92 साल के पॉल बिया दुनिया के सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति हैं. जो कैमरून में आठवीं बार सत्ता हासिल करने को तैयार हैं. रविवार को हुए चुनाव में वोट गिनती शुरू हो गई है. विपक्षी उम्मीदवार इस्सा चिरोमा मजबूत चुनौती दे रहे हैं, लेकिन बिया की मजबूत पकड़ और बंटा विपक्ष उनकी जीत की राह आसान कर सकता है. जिसके बाद अब ये अटकलें लगाई जा रही हैं कि एक बार फिर दुनिया के सबसे बुज़ुर्ग राष्ट्रपति 92 साल के पॉल बिया कैमरून में चुनावों के बीच अपने 43 साल के शासन को आगे बढ़ाने के लिए तैयार दिख रहे हैं. रविवार को होने वाले एक-चरणीय चुनाव से बिया को सात साल का नया कार्यकाल मिलने की उम्मीद है. इसका मतलब है कि कार्यकाल समाप्त होने तक उनकी उम्र 99 साल हो जाएगी. जानें पूरी कहानी.
12 अक्टूबर को चुनाव, 15 दिन बाद रिजल्ट
मीडिया रिपोर्ट में छपी खबरों के मुताबिक, 12 अक्टूबर 2025 को कैमरून में राष्ट्रपति चुनाव हुआ. 92 साल के पॉल बिया ने याऊंडे के बास्टोस इलाके में वोट डाला, जहां उनकी पत्नी शांताल पल्चेरी बिया भी थीं. इस बार 80 लाख से ज़्यादा कैमरूनियों ने मतदान के लिए पंजीकरण कराया. नतीजे 15 दिनों के अंदर आने की उम्मीद है, और अभी तक कोई एग्ज़िट पोल नहीं हुए हैं. लेकिन राजधानी याउंडे में राष्ट्रपति भवन के पास स्थित बास्तोस इलाके में मतदान करने के बाद बिया ने पत्रकारों से कहा, "अभी कुछ तय नहीं है. देखते हैं, इंतज़ार करते हैं. विजेता के नाम का इंतज़ार करते हैं."
92 साल के पॉल बिया का क्यों जीतना तय?
उधर विश्लेषकों का कहना है कि बिया का दोबारा चुना जाना लगभग तय है, जिसकी एक वजह सरकारी संस्थाओं पर उनकी पकड़ और विभाजित विपक्ष है. इस बार बिया को 11 प्रतिद्वंद्वियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें पूर्व सरकारी प्रवक्ता 79 वर्षीय इस्सा चिरोमा बाकरी भी शामिल हैं, जो उनके सबसे मज़बूत प्रतिद्वंद्वी बनकर उभरे हैं. सालों से जनता के बीच गायब रहे बिया ने मंगलवार को मारौआ में अपना पहला और एकमात्र चुनावी प्रदर्शन किया था. उन्होंने अपने भाषण में कहा था, "मैं आपकी चिंता की समस्याओं से अच्छी तरह वाकिफ हूं. अपने अनुभव के आधार पर, मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूँ कि ये समस्याएं ऐसी नहीं है, जिन्हें खत्म नहीं किया जा सके." यानी इस बार भी पॉल चुनाव जीत गए तो एक और इतिहास उनके नाम हो जाएगा.
बिया पहली बार कब सत्ता में आए?
कैमरून के पहले राष्ट्रपति अहमदौ अहिदजो के इस्तीफ़े के बाद से ही बिया 1982 से देश की सत्ता संभाल रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि 1960 में आज़ादी के बाद से कैमरून ने सिर्फ़ दो ही नेता देखे हैं. राष्ट्राध्यक्ष के रूप में सत्ता संभालने से पहले बिया 1975 से 1982 तक कैमरून के पांचवें प्रधानमंत्री थे.
चर्च, पूर्व सहयोगियों और परिवार का दबाव
इस साल बिया के इस्तीफे की मांग तेज हुई. कैथोलिक आर्चबिशप सैमुअल क्लेडा ने पिछले क्रिसमस पर फ़्रांसीसी रेडियो पर कहा था कि बिया का देश का नेतृत्व करते रहना अवास्तविक है. उनके दो पुराने सहयोगी, इस्सा चिरोमा और बेलो बूबा मैगारी जो विरोध में विपक्ष में शामिल हो गए. दोनों ने खुले तौर पर बिया की नेतृत्व क्षमता को चुनौती दी है. उनकी बेटी 27 वर्षीय ब्रेंडा बिया भी पद छोड़ने की मांग में शामिल हो गईं थीं. एक वायरल हुए टिकटॉक वीडियो में उन्होंने कहा कि उनके पिता ने बहुत से लोगों को कष्ट दिया है और नागरिकों से उन्हें वोट न देने का आग्रह किया. लेकिन बाद में उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया था.