Suspension of 2 IAS in Kerala: केरल में दो आईएएस अधिकारियों के बाद हंगामा मचा हुआ है. केरल सरकार ने दो आईएएस अधिकारियों गोपालकृष्णन और एन प्रशांत को निलंबित कर दिया है. इन दोनों पर कथित तौर पर आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप है. गोपालकृष्णन को इसलिए निलंबित किया गया क्योंकि उन्होंने धर्म आधारित वॉट्सऐप ग्रुप बनाया था. प्रशांत के खिलाफ इसलिए अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई क्योंकि उन्होंने एक वरिष्ठ अधिकारी की कथित तौर पर आलोचना की थी. गोपालकृष्णन 2013 बैच के प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं. वह उद्योग और वाणिज्य विभाग में निदेशक पद पर तैनात थे. जबकि एन प्रशांत साल 2007 बैच के अधिकारी हैं. उनकी तैनाती कृषि विभाग में विशेष सचिव के पद पर थी.
क्या किया था गोपालकृष्णन ने
गोपालकृष्णन ने कथित तौर पर ‘मल्लू हिंदू अधिकारी’ नाम से एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया था, जिसमें केवल में केवल हिंदू अधिकारी शामिल थे. मामले ने 31 अक्टूबर को उस समय तूल पकड़ा जब केरल कैडर के कई आईएएस अधिकारियों को इस नए वॉट्सऐप ग्रुप में जोड़ दिया गया. ग्रुप में जोड़े गए उन अधिकारियों ने तुरंत आपत्ति दर्ज कराई. कई अधिकारियों का मानना था कि यह ग्रुप धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का उल्लंघन करता है. मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए अगले ही दिन ग्रुप को डिलीट कर दिया गया.
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क्यों हुई एन प्रशांत पर कार्रवाई
एन प्रशांत पर केरल सरकार ने इसलिए कार्रवाई की क्योंकि वह राज्य के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी जयतिलक का लगातार अपमान कर रहे थे. उन्होंने पिछले दिनों फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर कर कहा था कि वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. ए. जयतिलक एक मनोरोगी हैं. पोस्ट पर आए कमेंट में जयतिलक के खिलाफ अनाप-शनाप बोला गया. प्रशांत ने यह भी साफ तौर पर ऐलान किया कि वह आलोचना करते रहेंगे. मुख्य सचिव ने उनकी एक फेसबुक पोस्ट को सबूत मानते हुए कार्रवाई की सिफारिश की. मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री को भेजी रिपोर्ट में बताया कि प्रशांत ने आईएएस सेवा नियमों का उल्लंघन किया है.
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धर्म के नाम पर ग्रुप बनाने पर क्या बोली सरकार
कुछ नौजवान अधिकारियों ने धर्म के नाम पर ऐसा ग्रुप बनाए जाने की आलोचना की. इसके बाद उन अधिकारियों ने कथित तौर पर एक और ग्रुप बनाया. इस ग्रुप का नाम उन्होंने ‘मुस्लिम’ रखा. केरल सरकार का कहना है, ‘इनके काम राज्य में अखिल भारतीय सेवा के कैडरों के बीच बंटवारे को बढ़ावा देने, फूट डालने और एकजुटता को तोड़ने वाले हैं. पहली नजर में यह भी पाया गया कि यह राज्य में अखिल भारतीय सेवाओं के कैडरों के बीच साम्प्रदायिक आधार पर समूह और गठबंधन बनाने की कोशिश है.’
अधिकारियों के लिए अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम
प्रशासनिक सेवाओं के लिए चुने गए सभी अधिकारी अपने प्रशिक्षण काल के समय से ही नियमों से बंधे होते हैं. उन्हें अपने कर्तव्यों के प्रति ईमानदार होना और सेवा के दौरान किसी भी अनुचित आचरण से बचना जरूरी होता है.
सभी आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों को अपने प्रशिक्षण के समय से अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियमों का पालन करना होता है.
अधिकारियों को अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदारी बरतनी चाहिए और अपनी सेवा के दौरान किसी भी तरह के अशोभनीय व्यवहार से बचना चाहिए
निजी या गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) में परिवार के सदस्यों के लिए रोजगार दिलाने की कोशिश करना या उसके लिए अपने पद की शक्तियों का इस्तेमाल करना दुरुपयोग माना जाएगा.
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अधिकारियों की राजनीतिक तटस्थता
सरकार ने हाल ही में सामाजिक, सांस्कृतिक और इसी तरह के अन्य संगठनों के संबंध में नीति की समीक्षा की है जिनकी गतिविधियों का राजनीतिक पहलू हो सकता है. ऐसे निर्देश दिए गए हैं कि कुछ संगठनों की गतिविधियों को राजनीतिक स्वरूप में माना जाना चाहिए. जबकि ऐसे निर्देश लागू हैं, एक सिविल सेवक अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होगा, यदि वह खुद को ऐसे निर्देशों में उल्लिखित किसी संगठन से जोड़ता है. लेकिन ऐसे कई अन्य संगठन हैं जिनके संबंध में सीसीएस (आचरण) नियम, 1964 के नियम 5 के प्रयोजनों के लिए ऐसे निर्देश जारी नहीं किए गए हैं. यह आवश्यक है कि सरकारी कर्मचारियों को न केवल राजनीतिक तटस्थता बनाए रखनी चाहिए बल्कि ऐसा करते हुए दिखना भी चाहिए. और उन्हें किसी ऐसे संगठन की गतिविधियों में भाग नहीं लेना चाहिए, या उसके साथ खुद को संबद्ध नहीं करना चाहिए जिसके संबंध में यह सोचने का थोड़ा सा भी कारण हो कि संगठन का राजनीतिक पहलू है.
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अगर की धार्मिक गतिविधियों में भागीदारी
श्री जय गुरुदेव और दूरदर्शी पार्टी की धर्म प्रचारक संस्था या उनकी शाखाओं या संबद्ध निकायों की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों की सदस्यता और भागीदारी के संबंध में सरकार की नीति के बारे में कुछ संदेह उठाए गए हैं. इसलिए यह स्पष्ट किया जाता है कि सरकार ने इन दोनों संगठनों की गतिविधियों को इस प्रकार का माना गया कि सरकारी कर्मचारियों द्वारा उनमें भाग लेने पर केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 के नियम 5 के उप-नियम (1) के प्रावधान लागू होंगे. कोई भी सरकारी कर्मचारी, जो उपरोक्त संगठनों का सदस्य है या अन्यथा उनसे जुड़ा हुआ है या उनकी गतिविधियों के साथ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी है.
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FIRST PUBLISHED :
November 14, 2024, 13:26 IST