आणंद: वर्तमान में पृथ्वी पर प्रदूषण का स्तर दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. विभिन्न प्रकार के प्रदूषण और बढ़ती समस्याओं के कारण आज हम ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. ये समस्याएँ मानव के कारण उत्पन्न हुई हैं. इन्हें हल करने और पृथ्वी को बचाने के लिए लोग वृक्षारोपण के विभिन्न कार्यक्रम चला रहे हैं. परंतु, वृक्षारोपण के बाद उनकी देखभाल नहीं की जाती है, जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी पर हरियाली उस प्रकार से नहीं हो पा रही, जैसी होनी चाहिए. इस समस्या को देखते हुए सरलता से पौधे उगाने और कम मेहनत में अधिक सफलता प्राप्त करने के लिए ‘सीड्स बॉल’ का विचार लाया गया है.
सीड्स बॉल के जरिए बनाया जाएगा विश्व रिकॉर्ड
डॉ. सेजल स्वामी ने बताया कि सीड्स बॉल, मिट्टी और खाद का मिश्रण होता है, जिसमें बीज डालकर बॉल का आकार दिया जाता है. इन बॉल्स को उन जगहों पर फेंका जाता है, जहाँ लोग जाकर पौधारोपण नहीं कर सकते. आमतौर पर, ये कार्यक्रम बारिश के पहले किए जाते हैं ताकि फेंके गए सीड्स बॉल बारिश में अंकुरित होकर पौधे बन सकें. इस पद्धति में इंसानों को किसी प्रकार की मेहनत नहीं करनी पड़ती; प्रकृति खुद ही पौधों को उगाती है. यही कारण है कि यह विधि उन जगहों पर शुरू की गई है जहाँ लोग स्वयं जाकर पौधारोपण नहीं कर सकते. इस पहल के तहत ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ द्वारा वासद में ढाई से तीन लाख सीड्स बॉल बनाकर विश्व रिकॉर्ड बनाने का प्रयास किया जा रहा है.
दिवाली पर वासद में सीड्स बॉल बनाने का विशेष कार्यक्रम
उन्होंने आगे बताया कि दिवाली के दिन वासद के एसवीआईटी कैंपस में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जहाँ लगभग 5000 लोग एक घंटे में लगभग 60 सीड्स बॉल बनाएँगे. इन बॉल्स को बनाने के लिए सारी सामग्री ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ द्वारा प्रदान की जाएगी. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य लोगों को घर पर आसानी से सीड्स बॉल बनाना सिखाना और उनके उपयोग के बारे में जानकारी देना है. इस कार्यक्रम में तैयार किए गए सीड्स बॉल्स का उपयोग बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण के लिए किया जाएगा. इच्छुक लोग इस कार्यक्रम में पंजीकरण कर भाग ले सकते हैं. इस आयोजन के माध्यम से सीड्स बॉल के उपयोग और इसके संदेश पर आधारित एक विश्व रिकॉर्ड बनाने का प्रयास किया जा रहा है.
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FIRST PUBLISHED :
October 29, 2024, 16:50 IST