Last Updated:September 16, 2025, 14:59 IST
Arundhati Roy Controversy: अरुंधति रॉय के भारत पर 'स्थायी युद्ध' वाले बयान ने सोशल मीडिया पर विवाद खड़ा कर दिया है. आनंद रंगनाथन और कंवल सिब्बल समेत कई लोगों ने तीखी आलोचना की.

Arundhati Roy Controversy: प्रसिद्ध लेखिका अरुंधति रॉय एक बार फिर विवादों के केंद्र में आ गई हैं. स्वतंत्रता के बाद से भारत पर अपने ही नागरिकों के खिलाफ ‘स्थायी युद्ध’ छेड़ने का आरोप लगाने की टिप्पणियों ने सोशल मीडिया पर भारी आलोचना खड़ी कर दी है. रॉय ने कश्मीर, मणिपुर, नागालैंड, मिजोरम, तेलंगाना, पंजाब, गोवा और हैदराबाद जैसे क्षेत्रों का जिक्र करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक भारत ने ऊपरी जाति हिंदू राज्य के रूप में अपने ही लोगों पर युद्ध किया है, जबकि पाकिस्तान ने ऐसा कभी नहीं किया.
इस बयान ने नेटिजंस को भड़का दिया है, जिन्होंने इसे इतिहास का विकृतिकरण और देश-विरोधी करार दिया है. लेखक आनंद रंगनाथन ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें रॉय की ये टिप्पणियां दर्ज हैं. रंगनाथन ने लिखा, “जब अप्रतिरोध्य खरपतवार अटल भ्रम से टकराता है.” उन्होंने व्यंग्य किया कि रॉय के अनुसार 1961 में भारत द्वारा गोवा की मुक्ति वास्तव में ऊपरी जाति हिंदू राज्य द्वारा ईसाइयों के खिलाफ युद्ध था. रंगनाथन के पोस्ट को हजारों व्यूज मिले और कई यूजर्स ने इसे रीपोस्ट करते हुए रॉय की आलोचना की. एक यूजर ने लिखा, “उनकी पाखंडिता स्पष्ट है. भारत के खिलाफ जहर उगलते हुए तथ्यों को तोड़-मरोड़कर हिंदुओं को खलनायक बनाती हैं, जबकि पाकिस्तान के खूनी इतिहास को सफेद करती हैं. पाकिस्तान ने अपने लोगों के खिलाफ सेना नहीं भेजी, यह हास्यास्पद है.”
अरुंधति का बयान
When irresistible weed meets immovable hallucination.
According to Arundhati Roy, the 1961 liberation of Goa by India was in reality an Upper-caste Hindu State waging a war against Christians. pic.twitter.com/YXLqaxgskD
पूर्व भारतीय विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने रंगनाथन के पोस्ट को रीशेयर करते हुए रॉय को “अपने देश के खिलाफ विषैली” और “गहन रूप से हिंदू-विरोधी” बताया. सिब्बल ने आरोप लगाया कि रॉय भारतीय राज्य के खिलाफ आतंकवाद का समर्थन करती हैं और सत्य को विकृत करके अपनी सांप्रदायिक व अराजक एजेंडे को बढ़ावा देती हैं. उन्होंने रॉय की पाकिस्तान वाली तुलना को चुनौती देते हुए कई सैन्य अभियानों का जिक्र किया: 2014 का ऑपरेशन जरब-ए-अजब (उत्तर वजीरिस्तान में), 2009 का ऑपरेशन राहत-ए-निजात (दक्षिण वजीरिस्तान में), मुशर्रफ के 2006 के बालोच विद्रोहियों के खिलाफ अभियान जिसमें नवाब अकबर बुगती पर तोपखाने का इस्तेमाल हुआ और 2024 का चल रहा ऑपरेशन आजम-ए-इस्तिहकाम.
सिब्बल के पोस्ट पर एक यूजर ने कमेंट किया, “उनकी कटुता साफ दिख रही है. पाकिस्तान का रिकॉर्ड सार्वजनिक है, फिर भी वह सफेदी कर रही हैं.” सोशल मीडिया पर आलोचना की बाढ़ आ गई है. कई यूजर्स ने रॉय पर इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने का आरोप लगाया. एक यूजर ने लिखा, “ईमानदारी से कहें तो, वह जानती हैं कि हर बार मुंह खोलने पर सनसनीखेज बयान देना अपेक्षित है.” एक अन्य ने सवाल किया, “सर, भारत को उनकी नागरिकता रद्द करने से क्या रोक रहा है? उनके बयान पर्याप्त कारण नहीं हैं?” कुछ ने उनकी नागरिकता रद्द करने की मांग की, जबकि अन्य ने इसे हिपोक्रिसी करार दिया. एक्स पर #ArundhatiRoy जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे, जहां यूजर्स ने पाकिस्तान के बांग्लादेश, बालोचिस्तान और अफगानिस्तान में सेना की कार्रवाइयों का हवाला दिया.
रॉय अपनी किताबों और लेखों के लिए जानी जाती हैं, अक्सर राजनीतिक मुद्दों पर विवादास्पद बयान देती रही हैं. 2010 में कश्मीर पर उनकी टिप्पणियों के बाद भी विवाद हुआ था. विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे बयान न केवल राष्ट्रीय एकता को प्रभावित करते हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को भी नुकसान पहुंचाते हैं. हालांकि, रॉय के समर्थक इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मानते हैं, लेकिन आलोचक इसे देशद्रोही करार दे रहे हैं.
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First Published :
September 16, 2025, 14:53 IST