Last Updated:September 18, 2025, 20:23 IST
Barabanki News: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में इंसाफ की एक अनोखी मिसाल देखने को मिली, जब ग्राम सेवकपुर निवासी 70 वर्षीय भगवती प्रसाद यादव को 40 साल पुराने चकबंदी विवाद में आखिरकार न्याय मिल गया. दशकों तक अदालतों के चक्कर लगाते-लगाते जब उम्मीद टूट चुकी थी, तभी जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी की संवेदनशील पहल ने उनकी जिंदगी बदल दी.

बाराबंकी. न्याय में देरी को अक्सर न्याय से वंचित करने के समान माना जाता है, लेकिन जब प्रशासनिक इच्छाशक्ति और संवेदनशीलता साथ आ जाए तो वर्षों पुराना अंधकार भी दूर हो सकता है. ऐसा ही हुआ बाराबंकी जिले में, जहां ग्राम सेवकपुर निवासी भगवती प्रसाद यादव को लगभग 40 साल बाद न्याय मिला. उनकी चकबंदी से जुड़ी लड़ाई दशकों से अदालतों में अटकी थी. भगवती प्रसाद यादव का मामला मसीउद्दीन बनाम माविया खातून नामक वाद से जुड़ा हुआ था. लगभग 40 वर्षों से यह मुकदमा चकबंदी न्यायालय में लंबित पड़ा था. इतने लंबे समय में समाज बदला, पीढ़ियां बदल गईं, लेकिन उनके जीवन में न्याय की उम्मीद धुंधली होती चली गई. परिवार और समाज में कई बार उन्होंने हार मान लेने का विचार किया, पर दिल के किसी कोने में उम्मीद की छोटी सी लौ अब भी टिमटिमा रही थी.
जनता दर्शन में उठी आवाज
जून 2025 में थक-हारकर उन्होंने जिलाधिकारी के जनता दर्शन में अपनी व्यथा सुनाई. शायद उन्हें भी विश्वास नहीं था कि इतने पुराने मामले पर अब कोई ठोस कदम उठाया जा सकेगा. लेकिन जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने इस मामले को एक पीड़ित नागरिक के संघर्ष के रूप में देखा. उन्होंने तत्काल आदेश दिए कि वाद का शीघ्र निस्तारण किया जाए.
11 सितम्बर को मिला फैसला
प्रशासन की तत्परता का नतीजा यह हुआ कि 11 सितम्बर 2025 को चकबंदी न्यायालय ने मामले की सुनवाई पूरी कर अंतिम निर्णय सुना दिया. गुण-दोष के आधार पर आया यह निर्णय भगवती प्रसाद यादव के पक्ष में रहा और उन्हें वह न्याय मिला जिसकी उम्मीद लगभग टूट चुकी थी.
भावुक हुए पीड़ित, प्रशासन की तारीफ
निर्णय के बाद जिलाधिकारी से मिलने पहुंचे भगवती प्रसाद यादव की आंखों में खुशी और राहत साफ झलक रही थी. भावुक स्वर में उन्होंने कहा कि करीब 40 साल से उम्मीद टूट चुकी थी, पर जिलाधिकारी महोदय की तत्परता ने मुझे फिर से विश्वास दिलाया है कि न्याय मिलता है, बस इसके लिए संवेदनशील नेतृत्व चाहिए. इस अवसर पर जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने कहा कि न्याय में देरी, न्याय से वंचित करने के समान है. हमारा लक्ष्य है कि कोई भी वाद वर्षों तक लंबित न रहे। समयबद्ध और पारदर्शी समाधान ही सुशासन की असली पहचान है.
पूरे समाज को मिला संदेश
यह घटना केवल एक व्यक्ति के लिए न्याय की प्राप्ति नहीं है, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा है. इसने साबित किया कि प्रशासन यदि संवेदनशीलता और ईमानदारी से कार्य करे तो कोई भी समस्या असंभव नहीं.
Location :
Lucknow,Uttar Pradesh
First Published :
September 18, 2025, 20:23 IST
बाराबंकी में 40 साल बाद न्याय, जिलाधिकारी की पहल से खत्म हुआ चकबंदी विवाद