Last Updated:September 05, 2025, 18:35 IST
Indus Waters Treaty: सिंधु जल संधि पर बातचीत ठप है, लेकिन भारत ने पाकिस्तान को बाढ़ से जुड़ा डेटा देना जारी रखा है. विदेश मंत्रालय ने News18 इंडिया के सवाल पर इसका जवाब दिया है.

भारत–पाकिस्तान रिश्तों में तल्खी और खींचतान कोई नई बात नहीं है. सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) पर बातचीत ठप पड़ी है, लेकिन इसी बीच एक बड़ा सवाल खड़ा हुआ, जब संधि पर ही गतिरोध है तो भारत पाकिस्तान को बाढ़ से जुड़ा डेटा आखिर क्यों देता है? इस पर विदेश मंत्रालय (MEA) ने News18 इंडिया के सवाल का सीधा जवाब दिया.
MEA ने बयान में क्या कहा?
News18 इंडिया के सवाल पर विदेश मंत्रालय ने साफ कहा– ‘हम लोग बाढ़ से संबंधित आंकड़े पाकिस्तान को डिप्लोमेटिक चैनल के जरिए, उच्चायोग के जरिए दे रहे हैं और ये जानकारी हम मानवता के आधार पर दे रहे हैं.‘ यानि भारत का यह कदम किसी राजनीतिक दबाव या मजबूरी से नहीं, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से उठाया जा रहा है.
जान बचाने का है मकसद
भारत से निकलने वाली नदियां पाकिस्तान में भी बहती हैं. ऐसे में अगर बाढ़ का अलर्ट और आंकड़े समय पर साझा किए जाएं, तो वहां की सरकार लाखों लोगों को खतरे से पहले ही सुरक्षित निकाल सकती है. भारत का मानना है कि पड़ोसी पहले इंसान हैं, राजनीति बाद में.
अंतरराष्ट्रीय छवि का भी सवाल
विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत यह कदम अपनी वैश्विक छवि को भी ध्यान में रखकर उठाता है. अगर भारत अचानक डेटा रोक दे, तो अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह “मानवीय मूल्यों की अनदेखी” माना जाएगा. भारत खुद को एक जिम्मेदार वैश्विक ताकत और पड़ोसी के रूप में पेश करना चाहता है.
संधि में साफ नियम
सिंधु जल संधि भले ही विवादों में फंसी हो, लेकिन इसमें बाढ़ और आपदा संबंधी जानकारी साझा करने का स्पष्ट प्रावधान है. जब तक संधि आधिकारिक रूप से खत्म नहीं होती, भारत इन नियमों का पालन करता रहेगा. भारत का यह कदम इस संदेश को भी मजबूत करता है कि– दुश्मनी और मतभेद अपनी जगह हैं, लेकिन आपदा और संकट के समय सहयोग जरूरी है. यही वजह है कि भारत अभी भी पाकिस्तान को बाढ़ से जुड़े आंकड़े मुहैया कराता है.
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
September 05, 2025, 18:35 IST