सलमान रुश्दी की ‘द सैटैनिक वर्सेस’ की भारत वापसी पर क्यों है हल्ला बोल? जानें

13 hours ago

The Satanic Verses Controversy: लोकप्रिय और विवादित माने जाने वाले ब्रिटिश-भारतीय लेखक सलमान रुश्दी की किताब ‘द सैटैनिक वर्सेस’ भारत में बिकनी शुरू हो चुकी है. बैन के 36 साल बाद हाई कोर्ट की अनुमति के साथ ही किताब वापस भारत में बिक रही है. राजीव गांधी ने इस किताब को 1988 में भारत में पूरी तरह से बैन कर दिया था. मगर अब यह बैन हटा दिया गया है. इसे शाहबानो मामले के बाद राजीव गांधी सरकार का सबसे विवादित कदम बताया गया था.

किताब वापसी के साथ ही विरोध की भी वापसी

हालांकि अब भी कई इस किताब को इंपोर्ट करने और बिक्री के लिए उपलब्ध होने का विरोध कर रहे हैं. कुछ इस्लामी विद्वानों ने भी इस प्रतिबंध को हटाने का विरोध जताया है. ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड (AISPLB) के महासचिव मौलाना यसूद अब्बास ने सरकार से अपील की है कि बैन जारी रखना चाहिए. आखिर क्या है इस किताब में जिसे लेकर करीब 40 साल भी माहौल गरम हो चला है.

जमीयत उलेमा-ए-हिंद (यूपी) के कानूनी सलाहकार मौलाना काब रशीदी का कहना है- अगर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचती है तो यह किताब कानूनी अपराध है. ‘द सैटैनिक वर्सेस’ एक ईशनिंदा पुस्तक है. इसे स्वतंत्रता के नाम पर बेच जाए ये हमें स्वीकार्य नहीं है. यह संविधान की भावना के खिलाफ है.

36 साल पहले ‘द सैटैनिक वर्सेस’ पर प्रतिबंध क्यों लगा

दरअसल इसके विवादित कंटेंट की वजह से इसे बैन कर दिया था. एनडीटीवी और पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी ने कहा, यह किताब इस्लाम, पैगंबर मोहम्मद और कई इस्लामी हस्तियों का अपमान करती है. इसका कंटेट इतना आपत्तिजनक है कि इसे रिपीट भी नहीं किया जा सकता. इस किताब को बाजार में उपलब्ध कराना देश का माहौल खराब करेगा. कोई भी मुसलमान इस नफरत भरी किताब को बुकस्टोर्स पर देखना बर्दाश्त नहीं कर सकता.

क्या हुआ था 36 साल पहले… से लेकर बाद तक

‘द सैटैनिक वर्सेस’ छपने के तुरंत बाद विवादों में आ गई थी. ईरानी नेता रूहोल्लाह खुमैनी ने रुश्दी और उनके प्रकाशकों को मारने का फतवा जारी कर दिया था. इसके बाद से लेकर रुश्दी को करीब 10 साल तक ब्रिटेन और अमेरिका में छिपकर रहना पड़ा. जुलाई 1991 में इस किताब के जापानी अनुवादक हितोशी इगाराशी की उनके ऑफिस में हत्या कर दी गई थी. सालों बीत जाने के बाद रश्दी को लेकर नफरत कम नहीं हुई थी और 12 अगस्त 2022 को लेबनानी-अमेरिकी हादी मतार ने रुश्दी पर एक कार्यक्रम के दौरान चाकू से हमला कर दिया था. इसमें वह गंभीर रूप से घायल हुए थे और उनकी एक आंख की रोशनी चली गई थी.

‘द सैटैनिक वर्सेस’ को लेकर सरकार की राय क्या…

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की सलाहकार कंचन गुप्ता के मुताबिक, सच तो यह है कि भारत में विरोध प्रदर्शन से पहले ही पुस्तक प्रतिबंधित कर दी गई थी. एक्स पर उन्होंने लिखा, कांग्रेस इस तरह से अपनी कहानियां गढ़ती है और मीडिया इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है जिससे तथ्य काल्पनिक बन जाते हैं. किताब को मुसलमानों के विरोध और दबाव के कारण प्रतिबंधित कर दिया गया, यह सच नहीं है… इसके आयात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, इससे पहले कि पुस्तक बिक्री के लिए उपलब्ध हो या किसी ने इसे पढ़ा हो या कोई विरोध प्रदर्शन हुआ हो.

Satanic Verses on bookstores, Salman Rushdie, Delhi High Court, Rajiv Gandhi, book ban controversy, ‘द सैटैनिक वर्सेस’ , सलमान रुश्दी

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की सलाहकार कंचन गुप्ता ने एक्स पर कहा…

गुप्ता ने लिखा कि- इसे यू.के. में 26 सितंबर 1988 को जारी किया गया था. भारत में 5 अक्टूबर 1988 को बैन कर दिया गया. 10 दिनों से भी कम समय में… पेंगुइन इंडिया के निदेशक खुशवंत सिंह ने इसकी एक कॉपी प्राप्त की और उसे पढ़ा. उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को पत्र लिखकर बैन करने के लिए कहा. और ऐसा ही हुआ. रुश्दी के सिर के लिए फतवा और ‘सैटेनिक वर्सेज’ के बारे में बाकी सब कुछ इसके बाद हुआ.

Tags: Controversial Statements, Salman Rushdie

FIRST PUBLISHED :

December 26, 2024, 15:17 IST

Read Full Article at Source