Last Updated:November 14, 2025, 17:38 IST
Bihar Chunav Parinam : बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे एक बार फिर साबित करते हैं कि राजनीति में सिर्फ वादों का अंबार नहीं, बल्कि जमीन पर हुई डिलीवरी ही निर्णायक बनती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्यापक लोकप्रियता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विश्वसनीयता तो एनडीए की जीत का आधार थे ही, लेकिन असली बढ़त उन्हें उस राजनीतिक संतुलन और योजनाओं की सूक्ष्म रणनीति ने दी जो सीधे जनता की रोजमर्रा की जिंदगी को छू रही थी.
बिहार चुनाव में नीतीश सरकार की योजनाओं का लाभ एनडीए की जीत का निर्णायक कारण बना.पटना. बिहार विधानसभा के चुनाव परिणाम कई मायनों में हैरान करने वाले हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपार लोकप्रियता के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विश्वसनीय चेहरा तो बहुत बड़ा फैक्टर है ही, इसके साथ ही भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति ने बिहार में एनडीए की प्रचंड जीत की कहानी की पटकथा तैयार कर दी थी. लेकिन, इस पटकथा में सियासी तड़का उन योजनाओं का भी था जो जनता तक सीधे पहुंच रही थी, जिसका लाभ सीधे जनता तक पहुंच रहा था. हालांकि, विरोधी पक्ष की ओर से भी लगातार योजनाओं की बरसात की जा रही थी. खास बात यह कि जो भी योजनाएं एनडीए की ओर से आतीं उससे बढ़-चढ़कर लाभ देने का वादा विपक्षी महागठबंधन की ओर से किया जाता. लेकिन, बिहार के राजनीतिक गुणा-गणित में डिलीवरी कर देने और डिलीवरी करने का वादा करने के बीच का अंतर चुनाव परिणाम में साफ-साफ दिखा.
महागठबंधन ने वादा किया, एनडीए ने भरोसा बढ़ाया
खास बात यह है कि बिहार के चुनावी मैदान में इस बार दिलचस्प मुकाबला सिर्फ वोटों का नहीं था, बल्कि वादे बनाम डिलीवरी का था. एनडीए की ओर से लाई गई कई योजनाएं भले ही क्षमता में सीमित दिखती हों, लेकिन वे समय से पहले, सबसे बड़े पैमाने पर और सबसे विश्वसनीय रूप में जनता तक पहुंच चुकी थीं. इसके विपरीत, महागठबंधन ने हर योजना पर ओवरबिड किया. आप यूं कह सकते हैं ऐसी कई योजनाएं एनडीए और महागठबंधन की ओर से लाई गईं जो देखने-समझने में तो एक जैसी थीं, लेकिन उसके लाभ में बड़ा अंतर था.
महागठबंधन ने बोली बढ़ाई, एनडीए ने लाभ भेज दिया
कई मामलों में एनडीए की कम क्षमता वाली लाभार्थी योजनाएं लेकर आया, लेकिन महागठबंधन ने उससे बढ़-चढ़कर घोषणा की. एनडीए ने 125 यूनिट की बिजली की घोषणा की तो महागठबंधन ने 200 यूनिट फ्री देने की घोषणा कर दी. वहीं, कांग्रेस ने 300 यूनिट बिजली फ्री करने की घोषणा की थी. इसी तरह माई बहन मान योजना के तहत तेजस्वी यादव ने महिलाओं के खाते में 2500 रुपये महीने के हिसाब से आगामी 14 जनवरी को एकमुश्त 30000 रुपए देने का वादा किया. लेकिन, इसके पहले ही एनडीए की ओर से महिला स्वरोजगार योजना के तहत 10000 रुपये जीविका दीदियों के खाते में भेज दिए गए.
वादों का चुनाव नहीं, भरोसे का जनादेश
वहीं, इसके बाद आगे की योजनाओं पर भी महागठबंधन की सरकार में 1500 रुपए महीने वृद्धा पेंशन देने की घोषणा की, लेकिन नीतीश सरकार ने ₹400 से बढ़ाकर ₹1100 वृद्धा पेंशन कर दिया. यही नहीं उन्होंने इसकी डिलीवरी भी पिछले 3 महीने से करनी शुरू कर दी थी. इससे भी आगे तेजस्वी यादव ने हर घर नौकरी का वादा कर दिया जो जनता के गले ही नहीं उतरी, इसके उलट एनडीए ने कहा कि वह 10 लाख और सरकारी नौकरी देंगे और कुल 1 करोड़ रोजगार के मौके सृजित करेंगे. जाहिर तौर पर इस वादे पर जनता को अधिक भरोसा हुआ और इसका असर सीधा पड़ा.
बिहार ने फिर नीतीश-मोदी पर भरोसा जताया
जारनकारों की नजर में बिहार की जनता ने एक बार नीतीश कुमार के की डिलीवरी पर भरोसा जताया ना कि तेजस्वी यादव के वादों पर. इन चुनाव परिणामों से निष्कर्ष बिल्कुल स्पष्ट है कि बिहार की जनता अब वादों पर नहीं, बल्कि योजनाओं की विश्वसनीयता और समयबद्ध डिलीवरी को प्राथमिकता देती है. महागठबंधन के पास घोषणाएं थीं, लेकिन एनडीए के पास ट्रैक रिकॉर्ड और ठोस क्रियान्वयन. यही अंतर वोटों में बदल गया. इस चुनाव ने बिहार की राजनीति को यह कठोर संदेश दिया है कि भविष्य उन्हीं का है जो योजना का ऐलान नहीं, बल्कि उसका लाभ जनता तक पहुंचाने की गारंटी दे सकते हैं.
पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें
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First Published :
November 14, 2025, 17:38 IST

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