Last Updated:July 26, 2025, 10:57 IST
Kargil Ki Kahani: पहले बंकर पर हमले से पहले कैप्टन केंगुरुसी ग्रेनेड की चपेट में आ गए थे. वाबूजद इसके वह हिम्मत नहीं हारे और जख्मी हालत में 16000 फीट की बर्फीली चट्टान पर चढ़कर दुश्मन का खात्मा किया. देश क...और पढ़ें

हाइलाइट्स
द्रास सेक्टर तक पाकिस्तानी सेना ने बना लिए थे बंकर.राजपूताना राफल्स को मिली दुश्मन को ठिकाने लगाने की जिम्मेदारी.कैप्टन केंगुरुसी ने दी थी द्रास सेक्टर की लड़ाई में शहादत.Kargil Ki Kahani: यह कहानी कारगिल युद्ध में तिरंगे के लिए अपने प्राणों की आहूति देने वाले कैप्टन नेइकझुको केंगुरुसी की है. यह बात 1999 में जून के आखिरी दिनों की है. घुसपैठियों के भेष में आई पाकिस्तानी सेना ने द्रास की चोटियों पर कब्जा जमा लिया था. सामरिक रूप से बेहद अहम इन चोटियों पर बैठा दुश्मन न केवल नेशनल हाईवे वन-ए पर नजर रख सकता था, बल्कि भारतीय सेना के काफिलों को भी निशाना बना सकता था. ऐसे में, भारतीय सेना के लिए दुश्मन को खत्म करना और द्रास को वापस अपने नियंत्रण में लेना जरूरी हो गया था. लेकिन, यह चुनौती आसान नहीं थी, क्योंकि दुश्मन ऊंचाई पर बैठा था और हर तरह से फायदे की स्थिति में था.
इस असंभव मिशन को अंजाम देने की जिम्मेदारी राजपूताना राइफल्स की असाल्ट टीम को सौंपी गई. इस टीम का नेतृत्व कैप्टन नेइकझुको केंगुरुसी कर रहे थे. 28 जून 1999 को कैप्टन केंगुरुसी को ब्लैक रॉक पर स्थित दुश्मन की मशीनगन पोस्ट को नेस्तनाबूद करने का ऑर्डर मिला. यह मशीनगन भारतीय सेना के अभियान में लगातार बाधा डाल रही थी. ब्लैक रॉक पर कब्जा करना आसान नहीं था. दुश्मन ने अपनी चौकी को सात बंकरों से घेर रखा था, जिसमें भारी संख्या में पाकिस्तानी सैनिक तैनात थे. रास्ता खतरनाक था, क्योंकि यह दुश्मन की मशीनगन और आर्टिलरी की सीधी रेंज में था. फिर भी, कैप्टन केंगुरुसी और उनकी टीम ने हार न मानी और जीत के इरादे से आगे बढ़ गए.
ग्रेनेड की चपेट में आए कैप्टन केंगुरुसी, लेकिन…
कैप्टन केंगुरुसी अपनी टीम के साथ दुश्मन के पहले बंकर के करीब पहुंचने में कामयाब हो गए. इसी बीच, दुश्मन को इस बात की भनक लग गई कि भारतीय सेना उनके बेहद करीब पहुंच गई है. इस बात की भनक लगते ही दुश्मन ने ग्रेनेड से कैप्टन केंगुरुसी और उनकी टीम पर हमला कर दिया. इस हमले में कैप्टन केंगुरुसी के पेट में कई छर्रे धंस गए और वह गंभीर रूप से जख्मी हो गए. गंभीर रूप से जख्मी होने के बावजूद उनके हौसले में रत्ती भर की कमी नहीं आई. उन्होंने अपने साथियों का हौसला बढ़ाया और रॉकेट लांचर से दुश्मन के पहले बंकर को ध्वस्त कर दिया. इस कार्रवाई में दुश्मन के कई सैनिक मारे गए.
-10 डिग्री टेंपरेचर में नंगे पांव बर्फीली चट्टान पर चढ़ाई
पहली जीत के बाद, कैप्टन केंगुरुसी ने दुश्मन के दूसरे बंकर की ओर रुख किया. इस बंकर तक पहुंचना इतना आसान नहीं था. दुश्मन के दूसरे बंकर तक पहुंचने के लिए कैप्टन केंगुरुसी और उनकी टीम को -10 डिग्री सेल्सियस की हाड कंपा देने वाली ठंड में 16,000 फीट की बर्फीली चट्टान पर रस्सी के सहारे चढ़ना था. चूंकि जूते बर्फ में फिसल रहे थे, लिहाजा उन्होंने नंगे पांव चढ़ाई का फैसला किया. भारतीय जांबाजों के लिए यह निर्णय आसान नहीं था. नंगे पांव, खून जमा देने वाली ठंड में सभी भारतीय जांबाज नकेवल बर्फीली दीवार पर चढ़े, बल्कि दुश्मन के बंकर तक पहुंचने में कामयाब हो गए.
गोली हुई खत्म तो खंजर से किया दुश्मनों का अंत
दूसरे बंकर तक पहुंचने पर कैप्टन केंगुरुसी की गोलियां खत्म हो चुकी थीं. उनके पास अब केवल एक खंजर बचा था. फिर भी, उन्होंने हार नहीं मानी. खंजर हाथ में थामे वे दुश्मन पर टूट पड़े. अचानक हुए इस हमले से दुश्मन घबरा गया. बंकर में मौजूद पाकिस्तानी सैनिकों के साथ भयंकर हाथापाई हुई, लेकिन कैप्टन केंगुरुसी ने अपने खंजर से दो दुश्मन सैनिकों को मार गिराया. उनके इस साहस ने दुश्मन को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया.
और उन्हें खाई में ले गई गोलियों की तेज बौछार
दो बंकरों को नष्ट करने के बाद भी कैप्टन केंगुरुसी का जोश ठंडा नहीं पड़ा. वे तीसरे बंकर की ओर बढ़े, लेकिन तभी दुश्मन की मशीनगन ने गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. कई गोलियां उनके शरीर को भेद गईं और वे गहरी खाई में गिर पड़े. महज 25 वर्ष की उम्र में कैप्टन नेइकझुको केंगुरुसी ने देश के लिए अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दे दिया. उनकी वीरता और साहस के लिए उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया, जो देश का दूसरा सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है. वे सेना सेवा कोर (एएससी) के पहले ऐसे अधिकारी थे, जिन्हें यह सम्मान मिला था.
Anoop Kumar MishraAssistant Editor
Anoop Kumar Mishra is associated with News18 Digital for the last 3 years and is working on the post of Assistant Editor. He writes on Health, aviation and Defence sector. He also covers development related to ...और पढ़ें
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