Last Updated:August 11, 2025, 16:10 IST
बिहार चुनाव से पहले नेताओं का पाला बदलने का खेल शुरू हो गया है. अली अनवर और भागीरथ मांझी कांग्रेस में शामिल हुए हैं. सवाल है कि दलबदलूओं की पहली पसंद कौन बनेगा- एनडीए, महागठबंधन या जन सुराज?

पटना. बिहार चुनाव से पहले कयासों की बारिश के बीच पाला बदलने का खेल शुरू हो गया है. नेता इस खेमे से उस खेमे और इस पार्टी से उस पार्टी में पहुंचने लगे हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या दलबदलुओं की वजह से राजनीतिक पार्टियों का गणित बिगाड़ेगा? जेडीयू में कभी पसमांदा मुस्लिमों का चेहरा रहे पूर्व राज्यसभा सांसद अली अनवर अब कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. सीएम नीतीश कुमार ने सालों पहले जिस दशरथ मांझी को जनता दरबार में सीएम की कुर्सी पर बैठाया था, उसी माउंटमेन दशरथ मांझी का पुत्र भागीरथ मांझी ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है. इसी तरह भभुआ सीट से विधायक भरत बिंद समेत अब तक पांच आरजेडी और दो कांग्रेस के विधायक एनडीए यानी बीजेपी और जेडीयू में में शामिल हो चुके हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आने वाले दिनों में दलबदलुओं की पहली पसंद प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज होगी या फिर एनडीए और महागठबंधन?
जातीय समीकरणों के चक्रव्यूह में फंसे नेता अब टिकट की आस में इधर-उधर भाग रहे हैं. आइए, इस सियासी ड्रामे की परतें खोलते हैं, जहां हर विधायक की नींद उड़ी हुई है और हर पार्टी के दरवाजे पर दस्तक हो रही है. बिहार विधानसभा में 243 सीटें हैं, और 2020 के चुनाव में राजद ने 75, बीजेपी ने 74, जेडीयू ने 43 और कांग्रेस ने 19 सीटें जीती थीं. लेकिन अब टिकट कटने का डर सता रहा है.
किस पार्टी के कितने नेता छोड़ेंगे पार्टी?
चुनावी रणभूमि में आरजेडी फिलहाल दल-बदलुओं की ‘पहली पसंद’ बनकर उभरती नजर आ रही है. इसके बाद पीके पीर्टी जन सुराज और फिर मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी है. पाला बदलने वाले नेताओं और टिकट की चाह रखने वाले नेताओं की पहली पसंद है. बिहार की सियासत में फिर से ‘पलटू राम’ का दौर शुरू हो गया है! विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही पाला बदलने का खेल तेज हो चला है. पुरानी कहावत है ‘जब चुनाव आएगा, तो विधायक भागेगा.’ लेकिन सवाल यह है कि दलबदलुओं की पहली पसंद कौन सा खेमा बनेगा? एनडीए की बीजेपी या इंडिया गठबंधन की राजद? या फिर प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी जैसा नया ठिकाना?
सूत्रों के मुताबिक, जेडीयू के करीब 15-20 विधायक बेचैन हैं. वजह? नीतीश कुमार की घटती लोकप्रियता और पार्टी का खराब प्रदर्शन. 2020 में जेडीयू का वोट शेयर 15.39% तक गिर गया था और अब एंटी-इनकंबेंसी की लहर है. एक वरिष्ठ जेडीयू विधायक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘नीतीश जी की उम्र हो गई, पार्टी में नई लीडरशिप की कमी है. टिकट कटेगा तो कहां जाएंगे?’ इसी तरह, बीजेपी के 10-12 विधायक भी डरे हुए हैं. पार्टी ऊपरी जातियों और ईबीसी पर मजबूत है, लेकिन चिराग पासवान की एलजेपी और जितन राम मांझी की हम जैसी छोटी पार्टियां सीटों की मांग कर रही हैं. एलजेपी 30-35 सीटें मांग रही है, जिससे बीजेपी विधायकों की कुर्सी डगमगा रही है.
वहीं, इंडिया गठबंधन में राजद के 12-15 विधायक टिकट कटने से परेशान की खबर आ रही है. तेजस्वी यादव युवाओं और एमवाई (मुस्लिम-यादव) वोट बैंक पर दांव लगा रहे हैं, लेकिन परिवारवाद के आरोपों से पार्टी में असंतोष है. कांग्रेस के 8-10 विधायक भी चिंतित हैं, क्योंकि गठबंधन में सीट शेयरिंग पर झगड़ा है. सीपीआई(एमएल) और वीआईपी जैसी छोटी पार्टियां 105 सीटें मांग रही हैं, जबकि कांग्रेस 70 चाहती है.
दलबदलुओं की पहली पसंद?
यहां जातीय समीकरण खेलते हैं. ऊपरी जाति (भूमिहार, राजपूत) के नेता बीजेपी की ओर रुख करते हैं, क्योंकि मोदी फैक्टर और हिंदुत्व अपील मजबूत है. ईबीसी और कुर्मी नेता जेडीयू या बीजेपी चुनते हैं, लेकिन नीतीश की कमजोरी से कुछ राजद की ओर जा सकते हैं. यादव और मुस्लिम नेता राजद पसंद करते हैं, जहां तेजस्वी का युवा चेहरा आकर्षित करता है. लेकिन प्राशांत किशोर की जन सुराज एक नया विकल्प बन रही है.
कुल मिलाकर, यह चुनाव ‘पाला बदल’ का महाकुंभ है. जातीय समीकरण तय करेंगे कि यादव राजद में रहेंगे या बीजेपी की ओर झुकेंगे, दलित एलजेपी में या सीपीआई(एमएल) में. लेकिन एक बात साफ है- वोटर थक चुके हैं. अगर दलबदलू जीत गए, तो सवाल उठेगा कि क्या बिहार में सिद्धांतों की राजनीति बची है? चुनाव से पहले यह ड्रामा और तेज होगा, और शायद कुछ बड़े नाम पाला बदलकर सबको चौंका देंगे. इंतजार कीजिए, बिहार की सियासत कभी निराश नहीं करती.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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First Published :
August 11, 2025, 16:10 IST