Last Updated:August 11, 2025, 16:57 IST
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई से इंकार किया. CJI बीआर गवई ने इसे प्रचार का साधन माना. याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने की सलाह दी गई. जिसके बाद याचिका को वापस ले लि...और पढ़ें

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में आज सीजेआई बीआर गवाई की बेंच के सामने चुनाव आयोग से जुड़ा मामला आया. याचिका में कहा गया कि देश में राजनीतिक दलों की उन कथित अवैध गतिविधियों पर निगरानी रखी जाए और उन्हें रोका जाए जो देश की संप्रभुता, अखंडता और एकता के लिए खतरा बन सकती हैं. CJI ने स्पष्ट कहा कि यह जनहित याचिका की आड़ में प्रचार का साधन प्रतीत होती है. कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया.
दरअसल, इस याचिका में राज्य चुनाव आयोगों को आपसी समन्वय के साथ एक संयुक्त योजना बनाने के निर्देश देने की मांग की गई थी. मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या यह मुद्दा बॉम्बे हाई कोर्ट में नहीं उठाया जा सकता था. कोर्ट ने कहा कि हमने बार-बार कहा है कि नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए जनहित याचिकाएं जरूरी हैं, लेकिन यह याचिका केंद्र सरकार या चुनाव आयोग की नीतियों से जुड़ी है और इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा क्यों खटखटाया गया.”
हाईकोर्ट का रुख क्यों नहीं किया?
पीठ ने यह भी साफ शब्दों में कहा कि सुप्रीम कोर्ट तभी सीधे दखल देता है, जब मौलिक अधिकारों के हनन का स्पष्ट मामला हो और उसके समाधान के लिए अन्य कोई प्रभावी वैधानिक उपाय उपलब्ध न हो. इस मामले में याचिकाकर्ता पहले संबंधित हाईकोर्ट का रुख कर सकता था. याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ से याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. अब याचिकाकर्ता के पास यह विकल्प है कि वह उचित मंच यानी हाई कोर्ट के माध्यम से इस मुद्दे को उठाए.
जनहित याचिका तभी सीधे सुप्रीम कोर्ट आएं….
याचिका में यह तर्क दिया गया था कि विभिन्न राज्यों के चुनाव आयोग अलग-अलग तरीके से काम करते हैं, जिससे राजनीतिक दलों की संदिग्ध गतिविधियों पर प्रभावी नियंत्रण नहीं हो पाता. एक इंटीग्रेटेड और समन्वित तंत्र के जरिए इन गतिविधियों की पहचान, रोकथाम और कार्रवाई अधिक प्रभावी ढंग से हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट के इस रुख ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि जनहित याचिकाओं का दायरा सीमित है और उन्हें सीधे सर्वोच्च न्यायालय में तभी दाखिल किया जाना चाहिए, जब वास्तव में संवैधानिक प्रावधान इसकी मांग करते हों.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...
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First Published :
August 11, 2025, 16:26 IST