Last Updated:May 09, 2025, 01:23 IST
Harop Drone Quality: ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने पाक के 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया और हारोप ड्रोन से लाहौर-पेशावर में हमला किया. हारोप ड्रोन इजरायल निर्मित है. भारत ने साल 2009 में पहली बार हारोप ड्रोन...और पढ़ें

पाकिस्तान की बेंड हरोप ड्रोन ने बचा दी. (File Photo)
हाइलाइट्स
भारतीय सेना ने हारोप ड्रोन से पाक के 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया.हारोप ड्रोन इजरायल निर्मित है और 2009 से भारत के पास है.हारोप ड्रोन 15 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है.Harop Drone Quality: ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने पहले पाकिस्तान के अंदर 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया. अगले दिन फिर पाकिस्तान के लाहौर से लेकर पेशावर व अन्य शहरों को भारत ने इजरायल मेड हारोप ड्रोन सिस्टम की मदद से धो डाला. यह आठ फुट का इतना आधुनिक ड्रोन है, जिसे रडार सिस्टम भी नहीं पकड़ पाते. चलिए हम आज आपको इसी ड्रोन सिस्टम के बारे में विस्तार में बताते हैं. हारोप ड्रोन को इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) ने डेवलप किया है. कुछ महीनों पहले ईरान-इजरायल के बीच तनाव के दौरान इन्हीं ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था. तब पीएम बेंजामिन नेतन्याहू की आर्मी के इन ड्रोन ने ईरान में घुसकर खूब तबाही मचाई थी. यह एक लॉइटरिंग म्युनिशन सिस्टम है, जो निगरानी और हमले दोनों में सक्षम है. यह ड्रोन न केवल एक सर्विलांस यानी निगरानी उपकरण है बल्कि एक घातक मिसाइल भी है. हारोप ड्रोन को टारगेट सेट करने और सटीक हमला करने के लिए जाना जाता है.
दुश्मन के टारगेट पर जाकर फट जाता है होरोप ड्रोन
हारोप की सबसे खास बात यह है कि यह सेल्फ ड्रिस्ट्रक्टिव ड्रोन है. इसे जमीन पर ट्रक या समुद्र में जहाज से लॉन्च किया जा सकता है यह छह घंटे से ज़्यादा समय तक उड़ सकता है और 200 किलोमीटर की यात्रा कर सकता है. 23 किलो का वॉरहेड इसे बड़े लक्ष्यों, एयर डिफेंस सिस्टम, मिसाइल सिस्टम व कमांड सेंटर को मिट्टी में मिलाने की क्षमता प्रदान करता है. हारोप ड्रोन बेहद कम ऊंचाई पर उड़ान भर सकते हैं. इसके जीपीएस व ऑप्टिकल सेंसर इसे रडार से बचने में मदद करते हैं. ऐसे में दुश्मन इसकी मौजूदगी को पकड़ ही नहीं पाते.
15 हजार फ्रीट की ऊंचाई पर भर सकता है उड़ान
भारत ने इजरायल को हारोप ड्रोन का ऑर्डर साल 2009 में दिया था. तब यह पहली बार एयरो इंडिया शो में भाग लेने आया था. तब 10 ड्रोन के लिए 100 मिलियन डॉलर का सौदा किया गया था. तब से भारतीय एयरफोर्स ने हारोप ड्रोन को अपनी रणनीति का अभिन्न हिस्सा बनाया है. इसकी 15 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान और कम रडार क्रॉस-सेक्शन, इसे दुश्मन की हवाई रक्षा के लिए चुनौतीपूर्ण बनाती हैं. इस ऑपरेशन ने न केवल भारत की तकनीकी श्रेष्ठता को प्रदर्शित किया, बल्कि यह भी साबित किया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ और संयमित जवाब देने में सक्षम है.
8 फुट का ड्रोन बिना आवाज करे दुश्मन को बनाता है निशाना
8.2 फीट लंबा हारोप ड्रोन दुश्मन के इलाके में घुसने के बाद बेहद शांति से हमला करता है. भारत ने साल 2013-14 में 50 और 2019 में 54 और हारोप ड्रोन का ऑर्डर इजरायल को दिया था. यह 400 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा में उड़ सकता है. हारोप का उपयोग भारत की रक्षा रणनीति में एक गेम-चेंजर साबित हुआ है. यह न केवल सैन्य दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत-इजरायल रक्षा सहयोग का भी प्रतीक है. हारोप जैसे हथियार भारत को क्षेत्रीय चुनौतियों से निपटने में सशक्त बनाते हैं. भारत के इस हमले के बाद पाकिस्तान ही नहीं चीन की भी आंखे खुल गई होगी. यह ड्रोन भारत की सैन्य आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भविष्य में और जटिल सुरक्षा परिदृश्यों का सामना करने के लिए तैयार है.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...
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