Last Updated:December 08, 2025, 13:06 IST
Cyber Crime News: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के इंटर स्टेट सेल ने एक बड़े साइबर अपराध नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, जिसमें पूरे भारत में 6.33 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई है. यह गिरोह SEBI पंजीकृत ब्रोकर बनकर ऑनलाइन निवेश के नाम पर लोगों को लूटा करता था. 50 लाख के एक मामले की जांच के दौरान ओडिशा से तीन मुख्य आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं, जो 165 से अधिक साइबर शिकायतों से जुड़े हैं.

नई दिल्ली. अगर आप भी सोशल मीडिया पर आसानी से ज्यादा मुनाफा कमाने के झांसे में आकर ऑनलाइन निवेश करते हैं, तो यह खबर आपके लिए एक बड़ी चेतावनी है. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक ऐसे साइबर ठग गिरोह को दबोचा है, जिसके देशभर में पूरा जाल फैला हुआ था. दिल्ली पुलिस ने ओडिशा के रहने वाले पांडा फैमिली के तीन सदस्यों को गिरफ्ताार किया है. खास बात यह है कि 27 साल से लेकर 41 साल तक के ये तीनों शख्स एक ऐसे साइबर सिंडिकेट चला रहे थे, जिसने फर्जी निवेश योजनाओं के माध्यम से अबतक 6.33 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है. इन तीनों के पास से 17 मोबाइल फोन, 21 सिम कार्ड, 124 एटीएम कार्ड, 25 चेकबुक और कैश गिनने वाली एक मशीन बरामद की गई है. आइए जानते हैं तीनों सोशल मीडिया पर सेबी के स्टॉक ब्रोकर बनकर कैसे लूटते थे?
मामले की शुरुआत तब हुई, जब एक शिकायतकर्ता को अज्ञात लोगों ने खुद को सेबी पंजीकृत स्टॉकब्रोकर बताया. ठगों ने उन्हें सेकेंडरी स्टॉक्स, प्री-आईपीओ शेयरों और ऑफ-मार्केट ट्रेडों में निवेश करने के लिए लुभाया. इन साइबर ठगों ने शिकायतकर्ता को ट्रस्ट बनाने के तरीके बताए. आरोपियों ने पीड़ितों का भरोसा जीतने के लिए छेड़छाड़ किए गए वेब एप्लिकेशन और जाली सेबी प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल किया.
दिल्ली पुलिस ने बड़े साइबर रैकेट किया खुलासा
शिकायतकर्ता साइबर ठग के चंगुल में आखर 49 लाख 73 हजार आरोपियों द्वारा दिए गए अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिए. जांच में पता चला कि यह सभी खाते ‘म्यूल खाते’ थे, जिन्हें ओडिशा से संचालित किया जा रहा था. दिल्ली पुलिस ने इंटर स्टेट सेल की गहन वित्तीय जांच में ‘मेसर्स श्रीजी अपैरल्स’ नामक एक फर्जी फर्म का खाता सामने आया, जो धोखाधड़ी की रकम प्राप्त करने का मुख्य माध्यम था.
चाचा-भतीजे कैसे आए पुलिस के गिरफ्तर में?
पुलिस ने तकनीकी विश्लेषण और वित्तीय जांच के आधार पर ओडिशा के गंजम और भुवनेश्वर में छापेमारी की और तीन मुख्य आरोपियों को दबोच लिया. 43 साल के प्रवाश चंद्र पंडा और उसके 27 साल के भतीजे प्रीतम रोशन पंडा और 24 साल के श्रीतम रोशन पंडा अब दिल्ली पुलिस के गिरफ्त में है.
साइबर क्राइम
ऐसे करते थे पैसे को सफेद
दिल्ली पुलिस की पूछताछ में आरोपी तुरंत ही चोरी किए गए पैसे को कई म्यूल खातों में जमा करते और एटीएम से तेजी से निकाल लेते थे. उनके द्वारा संचालित खातों का एकमात्र उद्देश्य धोखाधड़ी के पैसों को तेजी से निकालना था, ताकि वह कानूनी शिकंजे से बच सकें. दिल्ली पुलिस ने आरोपियों के ठिकानों से बरामद सामान देखकर नेटवर्क का पूरा रैकेट का पता चलता है. पुलिस ने उनके पास से 17 मोबाइल फोन, 21 सिम कार्ड, 124 एटीएम या डेबिट कार्ड, 56 बैंक पासबुक, 25 चेक बुक और नकदी गिनने की मशीन समेत भारी मात्रा में अपराध से जुड़ा सामान बरामद किया है.
दिल्ली पुलिस ने बताया कि यह साइबर सिंडिकेट कई स्तरों में बंटा था, जिसमें निवेश सलाहकार बनकर ठगी करने वाले फ्रंट-एंड ऑपरेटर से लेकर तेजी से पैसे निकालने वाले रीजनल हैंडलर शामिल थे. पुलिस का कहना है कि गिरफ्तारी के बाद 165 साइबर शिकायतों का समाधान होने की संभावना है. दिल्ली पुलिस ने कहा है कि ऑनलाइन निवेश करते समय किसी भी कंपनी या व्यक्ति के दावों की सत्यता की जांच करें. सेबी की वेबसाइट पर जाकर ब्रोकर का पंजीकरण अवश्य जांचें और अज्ञात व्यक्तियों को अपनी कमाई भेजने से बचें.
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रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
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First Published :
December 08, 2025, 13:06 IST

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