर चलती है. ईरान ने कहा है कि जल्द ही देश की सुरक्षा परिषद होर्मुज जलडमरूमध्य बंद करने पर फैसला करेगी. इस खबर के बाद ज्यादातर लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (Supreme Security Council) क्या है, जिसके पास संसद से भी ज्यादा शक्तियां हैं.
ईरान ने अमेरिका के हालिया हमले के बाद पूरी दुनिया को यह चेतावनी दी है कि वह जल्द ही ओमान व ईरान के बीच स्थित होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर देगा. यह एक संकरा समुद्री रास्ता है, जहां से दुनिया की 20 फीसदी तेल सप्लाई होती है. इसकी चौड़ाई महज 33 किलोमीटर है, जबकि जहाजों के गुजरने का रास्ता तो महज 3 किलोमीटर ही चौड़ा है. अगर ईरान ने इसे बंद कर दिया तो भारत सहित एशिया के तमाम देशों को तेल की सप्लाई पर बड़ा असर पड़ेगा. अब सभी की निगाहें ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद पर टिकी है, जो इस पर अंतिम फैसला करेगी.
क्या है सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद
ईरान ने इस संस्था या निगाह का गठन सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों पर निर्णय के लिए किया है. इसके लिए बाकायदा संविधान में बदलाव करके 1989 में गठन किया गया. इस परिषद को भले ही ईरान की संसद से ऊपर रखा गया है, लेकिन इसकी जवाबदेही सर्वोच्च नेता खामनेई के प्रति ही रहती है. यह परिषद सेना की रणनीति बनाने, परमाणु कार्यक्रम पर फैसला करने और विदेश नीति से जुड़े मामलों पर सुझाव देने का काम करती है. जाहिर है कि होर्मुज जलडमरूमध्य न सिर्फ ईरान की सैन्य रणनीति का हिस्सा है, बल्कि यह विदेश नीति को भी प्रभावित करती है. लिहाजा सर्वोच्च परिषद को इसमें दखल देने की जरूरत पड़ेगी.
क्या काम करती है परिषद
जैसा कि हमने बताया कि ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद देश की सिक्योरिटी से जुड़ी चीजों पर अपना सुझाव देती है. इसके अलावा सेना, खुफिया जानकारी और आपात या संकट की स्थिति में निर्णय लेने की भी क्षमता रखती है. देश के परमाणु कार्यक्रम, युद्ध और शांति की बातचीत के लिए भी यह परिषद सर्वोच्च नेता को सुझाव देती है. सुझाव देने के साथ यह परिषद सर्वोच्च नेता के आदेशों को लागू करने में भी सहयोग करती है.
परिषद में कौन-कौन शामिल
ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का मुखिया देश का राष्ट्रपति ही होता है, जो परिषद के अध्यक्ष के रूप में काम करते हैं. इसमें सर्वोच्च नेता की ओर से नियुक्त किए गए प्रतिनिधि भी शामिल हैं. इसके अलावा परिषद में विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और गृह मंत्री भी शामिल होते हैं. ईरान की सेना यानी इस्लामिलक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के कमांडर, न्यायपालिका के प्रमुख, संसद के स्पीकर, खुफिया मंत्रालय या संगठन के प्रमुख, सेना प्रमुख और अगर जरूरत हो तो परमाणु कार्यक्रम और विदेश नीति के विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाता है.
कैसे होता है सदस्यों का चुनाव
यह परिषद सरकार की ओर से गठित की जाती है, लिहाजा इसमें आमजन की कोई भूमिका नहीं होती है. हां, इतना जरूर है कि परिषद के मुखिया का चुनाव जनता की ओर से किया जाता है, जो हर 4 साल में आम चुनाव के जरिये चुने जाते हैं. इसके अलावा बाकी सदस्यों को चुनाव उनके पद के हिसाब से खुद ही हो जाता है. जैसे विदेश मंत्री, संसद के स्पीकर, सेना प्रमुख, सैन्य कमांडर आदि को पद मिलते ही इसमें शामिल कर लिया जाता है.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...
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