Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों की उलटी गिनती शुरू हो गई है. देश के दूसरे सबसे बड़े प्रदेश में 288 सीटों के लिए 20 नवंबर को मतदान होगा. महाराष्ट्र में इस बार दो खेमों महाविकास अघाड़ी और महा युति के बीच मुख्य मुकाबला है. वैसे कुल मिलाकर छोटे बड़े कुल 158 दल चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं. 2019 के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की अगुआई वाले एनडीए को 161 सीटों पर जीत मिली थी. जबकि यूपीए का आंकड़ा 98 सीटों पर सिमट गया था. उस चुनाव में बीजेपी और शिवसेना मिलकर लड़े थे, जबकि कांग्रेस और एनसीपी ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. 16 सीटें छोटे दलों को मिली थीं. 13 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी.
पहली सरकार बीजेपी ने बनाई
पिछले चुनाव में बीजेपी और शिवसेना गठबंधन ने अपने दम पर स्पष्ट बहुमत तो हासिल कर लिया. लेकिन मुख्यमंत्री किस पार्टी का हो, इस बात पर दोनों पार्टियों में मनमुटाव हो गया. बात यहां तक बढ़ी कि यह गठबंधन खत्म हो गया. 2019 की 23 नवंबर को बीजेपी ने एनसीपी के अजीत पवार को अपने साथ मिला लिया और देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलवा दी. अजीत पवार उपमुख्यमंत्री बन गए. यह सब इतना अचानक हुआ कि लोग हैरान रह गए. लेकिन बीजेपी की यह चाल नाकामयाब रही. बहुमत साबित करने से पहले ही देवेंद्र फडणवीस को इस्तीफा देना पड़ा. एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने विधायकों को टूटने से रोक लिया और बीजेपी हाथ मलती रह गई.
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उद्वव ठाकरे बने मुख्यमंत्री
इसके बाद महाराष्ट्र ने एक अनूठा प्रयोग देखा. कांग्रेस और एनसीपी ने बीजेपी के साथ गठबंधन में रही शिवसेना को समर्थन देने का फैसला किया. इन तीनों पार्टियों से मिलकर महाविकास अघाड़ी का निर्माण हुआ. शिवसेना प्रमुख उद्वव ठाकरे राज्य के मुख्यमंत्री बने. अभी तक शिवसेना प्रमुख हमेशा किंग मेकर की भूमिका में रहते थे. लेकिन यह पहला मौका था जब उन्होंने किंग मेकर की बजाय खुद गद्दी पर बैठने का फैसला किया. उद्वव ठाकरे लगभग ढाई साल तक सरकार के मुखिया रहे.
शिंदे ने गिरा दी एमवीए सरकार
इसके बाद महाराष्ट्र को एक और नया प्रयोग देखने को मिला. महाविकास अघाड़ी सरकार में शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में बगावत कर दी. वह शिवसेना के कुछ विधायकों के साथ सूरत चले गए. शिवसेना के 40 विधायकों और लगभग 10 निर्दलीय विधायकों ने एकनाथ शिंदे का समर्थन किया. नतीजा यह हुआ कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. 30 जून 2022 को राज्य में फिर से नई सरकार बनी. इस बार शिवसेना और बीजेपी ने सरकार बनाई और एकनाथ शिंदे विधानसभा के इस टर्म में राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री बने. लगभग एक महीने बाद एनसीपी नेता और शरद पवार के भतीजे अजित पवार पार्टी के नौ सदस्यों के साथ इस गठबंधन में शामिल हो गए और उपमुख्यमंत्री बन गए.
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5 सालों में बदल गई राजनीतिक तस्वीर
महाराष्ट्र की राजनीति में 2019 से 2024 तक का समय अप्रत्याशित घटनाओं का रहा. पिछले पांच वर्षों में महाराष्ट्र की राजनीति ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. इस दौरान महाराष्ट्र में सियासी तस्वीर पूरी तरह बदल गई है. पहली बार राज्य के चुनावों में दो नई पार्टियां नजर आएंगीं. पिछले पांच वर्षों की राजनीतिक घटनाओं की वजह से इन दोनों पार्टियों का गठन हुआ है. ये दोनों नई पार्टियां पिछली बार चुनाव लड़ चुकी दो पार्टियों से अलग होकर बनी हैं. न केवल पार्टियां टूटीं, बल्कि राज्य का सबसे मजबूत माने जाने वाला सियासी कुनबा भी दो टुकड़ों में बंट गया.
लोकसभा चुनाव में क्या रहा परिणाम
महाराष्ट्र में इसी साल मई में हुए लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ महायुति को करारा झटका लगा. लोकसभा की 48 सीटों में से बीजेपी की अगुआई वाले महायुति को सिर्फ 17 सीटों पर जीत मिली है. बीजेपी को नौ, शिवसेना को सात और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को एक सीट से संतोष करना पड़ा. जबकि कांग्रेस की अगुआई वाले महाविकास अघाडी को 30 सीटें मिलीं. कांग्रेस ने 13, शिवसेना उद्धव ने नौ और एनसीपी शरद ने आठ सीटों पर अपना परचम फहराया. एक सीट पर निर्दलीय को जीत मिली.
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2019 में बीजेपी-शिवसेना ने किया था सफाया
जबकि 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने शिवसेना के साथ मिलकर क्लीन स्वीप किया था. गठबंधन को 41 सीटों पर जीत मिली थी. इसमें बीजेपी को 23 और शिवसेना को 18 सीटों पर जीत मिली थी. यूपीए को सिर्फ पांच सीटें मिली थीं। इसमें एनसीपी को चार और कांग्रेस को सिर्फ एक सीट मिली थी.
कैसी होगी भविष्य की तस्वीर?
साल 2019 के विधानसभा चुनावों और 2024 के चुनावों में पहला अंतर तो यही है कि उस समय चार प्रमुख पार्टियां थी. लेकिन अब छह मुख्य पार्टियां होड़ में हैं. ये लड़ाई अब बीजेपी के साथ या बीजेपी के खिलाफ के बीच में बंट गई है. दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि दोनों नई पार्टियों को चुनाव चिह्न अलग होने के बाद मूल पार्टियों से विरासत में मिले हैं. चुनाव आयोग ने नई पार्टियों को उनकी मूल पार्टियों के चुनाव चिह्न तो अलॉट कर दिए. लेकिन लोग इस बारे में अपनी क्या राय रखते हैं, ये 23 नवंबर को मतगणना वाले दिन क्लियर हो जाएगा.
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FIRST PUBLISHED :
November 15, 2024, 13:17 IST