60 सालों में भारत ने खुद के दम पर बनाए कितने विमान और हेलिकॉप्टर्स

3 weeks ago

भारत ने 60 के दशक से स्वदेशी तकनीक के दम पर कुछ फाइटर जेट, प्लेन और हेलीकॉप्टर्स बनाने शुरू किए थे. कुछ के रिजल्ट अच्छे नहीं मिले लेकिन कुछ जरूर हिट रहे. और आने वाले समय में वो भारत को गर्व दे सकते हैं. तब भारत अपने इन प्रोजेक्ट्स पर अपनी पीठ भी थपथपा सकता है.

News18IndiaLast Updated :October 28, 2024, 19:45 ISTEditor pictureAuthor
  Sanjay Srivastava

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courtesy iaf

भारत् और स्पेन के बीच एक समझौते के बाद बडोदरा में टाटा के भारतीय संयंत्र में 40 मालवाहक और सैन्य-सैन्य-वाहक सी-295 विमान बनाए जाएंगे. इस संयंत्र से 2026 में पहला “मेड इन इंडिया” सी-295 विमान तैयार होकर मिलेगा. इसे लेकर भारत और स्पेन के प्रधानमंत्रियों के बीच वडोदरा में एक समझौते पर साइन हुए. हम यहां ये भी जानेंगे कि भारत के हिन्दुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड ने विमान, हेलिकॉप्टर औऱ फाइटर जेट को स्वेदशी तौर पर बनाने की दिशा में कितनी प्रगति की है. अब तक उसने देश के लिए कितने इस तरह के प्रोजेक्ट्स को सफलतापूर्वक पूरा किया है.

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आजादी के बाद से भारत ने तीन स्वदेशी विमान और कई हेलिकॉप्टर्स खुद विकसित किए लेकिन तकनीक खामियों और ज्यादा लागत की वजह से बहुत सफल नहीं हो सके. इस मायने में अब तक तेजस ही एक फाइटर विमान है, जो अपेक्षाओं पर खरा उतरता दीख रहा है. इससे पहले भारत ने जोरशोर से दो विमान विकसित किये थे लेकिन जल्द ही उनका उत्पादन बंद कर दिया गया. अब तक उनका इस्तेमाल भी नहीं होता.

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आजादी के बाद भारत सरकार ने स्वदेशी विमान बनाने की योजना पर काम करना शुरू किया था. तब ये प्लान किया गया jetकि छोटे स्वदेशी विमान बनाए जाएं. हालांकि हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड कंपनी की शुरुआत में विदेशी सहयोग से ट्रेनर, हॉक और टोही विमान विदेशी मदद से बनाए गए. 60 के दशक के बाद स्वदेशी विमान बनाने की पहल पर काम शुरू हुआ.

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1968 में भारत ने पहला स्वदेशी एग्रीकल्चर विमान डिजाइन किया. इसके डिजाइन और उत्पादन में एचएएल यानि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की भूमिका थी. पहली बार इसके डिजाइन में कुछ खामी थी, लिहाजा डिजाइन दोबारा बना. इसका नाम था बसंत. ये एक पायलट के बैठने के लिए था. इसका उद्देश्य हल्की फुल्की निगरानी के लिए किया गया था. 03 मार्च 1972 में ये विमान पहली बार उड़ा. ये विमान नौ मीटर लंबा और आठ फीट ऊंचा था. लेकिन छोटा विमान बहुत कामयाब नहीं हो सका. इसके 39 विमानों का उत्पादन हुआ. फिर 1980 में इसका उत्पादन वंद कर दिया गया.

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60 के दशक में हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने कई विमान विकास करने की शुरुआत की थी. उसी में एक कृषक. ये चार सीटों वाला विमान था. इसके दो प्रोटोटाइप बनाए गए. लेकिन इस प्रोजेक्ट में किसी ने दिलचस्पी नहीं ली तो ये प्रोजेक्ट बंद ही होने वाला था. लेकिन भिर भारतीय सेना ने इसे उबार लिया. 1965 में कुछ विमान सुधार के बाद भारतीय सेना की सेवा में लिये गए लेकिन 70 के दशक के बीच में इसे फेजआउट कर दिया गया.

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इसके बाद एचएएल ने भारत के पहले फाइटर और बांबर एयरक्राफ्ट को बनाने की तैयारी शुरू की. 60 के दशक में ही एचएएल ने इसे विकसित करना शुरू कर दिया. इसका डिजाइन जाने माने जर्मन प्लेन डिजाइनर कुर्त टैंक ने किया. ये भारत का तो पहला जेट एयरक्राफ्ट था ही. इसका नाम था एचएलएल मारुत. ये भी कहना चाहिए कि इससे पहले किसी भी एशियाई देश ने जेट फाइटर नहीं बनाया था, यहां तक की चीन भी इस मामले में हमसे पीछे था. क्या आप विश्वास करेंगे कि इसके प्रोटोटाइप ने पहली बार 17जुलाई 1961 ने उड़ान भरी थी.

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1967 में इसका प्रोडक्शन शुरू हुआ. पहला विमान आधिकारिक तौर पर बनकर बाहर आया. ये हमारा पहला सुपरसोनिक कांबेट था. ये उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सका. कई बार इसके इंजन को सुधारने की कोशिश की गई. इसकी क्षमता की भी आलोचना की गई. इस विमान ने 1971 में भारत-पाकिस्तान की लड़ाई में हिस्सा लिया. कुल मिलाकर 147 विमान बने. फिर इसे ग्राउंड कर दिया गया. इसका उत्पादन भी बंद हो गया. भारतीय वायुसेना ने इसे फेज में काम लेना बंद किया.

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इसके बाद एचएएल और एयरोनॉटिक्स डेवलपमेंट एजेंसी ने मिलकर एक नए और हल्के जेट फाइटर को डिजाइन और डेवलप करने का काम शुरू किया. ये हल्का लड़ाकू विमान तेजस है. जिसे काफी पसंद किया जा रहा है. अब तक इसके परीक्षण काफी सफल रहे हैं. यहां तक कई दूसरे देशों ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाई है. इसे डेवलप और विकसित करने का काम 80 के दशक में शुरू हुआ. तब इसे ये खयाल करके बनाना शुरू किया गया कि ये विमान मिग को रिप्लेस करेगा. सही मायनों में ये भारत का दूसरा सुपर सोनिक फाइटर जेट है.

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तेजस का उत्पादन शुरू हो चुका है. फिलहाल 324 विमानों के आर्डर एचएएल के पास हैं. करीब 123 विमान डिलिवर किये जा चुके हैं. ये विमान एय़रफोर्स से लेकर सेना की विभिन्न यूनिटों में दिया जाना है. इसे कई वेरिएंट में बनाया गया है. तेजस को अब तक जिसने भी आजमाया, उसने इसे पसंद किया है. सही मायनों में ये भारत द्वारा बनाया गया शानदार स्वदेशी लड़ाकू विमान है.

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ये एचएएल का बनाया गया स्वदेशी ट्रेनिंग विमान है, जिसका नाम है दीपक. ये आमतौर पर ट्रेनिंग के उद्देश्य से बनाया जाता है. जिसमें पायलट के साथ एक और प्रशिक्षु बैठ सकता है. इस एयरक्राफ्ट में एक पैसेंजर भी बिठाया जा सकता है.

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ये ट्रेनिंग विमान भी एचएएल ने डिजाइन करने के साथ विकसित किया और इसका उत्पादन भी करता है. इसका नाम एचजेटी-किरण है. ये दो सीट का ताकतवर ट्रेनर विमान है. 1964 में पहली बार इसका प्रदर्शन किया गया. उसके बाद इसका उत्पादन शुरू हो गया. लेकिन अब इसका उत्पादन बंद हो गया. भारतीय वायुसेना और नेवी में कई किरण विमानों के जरिए पायलट को ट्रेनिंग दी जाती है.

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ये हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया नया स्वदेशी ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट है. इसे सितारा नाम दिया गया है. जिसे किरण की जगह स्टेज-2 ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट के तौर पर लाया गया है. ये खासतौर पर भारतीय वायुसेना और नौसेना के लिए है. सीमित मात्रा में इसका उत्पादन 2010 में शुरू हुआ लेकिन तकनीक खामियों के कारण इस पर कई तरह के सुधार के काम किये जाते रहे. 2019 में इसका मोडिफाइड वर्जन पहली बार उड़ा और इसे काफी पसंद किया गया.

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वैसे अब एचएएल ने एक नया ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट विकसित और डिजाइन किया है. ये भारतीय वायुसेना में दीपक को रिप्लेस करेगा. लेकिन भारतीय वायुसेना इसको लेकर बहुत उत्साहित नहीं है. बल्कि उसने इसके बदले 75 पिलाटस ट्रेनिंग विमानों का आर्डर एक विदेशी कंपनी को दे दिया है.

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सारस नाम का इस विमान में पायलट के अलावा 14 लोग बैठ सकते हैं. इसे नेशनल एयरोस्पेश लैबोरेटरीज ने डिजाइन करके इसका उत्पादन शुरू किया. लेकिन 2016 में ये प्रोजेक्ट रोक दिया गया. लेकिन एक साल बाद ही ये प्रोजेक्ट फिर शुरू किया गया. इसका परीक्षण काफी बढिया रहा. अब भारतीय वायुसेना ने ऐसे 15 एयरफ्राफ्ट खऱीदने का आर्डर दिया है. लेकिन माना जा रहा है कि भविष्य में इसकी मांग बढ़ेगी

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