Last Updated:August 13, 2025, 22:27 IST
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से हाई स्कूलों में सेक्स एजुकेशन पर जवाब मांगा है. कोर्ट ने पूछा कि क्या पाठ्यक्रम में यौन शिक्षा शामिल है ताकि किशोरों को जागरूक किया जा सके.

नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश में हाई स्कूल स्तर पर सेक्स एजुकेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से सीधा जवाब मांगा है. कोर्ट ने पूछा है कि क्या राज्य के हाईयर सेकेंडरी स्कूलों के पाठ्यक्रम में सेक्स एजुकेशन शामिल है ताकि किशोरों को यौवनावस्था में आने वाले हार्मोनल बदलाव और उसके परिणामों के बारे में जागरूक किया जा सके. यह मामला
नाबालिग हो गई थी प्रेग्नेंट
जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस एससी शर्मा की पीठ एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें एक किशोर ने जमानत याचिका खारिज होने के खिलाफ अपील की है. यह मामला पोस्को एक्ट और बलात्कार से जुड़ा है. दरअसल, पीड़िता के गर्भवती होने (करीब ढाई माह) का पता चलने के बाद उसके परिजनों ने एफआईआर दर्ज कराई थी. आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार), 506 (आपराधिक धमकी) और पोस्को एक्ट की धारा 6 के तहत मामला दर्ज हुआ.
जिला और हाईकोर्ट ने खारिज की थी जमानत
ट्रायल कोर्ट ने जमानत देने से इंकार कर दिया था. इसके बाद आरोपी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर की, जहां से भी उसे राहत नहीं मिली. हाईकोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि पोस्को के मामलों में नाबालिग की सहमति अप्रासंगिक है. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान आरोपी किशोर ने दलील दी कि संबंध आपसी सहमति से थे. हालांकि, कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा. सुनवाई के दौरान बताया गया कि यूपी सरकार पहले ही एक काउंटर-हलफनामा दाखिल कर चुकी है.
यूपी सरकार से सेक्स एजुकेशन पर सवाल क्यों?
इसके बावजूद पीठ ने निर्देश दिया कि सरकार एक अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करे, जिसमें साफ-साफ बताया जाए कि क्या हाईयर सेकेंडरी स्कूलों में सेक्स एजुकेशन को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है या नहीं. कोर्ट का मानना है कि अगर किशोरों को समय रहते शारीरिक और मानसिक बदलाव, यौन शिक्षा और उसके सामाजिक-नैतिक पहलुओं के बारे में जानकारी दी जाए, तो ऐसे मामलों में कमी आ सकती है. सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश न केवल इस मामले से जुड़ा है, बल्कि एक बड़े सामाजिक मुद्दे की ओर भी इशारा करता है—कि शिक्षा प्रणाली में किशोरों को यौन शिक्षा देना आज की जरूरत है. अब देखना यह होगा कि यूपी सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है और कब तक कोर्ट को अपना जवाब सौंपती है.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...
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First Published :
August 13, 2025, 22:27 IST