2 साल तक चल भी नहीं पाते, माता-पिता का मिला साथ, फिर बने सेना में ऑफिसर

1 month ago

Last Updated:March 10, 2025, 15:46 IST

Indian Army Story: अगर कुछ करने की चाहत हो, तो किसी भी बाधाओं को पार किया जा सकता है. ऐसी ही कहानी एक शख्स की है, जो 2 साल की उम्र तक चलना या बैठना नहीं कर पाते थे, लेकिन आज वह आर्मी ऑफसर बन गए हैं.

2 साल तक चल भी नहीं पाते, माता-पिता का मिला साथ, फिर बने सेना में ऑफिसर

Indian Army Story: सेना में बनें ऑफिसर

Indian Army Story: अगर खुद पर यकीन हो, तो किसी भी बाधाओं को पार किया जा सकता है. ऐसी ही कहानी एक लड़के की है, जो मेडिकल स्थिति की वजह से 2 साल की उम्र तक चलना या बैठना नहीं हो पा रहा था. लेकिन उनके माता-पिता ने हार नहीं मानी और गाजियाबाद में गहन इलाज के बाद उन्होंने अपना पहला कदम रखा. यह उनके परिवार की अडिग उम्मीद और उनके स्वयं के दृढ़ संकल्प का नतीजा था. लेकिन आज वह सेना में ऑफिसर हो गए हैं. हम जिनकी बात कर रहे हैं, उनका नाम सुरजीत यादव है.

सुरजीत यादव यूपी के मैनपुरी जिले के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखते हैं. उनका शुरुआती जीवन संघर्षों से भरा था. एकेडमिक लाइफ में सुरजीत ने अपनी असाधारण प्रतिभा और मेहनत से लगातार बेहतरीन परफॉर्म किया है. पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने फिजिकल फिटनेस में रुचि विकसित की, जिससे उनके भीतर सशस्त्र बलों में की इच्छा जागी. इस राह में मानसिक दृढ़ता, अनुशासन और लीडरशिप के गुणों की भी जरूरत होती है, इसलिए इसे बनाने का संकल्प लिया.

बुखार होने के बाद भी SSB इंटरव्यू में हुए शामिल
सुरजीत को सेवा चयन बोर्ड (SSB) इंटरव्यू की तैयारी में तीन साल तक कड़ी मेहनत करने के बावजूद कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. लेकिन उनके अंदर सेल्फ कॉफिडेंस और कठोर ट्रेनिंग की वजह से वह कभी भी हार नहीं मानी. इंटरव्यू से पहले बुखार होने के बावजूद उन्होंने पूरे जोश के साथ पांच दिन की होने वाली चयन प्रक्रिया में शामिल हुए ओर सफलता हासिल की. यह क्षण उनके परिवार के लिए गर्व का था और उनके लिए आत्मविश्वास से भरी एक नई शुरुआत का अनुभव था.

OTA में किया बेहतरीन परफॉर्म
सेवा चयन बोर्ड (SSB) के इंटरव्यू में सफल होने के बाद जब सुरजीत यादव का चयन हुआ, तो वह चेन्नई स्थित प्रतिष्ठित ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी (OTA) में दाखिला लिया. वहां उन्होंने कठोर और बेहतरीन ट्रेनिंग प्राप्त की. उनकी अनुशासन, नेतृत्व और समर्पण की भावना ने उन्हें अकादमी कैडेट एडजुटेंट (ACA) की प्रतिष्ठित उपाधि दिलाई. यह सम्मान केवल उन कैडेटों को मिलता है जो एक्सेम्पलरी लीडरशिप और अनुशासन को दिखाते हैं.

First Published :

March 10, 2025, 15:46 IST

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