Last Updated:June 10, 2025, 15:59 IST
Kapil Sibal News: दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर कपिल सिब्बल ने विरोध जताया है. उन्होंने न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सवाल उठाए और पक्षपात का आरोप लगाया. उन्होंने पूछा कि ज...और पढ़ें

कपिल सिब्बल ने सरकारी की भूमिका पर सवाल खड़े किए. (File Photo)
Kapil Sibal on Justice Yashwant Verma: सरकारी आवास पर जला हुआ कैश मिलने के मामले में फंसे दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ सरकार संसद में अभियोग चलाने की तैयारी कर रही है. वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने इसका विरोध किया है. उनका कहना है कि ऐसा करना असंसदीय है और न्यायपालिका की स्वतंत्रता के खिलाफ है. उन्होंने इस मामले उपराष्ट्रपति और उच्च सदन के सभापति जगदीप धनखड़ पर गंभीर सवाल उठाए हैं. सिब्बल ने सवाल पूछा कि जगदीप धनखड़ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर कुमार यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के नोटिस पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की.
पक्षपात की बू आ रही
कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया कि पिछले साल पूरी तरह से सांप्रदायिक टिप्पणी करने के बावजूद केंद्र सरकार इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश शेखर कुमार यादव को बचाने का प्रयास कर रही है. उन्होंने सवाल किया कि राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने न्यायाधीश यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए दिए गए नोटिस पर कोई कदम क्यों नहीं उठाया? सिब्बल ने कहा कि पूरे मामले में ‘‘पक्षपात’’ की बू आती है क्योंकि एक तरफ राज्यसभा के महासचिव ने भारत के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर कहा कि यादव के खिलाफ आंतरिक जांच को आगे न बढ़ाएं क्योंकि राज्यसभा में उनके खिलाफ एक याचिका लंबित है, जबकि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के मामले में उन्होंने ऐसा नहीं किया.
‘यह एक खतरनाक परंपरा’
उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने की कोशिश अगर इन-हाउस जांच रिपोर्ट के आधार पर की जाती है, तो यह संविधान के खिलाफ होगा और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सीधा हमला माना जाएगा. दरअसल, यह विवाद तब और गहरा गया जब केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सभी राजनीतिक दलों के साथ मिलकर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की बात कही. उन्होंने कहा कि यह किसी राजनीतिक साजिश का मामला नहीं है, बल्कि न्यायपालिका में कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा गंभीर विषय है. ऐसे में इसपर संसद को एकजुट होकर निर्णय लेना चाहिए. कपिल सिब्बल ने इस पूरे घटनाक्रम को एक “खतरनाक परंपरा” करार देते हुए कहा कि हम सरकार को चेतावनी देते हैं कि अगर इन-हाउस रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई हुई तो वह संविधान का उल्लंघन होगा. यह न्यायपालिका को नियंत्रित करने का अप्रत्यक्ष तरीका होगा.”
‘राज्यसभा चेयरमैन ने नहीं सुनी विपक्ष की बात’
सिब्बल ने साथ ही यह भी आरोप लगाया कि राज्यसभा के चेयरमैन के खिलाफ विपक्ष की ओर से दिसंबर 2024 में जो महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था उस पर छह महीने बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. उन्होंने कहा कि 55 सांसदों के हस्ताक्षर आज भी मौजूद हैं. या तो कोई कदम नहीं उठाया जाएगा या फिर 5-6 हस्ताक्षरों को अमान्य घोषित कर प्रस्ताव को खारिज कर दिया जाएगा.” दूसरी ओर, रिजिजू का कहना है कि सभी दलों से बातचीत में सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है. उन्होंने कहा कि जब बात भ्रष्टाचार की हो और वो भी न्यायपालिका में तो उस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...
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