असम के मुख्यमंत्री और पूर्वोत्तर में बीजेपी के सबसे कद्दावर नेता हिमंता बिस्वा सरमा ने बांग्लादेश के मौजूदा हालात और भारत की सुरक्षा को लेकर अब तक का सबसे विस्फोटक बयान दिया है. ‘राइजिंग असम कॉन्क्लेव’ (Rising Assam Conclave) में एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू के दौरान सीएम सरमा ने साफ शब्दों में कहा कि कूटनीति का समय अब सीमित है और बीमारी का पक्का इलाज ‘सर्जरी’ से ही संभव होगा. उन्होंने न केवल बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार के गिरने की भविष्यवाणी की, बल्कि भारत के ‘चिकन नेक’ कॉरिडोर को सुरक्षित करने के लिए 20-22 किलोमीटर जमीन लेने की बात भी कह दी. पढ़िए, सीएम हिमंता बिस्वा सरमा के इंटरव्यू की 10 बड़ी बातें.
1. ‘बांग्लादेश में सर्जरी की जरूरत, 20-22 किमी जमीन लेनी होगी’
हिमंता बिस्वा सरमा ने भारत की सामरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चिंता ‘चिकन नेक’ (सिलिगुड़ी कॉरिडोर) को बताया. उन्होंने कहा, चिकन नेक के दोनों ओर बांग्लादेशी लोग हैं. मैं भारत सरकार से दरख्वास्त करूंगा कि कभी न कभी कूटनीति से या बल प्रयोग से, हमें 20–22 किलोमीटर ज़मीन लेनी होगी और इस चिकन नेक के सवाल से नॉर्थ ईस्ट को बाहर निकालना होगा. उन्होंने अपने चिर-परिचित अंदाज में कहा, सर्जरी तभी होती है जब बीमारी दवा से ठीक नहीं होती. ऐसी सर्जरी का समय तब आता है जब यूनुस जैसी सरकार आती है. अगर बांग्लादेश ज्यादा ‘चिकन’ की बात करेगा, तो मैं ‘नेक’ रिप्लेस कर दूंगा. आप मेरी बात मान लीजिए, यह होगा ही होगा.
2. ‘यूनुस सरकार ज्यादा दिन नहीं टिकेगी’
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर निशाना साधते हुए हिमंता ने कहा, मुझे लगता है जो लोग अभी बांग्लादेश में सत्ता में हैं, वे बहुत दिन तक नहीं रहेंगे. और हमारी भी जिम्मेदारी है कि वे बहुत दिन सत्ता में न रहें. उन्होंने कहा कि वहां चुनाव होने के बाद शायद स्थिति सुधरे, लेकिन अभी के हालात, खासकर नॉर्थ ईस्ट के लिए बेहद चिंताजनक हैं. उन्होंने यह भी जोड़ा कि आज तक किसी ने भारत को इस तरह ‘ओपन चैलेंज’ नहीं किया था.
3. इंदिरा गांधी की ऐतिहासिक गलती?
सीएम सरमा ने 1971 के युद्ध का जिक्र करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नीतियों पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, जब भारत ने बांग्लादेश को आजाद कराया, तब इंदिरा गांधी चाहतीं तो कह सकती थीं कि मुझे भूखंड दीजिए, ताकि मेरा चिकन नेक का प्रॉब्लम सॉल्व हो जाए. लेकिन उन्होंने उस समय ऐसा नहीं किया, इसलिए आज हमें चिकन नेक को लेकर धमकी दी जाती है.
4. ‘हिन्दू होने की वजह से मारा गया तो गुस्सा दोगुना’
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों पर (खासकर दीपू के मर्डर पर) बोलते हुए उन्होंने कहा, अगर दीपू हिंदू है, इसलिए ऐसा रिएक्शन नहीं है. किसी को भी इतनी बेरहमी से मारा जाता है, चाहे वह किसी भी धर्म का हो, हमें दुख होता है . लेकिन जब हमें मालूम पड़ता है कि इसे सिर्फ इसलिए मारा गया क्योंकि यह हिन्दू है, तब हमारा गुस्सा दोगुना हो जाता है.
5. असम में 40% बांग्लादेशी, हम बारूद के ढेर पर
असम की जनसांख्यिकी में आए बदलाव पर हिमंता ने डराने वाले आंकड़े पेश किए. उन्होंने कहा, हम एक बहुत ही अजीब स्थिति में हैं. आज असम में करीब 40 प्रतिशत लोग बांग्लादेशी मूल के हैं. दुख की बात यह है कि उन्हें भारत में वैधता मिल चुकी है. उन्होंने कहा, आजादी के समय यह आंकड़ा सिर्फ 10 से 15 प्रतिशत था. जिन लोगों ने भारत में पीढ़ियां नहीं बिताई हैं, उनकी गारंटी कोई नहीं ले सकता.
6. ‘2027 तक हिंदू-मुस्लिम आबादी बराबर होगी’
असम के भविष्य को लेकर सीएम सरमा ने बड़ी भविष्यवाणी की. उन्होंने कहा, “बंगाल, असम, केरल और जम्मू-कश्मीर में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी है. मेरा मानना है कि 2027 की जनगणना में असम में हिन्दू और मुस्लिम आबादी बराबर हो जाएगी. असम अनिश्चितता के एक और दौर को देखेगा. असम को चलाना बहुत जटिल काम है.
7. कट्टरपंथ की ओर बढ़ता बांग्लादेश
भारत के साथ नहीं चल सकता बांग्लादेश के भविष्य पर उन्होंने कहा कि ‘पोस्ट-हसीना बांग्लादेश’ तेजी से कट्टरपंथ की ओर बढ़ रहा है. जो देश ऐसे रास्ते पर जाते हैं, उनके साथ भारत एक पेज पर नहीं रह सकता. उनके साथ हमारे मतभेद होना तय है. जिस रास्ते पर बांग्लादेश जा रहा है, मुझे लगता है कि ऐसे तत्वों के साथ सामंजस्य बिठाने में बहुत लंबा समय लगेगा.
8. ‘चिकन नेक’ एक अधूरा एजेंडा
हिमंता ने स्पष्ट किया कि ‘चिकन नेक’ की समस्या सुलझाना एक ‘अधूरा एजेंडा’ है. उन्होंने कहा, कूटनीति भारत सरकार संभालती है और सही समय भी केंद्र सरकार तय करेगी. हम इसके लिए उतावले नहीं हैं. इतिहास में समय आता है, लेकिन हमें उतावला नहीं होना चाहिए.
9. कांग्रेस की गलत नीतियों का परिणाम
बंटवारे और उसके बाद की नीतियों पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा, “अगर बांग्लादेश में जनमत संग्रह होता कि हिन्दू कहां रहना चाहेंगे, तो वे भारत को ही चुनते. लेकिन कांग्रेस की गलत नीतियों के कारण बहुत से अनिच्छुक लोगों को पाकिस्तान (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) में रहने के लिए मजबूर किया गया.”
10. सुरक्षा को लेकर ‘बेहद संवेदनशील’
अंत में उन्होंने स्वीकार किया कि सीमावर्ती राज्य होने के कारण आज हम ‘बेहद संवेदनशील’ स्थिति में हैं. बाहरी खतरों और आंतरिक जनसांख्यिकीय बदलावों ने असम को एक ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है, जहां कड़े फैसले लेने ही होंगे.

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