Last Updated:April 15, 2025, 18:49 IST
INDIA ELITE CLUB MEMBER: आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया जैसी पहल से देश में स्वदेशी निर्माण और रिसर्च को एक नई दिशा दी. अभी तक भारत विदेशी तकनीक पर निर्भर था लेकिन अब दुनिया भारत पर निर्भर हो रहा है. भारत ने ...और पढ़ें

मेक इन इंडिया बना देश के लिए गेमचेंजर
हाइलाइट्स
भारत ने रक्षा और अंतरिक्ष में आत्मनिर्भरता हासिल की.भारत ने हाई पावर्ड लेजर बेस्ड डायरेक्ट एनर्जी वेपन विकसित किया.भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की.INDIA ELITE CLUB MEMBER: दुनिया में भारत को पहले एक बाजार के तौर पर देखा जाता था. इतना बड़ा देश दूसरे देशों पर निर्भर था. लेकिन अब यह बीते दिनों की बात हो गई. अब भारत ने हर क्षेत्र में आत्मनिरभर्ता की ऐसी रफतार पकड़ी कि दुनिया के तमाम देशों को पीछे छोड़ दिया. मेक इन इंडिया मुहीम ने देश की पूरी तस्वीर ही बदल दी है. देश स्वदेशीकरण और आत्मनिरभर्ती की तरफ बढ़ तो रहा था. पिछले एक दशक के भीतर यह कोशिश अपने टॉप स्पीड पर है. भारत अब विश्व गुरू बनने की राह पर अग्रसर है. आत्मनिर्भरता से आत्मविश्वास बढ़ा है. रक्षा और अंतरिक्ष के क्षेत्र में अब भारत दुनिया के एलीट देशों में शुमार हो गया है.
भारत ने छुआ मील की पत्थर
रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र में जो काम पिछले 10 साल में तेजी से हुआ वह वाकय काबिले कारीफ है.भारतीय सेना के तीनों अंगों में अब स्वदेशी हथियारों की ही प्राथमिकता दी जा रही है. तो अपने सैटेलाइट को छोड़ने के लिए दूसरे देशों की तरफ नहीं देखना पड़ रहा है. DRDO ने मेहनत करके ऐसे उपकरण इजाद कर दिए अब दूसरे देशओं की तरफ देखना भारत ने देखना छोड़ दिया.
DIRECT ENERGY WEAPON: एसिमेट्रिक वॉरफेयर के जमाने में चुनौती से निपटने के लिए लेजर बेस्ड डायरेक्ट एनर्जी वेपन पर काम करना शुरू कर दिया था. अब तक हाई पावर्ड लेजर बेस्ड डायरेक्ट एनर्जी वेपन सिर्फ चीन,अमेरिका और रूस के पास ही मौजूद थे. लेकिन डीआरडीओ की मेहनत ने भारत को इस एलीट ग्रुप का हिस्सा बना दिया. रविवार को भारत ने अपने हाई पावर्ड लेजर बीम से फिक्सड विंग एयरक्राफ्ट गिराकर नया अध्याय जोड़ दिया.डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) Mk-II (A) के नाम से जाना जाता है.
HYPERSONIC MISSILE: भारत ने Active Cooled Scramjet तकनीक के साथ हाइपरसोनिक मिसाइलों के क्षेत्र में कदम रखा. यह एक स्वदेशी ईंधन से संचालित मिसाइल है. यह आवाज की गति से पांच गुना तेज रफतार चलती है. हाईपरसोनिक मिसाइल तकनीक भी सिर्फ दुनियों के कुछ ही देशों के पास मौजूद है
MIRV (Multiple Independently Targetable Re-entry Vehicle): इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-5 के नए अवतार का पिछले साल सफल परिक्षण किया गया था. मिशन दिव्यास्त्र के सफल परीक्षण की जानकारी खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी थी. भारत अब उन चुनिंदा देशों में शुमार हो गया है जिसके पास लंबी दूरी की इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल जिससे एक नही कई सारे वॉरहेड को दागा जा सकता है. अब तक अमेरिका,चीन, रूस, यूके और फ़्रांस के बाद अब भारत इस लीग में शामिल हो गया है. MIRV मतलब मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल रीएंट्री वेहिकल तकनीक है.
MISSION SHAKTI: भारत ने अंतरिक्ष में किसी भी टार्गेट को निशाना बनाने का हथियार बना लिया है. भारत ने साल 2019 में एंटी-सैटेलाइट मिसाइल की क्षमता हासिल की. यह तकनीक भी दुनिया के गिने-चुने देशों के पास ही मौजूद है.
AIRCRAFT CARRIER: 2 सिंतबर 2022 ये वो तारीख थी जब भारत की स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर नौसेना में शामिल कर लिया गया. इसके शामिल होते ही भारत दुनिया के उन चुनिंदा 6 देशों में शामिल हो गया जिनके पास 40 हजार टन वजनी एयरक्रफ्ट कैरियर को न सिर्फ डिजाइन बल्कि उनका निर्माण भी कर सकते हैं.
ISRO की लंबी छलांग: साल 2023 में भारत ने ऐसा कारनामा कर दिखाया जो किसी ने कभी सोचा भी नहीं था. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर को सफलतापूर्वक लैंडिंग कर इतिहास रच दिया. ऐसा करने वाला भारत पहला देश है. इसके साथ ही अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथा देश है जिसने चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की. भारत ने 2017 में एक साथ 104 सैटेलाइट को अंतरिक्ष की कक्षा में भेजकर वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किया. हाल ही में SpaDEx मिशन के तहत भारत ने सैटेलाइट डॉकिन्ग और अनडॉकिन्ग की तकनीक में महारत हासिल की. यह तकनीक सिर्फ चार देशों के पास है. इसके अलावा क्रायोजेनिक इंजिन मेन्यूफैक्चरिंग फैसेलिटी स्थापित करके रॉकेट तकनीक में आत्मनिर्भर बन गया. यह तकनीक अमेरिका, फ्रांस, रूस, चीन और जापान के बाद अब भारत के पास भी है.
First Published :
April 15, 2025, 18:49 IST