सीजेआई को चुनाव आयुक्‍त की नियुक्ति प्रक्रिया से क्‍यों हटाया? शाह ने बताया

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Last Updated:December 10, 2025, 19:40 IST

मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया से CJI को बाहर क्यों किया गया और चुनाव के 45 दिन बाद ही सीसीटीवी फुटेज डिलीट क्यों हो जाती है? अमित शाह ने 73 साल पुराने इतिहास और जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 81 का हवाला देते हुए इन फैसलों के पीछे की असली वजह बताई और कांग्रेस पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाया.

सीजेआई को चुनाव आयुक्‍त की नियुक्ति प्रक्रिया से क्‍यों हटाया? शाह ने बतायाअमित शाह ने विपक्ष के सवालों के जवाब द‍िए.

व‍िपक्ष ने सरकार से पूछा था क‍ि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पैनल से भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को क्यों हटाया गया? चुनाव के बाद सीसीटीवी फुटेज और डेटा को 45 दिनों के बाद नष्ट क्यों कर दिया जाता है? गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा के दौरान इन सवालों के जवाब द‍िए. उन्‍होंने कहा, सबकुछ साफ साफ लिखा हुआ है फ‍िर भी इन्‍हें दिखाई नहीं देता. कांग्रेस का काम सिर्फ देश को गुमराह करना है.

सीजेआई को चुनाव आयुक्‍त की नियुक्ति प्रक्रिया से क्‍यों हटाया?

अमित शाह ने विपक्ष के इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया कि सरकार चुनाव आयोग पर कब्जा करना चाहती है. उन्होंने इतिहास का हवाला देते हुए बताया कि आज जो लोग सवाल उठा रहे हैं, उनके शासनकाल में कोई नियम ही नहीं था. शाह ने सदन को बताया, 73 साल तक इस देश में चुनाव आयुक्‍त की नियुक्‍त‍ि का कोई कानून नहीं था. नियुक्‍त‍ि सीधे प्रधानमंत्री कर देते थे. अब तक ज‍ितने चुनाव आयुक्‍त हुए, ये सभी इसी प्रकार चुने गए. 1950 से 1989 तक प्रधानमंत्री फाइल भेजते थे और राष्‍ट्रपत‍ि नोट‍िफ‍िकेशन जारी कर देते थे. क्‍या तब अच्‍छा था? तब तक कोई सवाल नहीं उठाया गया. अब जब नरेंद्र मोदी कानून बनाकर नियुक्ति कर रहे हैं, तो सवाल उठाए जा रहे हैं. शाह ने बताया कि 1989 में जब तत्कालीन सरकार को लगा कि चुनाव आयुक्त उनकी बात नहीं सुन रहे हैं, तब पहली बार नियमों में छेड़छाड़ की गई और आयोग को बहु-सदस्यीय बनाया गया. इसके बाद मामला अदालत में गया.

पूरी क्रोनोलॉजी समझाई

सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव द‍िया था कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में पारदर्शिता होनी चाहिए. उस वक्त सरकार सुप्रीम कोर्ट में थी और कहा था क‍ि कानून बनाने के ल‍िए वक्‍त चाह‍िए. कोर्ट ने कहा- जब तक संसद कानून नहीं बनता, तब तक नियुक्ति एक कमेटी करेगी जिसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और सीजेआई (CJI) होंगे. 2023 में संसद ने कानून बना दिया. इसमें तय हुआ कि विपक्ष के नेता, प्रधानमंत्री और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री मिलकर चुनाव आयुक्त तय करेंगे.

सुप्रीम कोर्ट का आदेश ‘कानून बनने तक’ के लिए था. अब जब संसद ने कानून बना दिया है, तो सीजेआई की भूमिका खत्म हो गई है, क्योंकि लोकतंत्र में कानून बनाने का अधिकार संसद का है. अब इनको द‍िक्‍कत हो रही है, जबकि 70 साल तक इन्होंने बिना किसी कमेटी के अपने चहेते अफसर बिठाए.
-अमित शाह

45 दिन में सीसीटीवी फुटेज नष्‍ट क्‍यों होता है?

विपक्ष का दूसरा बड़ा आरोप यह था कि ईवीएम और स्ट्रॉन्ग रूम की सीसीटीवी फुटेज को 45 दिनों के बाद डिलीट करके सबूत मिटा दिए जाते हैं. अमित शाह ने इसे तकनीकी या साजिश का मुद्दा न बताते हुए सीधे तौर पर ‘कानून के पालन’ का मामला बताया. अमित शाह ने जनप्रत‍िन‍िध‍ित्‍व कानून (Representation of the People Act, 1951) की धारा 81 का हवाला दिया. उन्होंने समझाया, जनप्रत‍िन‍िध‍ित्‍व कानून की धारा 81 का एक नियम है क‍ि 45 द‍िनों तक चुनाव लड़ने वालों के पास नतीजों को कोर्ट में चुनौती देने (Election Petition) का मौका होता है. उसके बाद दी गई चुनौती मान्‍य ही नहीं होती. शाह ने तर्क दिया कि जब कानून ही यह कहता है कि 45 दिन के बाद चुनाव नतीजों पर कोई विवाद खड़ा नहीं किया जा सकता, तो फिर इतना भारी डेटा (CCTV फुटेज) स्टोर करके रखने का क्या औचित्य है? उन्होंने कहा, जब कानून में 45 द‍िन के बाद विवाद का विषय ही नहीं है, तो फ‍िर सीसीटीवी रखने का क्‍या मतलब? इसल‍िए ऐसा क‍िया गया. यह सिर्फ उस कानून के ह‍िसाब से एलाइन (Align) क‍िया गया है.

संविधान में सब पहले से तय

अमित शाह ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, मैं देश को कांग्रेस पार्टी द्वारा कही गई असत्य बातों के बारे में अवगत कराना चाहता हूं और उनका जवाब देना चाहता हूं. निर्वाचन आयोग का चयन, उसकी शक्तियां और चुनाव प्रक्रिया का उल्लेख संविधान में स्पष्ट रूप से है. इसमें मतदाता की परिभाषा क्या होगी, मतदाता सूची कैसे तैयार होगी, और उसमें सुधार कैसे होंगे, ये सब नियम पहले से तय हैं. शाह ने तंज कसते हुए कहा, जब ये प्रावधान बनाए गए, तब हमारी पार्टी (बीजेपी) अस्तित्व में नहीं थी. यह सब कांग्रेस के समय का बना हुआ ढांचा है, जिस पर आज वे खुद सवाल उठा रहे हैं.

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Gyanendra Mishra

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First Published :

December 10, 2025, 19:40 IST

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