Last Updated:September 18, 2025, 20:19 IST
India Europe Relations: यूरोपीय यूनियन ने भारत को लेकर पांच 'पिलर्स' पर आधारित नया एजेंडा पेश किया लेकिन रूस से तेल खरीद और सैन्य अभ्यास पर चिंता जताई है.

नई दिल्ली: भारत और यूरोपीय यूनियन (EU) के रिश्तों को नई ऊंचाई देने के लिए ब्रसेल्स ने एक नया स्ट्रैटेजिक एजेंडा पेश किया है. इसमें व्यापार से लेकर रक्षा सहयोग तक पांच बड़े पिलर बताए गए हैं. लेकिन इस बार EU ने साफ कर दिया कि भारत के रूस से बने रिश्ते अब नजरअंदाज नहीं होंगे. यह पहली बार है जब EU ने खुले मंच पर कहा कि रूसी तेल खरीद और मॉस्को संग सैन्य अभ्यास रिश्तों में बाधा डाल सकते हैं.
ट्रंप का दबाव और EU की चाल
पिछले कुछ महीनों से अमेरिका भारत पर दबाव बढ़ा रहा है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से कच्चा तेल खरीदने को लेकर भारत पर 50% तक टैरिफ थोप दिए. अब वह EU पर दबाव बना रहे हैं कि भारत पर 100% तक टैक्स लगाओ. लेकिन EU ने फिलहाल अलग रास्ता चुना है. उसका मकसद भारत को दंडित करने से ज्यादा रूस की कक्षा से धीरे-धीरे बाहर लाना है. EU चाहती है कि भारत संग एक मजबूत फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) हो और रक्षा सहयोग गहराए.
पांच पिलर: रिश्तों का नया नक्शा
यूरोपीय कमीशन अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा, ‘अब वक्त है भरोसेमंद साझेदारों के साथ संबंधों को दोगुना मजबूत करने का.’ EU ने जिन पिलर्स पर फोकस किया है, उनमें शामिल हैं:
ट्रेड और निवेश: भारत-यूरोप FTA को जल्द से जल्द पूरा करना. रक्षा सहयोग: यूरोपीय हथियार कंपनियों का भारत के विशाल रक्षा बाजार में प्रवेश और भारत की डाइवर्सिफिकेशन की जरूरत. इंडो-पैसिफिक सहयोग: चीन पर निर्भरता घटाने के लिए भारत को अहम पार्टनर बनाना. टेक्नोलॉजी और सप्लाई चेन: क्रिटिकल मिनरल्स और चिप्स में साझेदारी. ग्लोबल गवर्नेंस: BRICS और SCO जैसे मंचों पर भारत की मध्यमार्गी भूमिका का इस्तेमाल.रूस फैक्टर पर EU की नाराजगी
EU की शीर्ष डिप्लोमैट काया कैलस ने साफ कहा कि भारत के रूस संग सैन्य अभ्यास (जैसे हालिया बेलारूस का Zapad Drill) और तेल खरीद रिश्तों में अड़चन डालते हैं. उन्होंने कहा, ‘अगर भारत हमारे साथ नजदीकी चाहता है, तो रूस की ऐसी गतिविधियों में भाग लेना हमारे लिए चिंता का विषय है.’
हालांकि EU ने यह भी जोड़ा कि वह भारत को रूस के कोने में धकेलना नहीं चाहता. दरअसल, यूरोप मानता है कि भारत BRICS और SCO जैसे मंचों पर रूस-चीन का संतुलन बना सकता है.
रक्षा सौदे से दोनों को फायदा
भारत अगले साल तक अपनी सेना और नौसेना को मॉडर्न बनाने पर €70 बिलियन से ज्यादा खर्च करने वाला है. रूस-यूक्रेन युद्ध में रूसी हथियारों की कमजोरी देखने के बाद भारत खुद भी डाइवर्सिफिकेशन की ओर बढ़ रहा है. ऐसे में यूरोपीय कंपनियां भारत के लिए विकल्प बन सकती हैं. वहीं भारत भी 2029 तक €5 बिलियन के रक्षा निर्यात का लक्ष्य रख रहा है. यानी लेन-देन दोनों तरफ से हो सकता है.
यूरोप के भीतर भी मतभेद
यूरोपीय देशों के भीतर भी मतभेद हैं. पोलैंड जैसे देश चाहते हैं कि 2026 तक यूरोप पूरी तरह रूसी तेल छोड़ दे. वहीं फ्रांस और जर्मनी भारत संग रिश्ते मजबूत करने को प्राथमिकता दे रहे हैं. जर्मनी ने तो भारत से व्यापार दोगुना करने का ऐलान कर दिया है. फ्रांस लगातार मोदी सरकार संग सुरक्षा और ऊर्जा सहयोग बढ़ा रहा है.
भारत का बैलेंसिंग गेम
भारत साफ कर चुका है कि वह रूस से पूरी तरह नाता नहीं तोड़ेगा. पीएम मोदी हाल ही में पुतिन और शी जिनपिंग के साथ मंच पर दिखे थे. लेकिन साथ ही यूरोप और अमेरिका संग भी रिश्ते बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. यही भारत की ‘मल्टी-एलाइन्मेंट डिप्लोमेसी’ है.
Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें
Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
September 18, 2025, 20:19 IST