Last Updated:August 04, 2025, 04:31 IST
पहलगाम हमले के बाद जम्मू कश्मीर में सेना एक तरह से ऑपरेशन ऑलआउट चला रही. आज भी कुलगाम में एक इनकाउंटर चल रहा है. अब तक 21 आतंकी मारे जा चुके हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर पाकिस्तानी नागरिक निकले, वो साफ करता ह...और पढ़ें

हाइलाइट्स
कुलगाम में एनकाउंटर में 21 आतंकी मारे गएमारे गए आतंकियों में 12 पाकिस्तानी नागरिक थेकश्मीरी युवाओं ने AK-47 छोड़कर विकास की राह चुनीपाकिस्तान की हमेशा कोशिश रही कि जम्मू कश्मीर के युवाओं के हाथ में AK-47 थमा दी जाए. उन्हें बरगलाया जाए, खून की होली खेलने के लिए उकसाया जाए. वर्षों तक पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई इस काम में लगी रही. उसे कुछ कामयाबी भी मिली जब बड़ी संख्या में स्थानीय युवाओं ने इनके बहकावे में आकर हथियार उठा लिए. लेकिन बीते 5 साल में तस्वीर एकदम बदल चुकी है. अब जम्मू-कश्मीर के युवाओं ने AK-47 उतारकर फेंक दी है. इसे एक आंकड़े से आप समझ सकते हैं कि 7 मई 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद 6 अलग-अलग एनकाउंटर हुए, जिसमें 21 आतंकी मारे गए. लेकिन आप जानकर हैरान होंगे कि इनमें 12 पाकिस्तानी नागरिक थे. इनके मुकाबले स्थानीय आतंकियों की संख्या कम थी. अगर आप बीते 5 साल का आंकड़ा देखेंगे तो वाकई चौंक जाएंगे.
7 मई 2025 को पहलगाम में हुए अमरनाथ यात्रियों पर आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों का जवाब अब निर्णायक मोड में दिख रहा है. ताबड़तोड़ एनकाउंटर हो रहे हैं. गलियों से लेकर जंगलों तक और पहाड़ियों से लेकर नदियों तक, आतंकियों को तलाश जा रहा है. ड्रोन लगाए गए हैं. सिक्योरिटी फोर्स एक एक मूवमेंट पर नजर रख ही है. और हां, स्थानीय लोग खुलकर सेना के साथ आ गए हैं. इसी वजह से आतंकी ढेर किए जा रहे हैं. लेकिन अब घुसपैठ कर आने वाले पाकिस्तानी आतंकियों की तादाद ज्यादा है, जबकि कश्मीरी युवाओं की भागीदारी में भारी गिरावट आई है. इसे आप इन आंकड़ों से समझ सकते हैं.
आंकड़ों से समझें घाटी में कैसे बदला खेल
साल | मारे गए कुल आतंकी | पाकिस्तानी आतंकी | स्थानीय आतंकी |
2018 | 257 | 57 | 200 |
2019 | 152 | 38 | 114 |
2020 | 221 | 58 | 163 |
2021 | 180 | 54 | 126 |
2022 | 187 | 56 | 131 |
2023 | 147 | 52 | 95 |
2024 | 112 | 60 | 52 |
2025 | 59 *(जुलाई तक)* | 31* | 28* |
स्रोत-गृहमंत्रालय |
ट्रेंड देखकर पाकिस्तानी आर्मी बेचैन
ट्रेंड साफ है, अब आतंकवाद का चेहरा ‘लोकल’ से बदलकर ‘क्रॉस बॉर्डर’ होता जा रहा है. पहले जहां मारे गए आतंकियों में 70% तक स्थानीय युवा होते थे, अब ये आंकड़ा 45% से भी कम रह गया है. ये दिखाता है कि पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसियों को अब कश्मीर में लोग नहीं मिल रहे हैं, जिन्हें वे बरगला सकें. यही वजह है कि उन्हें पाकिस्तान से आतंकी भेजने पड़ रहे हैं. कश्मीरी नौजवान खुद को इस खेल से दूर करते जा रहे हैं. यह देखकर पाकिस्तानी आर्मी और खुफिया एजेंसी बेचैन हैं.
नई भर्ती नहीं, ट्रेंड आतंकी ही बचे
लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे गुट नई भर्ती की बजाय ट्रेंड आतंकियों को भेजने में लगे हैं. ये आतंकी पूंछ, राजौरी और कुपवाड़ा जैसे इलाकों से फॉरेस्ट रूट्स के जरिए घुसपैठ कर रहे हैं. ड्रोन से हथियार गिराना, LOC के पास लॉन्च पैड और हाई-कॉलिबर रडार जैमर अब उनकी रणनीति का हिस्सा बन गया है. सेना के पूर्व अधिकारी ब्रिगेडियर एसके. चहल कहते हैं कि पहले लोकल रिक्रूटमेंट आईएसआई के लिए आसान था. लेकिन अब हालात बदल चुके हैं. आज का कश्मीरी युवा बंदूक नहीं लैपटॉप उठा रहा है. पाकिस्तानी आतंकी अकेले पड़ते जा रहे हैं.
जम्मू-कश्मीर के युवाओं में बदलाव क्यों?
युवाओं का झुकाव पढ़ाई, जॉब और बिजनेस की ओर हुआ है. आर्मी और पुलिस के ऑपरेशन अब टारगेटेड और इंटेलिजेंस-बेस्ड हो गए हैं. मिलिटेंसी में शामिल युवाओं को परिवार के कहने पर आत्मसमर्पण के मौके मिलते हैं.
शाह ने संसद में किया था ऐलान
गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा था, जम्मू-कश्मीर के नौजवान अब विकास की राह पर हैं. आतंकवाद अब पार से भेजे गए आतंकियों तक सीमित है. एनएसए अजित डोभाल ने कहा था कि अभी जो लड़ाई लड़ी जा रही है, वो लोकल नहीं, एक्सटर्नल डिजाइन के खिलाफ है.
Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें
Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...
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Location :
Jammu,Jammu,Jammu and Kashmir
First Published :
August 04, 2025, 04:31 IST