बिहार के किस दलित नेता के आइडिया पर 56 साल पहले शुरू हुई राजधानी एक्सप्रेस

2 days ago

Last Updated:September 16, 2025, 15:41 IST

Story of Rajdhani Express: बिहार के एक सांसद और फिर केंद्रीय मंत्री बनने वाले नेता के आइडिया पर देश में राजधानी एक्सप्रेस का सिलसिला शुरू हुआ था. उसके बाद से अब तक देश तकरीबन हर राज्य की राजधानी इससे जुड़ चुकी है.

बिहार के किस दलित नेता के आइडिया पर 56 साल पहले शुरू हुई राजधानी एक्सप्रेस

बिहार के एक नेता ने 56 साल पहले देश में राजधानी एक्सप्रेस चलाने का आइडिया दिया था. जिस पर पहली बार 1969 में दिल्ली से हावड़ा के लिए राजधानी एक्सप्रेस चलाई गई. तब से अब तक देश में 26 इस तरह की उम्दा ट्रेनें देश में दिल्ली से कई राज्यों की राजधानी तक दौड़ रही हैं. ये ट्रेनें आरामदायक हैं तो तेज भी. भारत में ये ट्रेनें आज भी सबसे शानदार ट्रेनें मानी जाती हैं. हाल में भी दिल्ली से आइजोल तक करीब 6 बाद एक राजधानी एक्सप्रेस शुरू की गई है.

क्या आप जानते हैं कि बिहार के किस नेता ने ये काम किया था, जिसका नाम राजधानी एक्सप्रेस से हमेशा हमेशा के लिए जुड़ गया. भले ही आज किसी को उनका नाम मालूम हो. एक जमाने में वह बिहार के जाने माने नेताओं में थे.

इस नेता का था आइडिया

उनका नाम था राम सुभाग सिंह. 1969 में रेल मंत्री रहते हुए उन्हें देश की राजधानी से बंगाल की राजधानी को जोड़ने वाली ट्रेन चलाने का आइडिया आया. इसलिए उनकी इस ट्रेन का नाम ही राजधानी एक्सप्रेस रखा गया. उसके बाद आने वाले बरसों में देश के दूसरे राज्यों की राजधानियां भी दिल्ली के साथ राजधानी एक्सप्रेस से जुड़ती चली गईं. सितंबर 2025 तक भारत में कुल 26 राजधानी एक्सप्रेस ट्रेनें दौड़ रही हैं.

डॉ. राम सुहाग सिंह तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ (फाइल फोटो)

चार बार सांसद रहे

राम सुभाग सिंह बिहार के सांसद थे. उन्होंने इस राज्य में कई चुनाव क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व किया, जिनमें मुख्य रूप से बिहार के सासाराम, बिक्रमगंज और बक्सर शामिल हैं. वह अपने जमाने के दिग्गज नेताओं में थे. वह विदेश की मिसूरी यूनिवर्सिटी से पढ़े थे.

अमेरिका पढ़ने गए

उन्हें सुभाग सिंह के नाम से भी जाना जाता है. वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे. स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय तौर पर हिस्सा लिया था. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में महात्मा गांधी के साथ सक्रिय भूमिका निभाई. जवाहरलाल नेहरू के करीबी सहयोगी थे.उनका जन्म जुलाई 1917 में बिहार के भोजपुर जिले में हुआ. उन्होंने पत्रकारिता में पीएचडी प्राप्त करने के लिए अमेरिका के मिसौरी विश्वविद्यालय में अध्ययन किया.

1952 में वह बिहार के सासाराम निर्वाचन क्षेत्र से पहली लोकसभा के लिए चुने गए. कुल चार बार लोकसभा सदस्य रहे (1952, 1962, 1967 और 1971).  14 फरवरी 1969 से 4 नवंबर 1969 तक वह इंदिरा गांधी की सरकार में केंद्रीय रेल मंत्री रहे.

उन्हें बिहार की राजनीति में दलित समुदाय के प्रतिनिधि के रूप में जाना जाता था.  हालांकि जब इंदिरा गांधी ने कांग्रेस की दोफाड़ की तो वह उनकी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस ओ में ही रहे. इंदिरा गांधी वाली कांग्रेस में नहीं आए. तब वह लोकसभा में विपक्ष के नेता बने. उनका निधन 16 दिसंबर 1980 में दिल्ली में 64 साल की उम्र में हुआ.

दिल्ली से 1 मार्च 1969 को रवाना होती हुई देश की पहली राजधानी एक्सप्रेस. जिसे तब देश की सुपरफास्ट ट्रेन कहा गया था. (फाइल फोटो)

130 किमी की स्पीड से दौड़ने वाली पहली ट्रेन

जब 1 मार्च 1969 में तत्कालीन भारतीय रेल मंत्री राम सुभाग सिंह ने राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन को पहली बार रवाना किया तो वह चाहते थे कि भारत में एक हाई स्पीड, पूरी तरह वातानुकूलित, आरामदायक और तेज़ ट्रेन सेवा हो, जो देश की राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली को राज्यों की विभिन्न राजधानी शहरों से जोड़े. इसका उद्देश्य यात्रियों को बेहतर सुविधा और तेज़ यात्रा समय देना था. तब इस ट्रेन की स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटा के आसपास थी.

पहली राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन 1451 किमी की दूरी को 17 घंटे 20 मिनट में तय करती थी.अब भी इसका टाइम कमोवेश उतना ही है. इस ट्रेन को उस समय इस स्पीड से चलाना बहुत क्रांतिकारी कदम था, क्योंकि तब भारत की ट्रेनें 70 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से चला करती थीं. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस ट्रेन का स्वागत किया. उन्हीं के साथ बातचीत के बाद फरवरी 1969 के रेल बजट में इस खास ट्रेन की घोषणा की. तब इसे सुपरफास्ट ट्रेन कहा गया.

दिल्ली स्टेशन खचाखच भरा हुआ था

पहली राजधानी ट्रेन हावड़ा-दिल्ली मार्ग पर ही इसलिए चलाई गई, क्योंकि ये तकनीकी रूप से उन्नत था. तब दिल्ली-हावड़ा के बीच सबसे तेज ट्रेनें भी 20 घंटे से ज्यादा समय लेती थीं. यह 9 कोच वाली ट्रेन थी, जिसमें 2 पावर कार, 5 एसी चेयर कार, 1 एसी डाइनिंग कार और 1 एसी फर्स्ट क्लास कोच शामिल थे. इसकी टिकटों के लिए तब बहुत मारामारी होती थी.

एक यात्री के भाई ने याद किया कि जब 1 मार्च 1969 को ये ट्रेन दिल्ली से चलती तो स्टेशन पर भारी भीड़ थी. ट्रेन को “चमत्कार” कहा गया. यही ट्रेन फिर 3 मार्च को वापस लौटी. बाद में फिर अप और डाउन दो ट्रेनें शुरू हुईं. शुरू में इस ट्रेन के केवल तीन स्टॉपेज थे – कानपुर, मुगलसराय (अब पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन) और गोमोह.

तब ट्रेन में भोजन अनिवार्य था. चेयर कार का किराया 90 रुपए और स्लीपर का टिकट ₹290 था. शुरुआती दिनों में टिकटों की भारी मांग थी. यह ट्रेन आज भी प्रीमियम सेवा का प्रतीक है.

अब भी जिन राजधानियों से नहीं चलती राजधानी एक्सप्रेस

कुछ राज्यों की राजधानियों से सीधी राजधानी एक्सप्रेस दिल्ली के लिए अब भी नहीं चलती हैं.
गोवा (राजधानी: पणजी)
उत्तराखंड (राजधानी: देहरादून)
हिमाचल प्रदेश (राजधानी: शिमला)
छत्तीसगढ़ (राजधानी: रायपुर)
झारखंड (राजधानी: रांची)
मेघालय (राजधानी: शिलांग)
नगालैंड (राजधानी: कोहिमा)
मणिपुर (राजधानी: इंफाल)
अरुणाचल प्रदेश (राजधानी: ईटानगर)
सिक्किम (राजधानी: गंगटोक)
त्रिपुरा (राजधानी: अगरतला: हालांकि डिब्रूगढ़ राजधानी का विस्तार हुआ लेकिन सीधी ट्रेन नहीं)
लक्षद्वीप, अंडमान-निकोबार, पुदुचेरी (राजधानी को रेल नेटवर्क से सीधा संपर्क नहीं.

Sanjay Srivastavaडिप्टी एडीटर

लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...और पढ़ें

लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...

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Location :

Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh

First Published :

September 16, 2025, 15:41 IST

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