Bullet Train News: 300 किमी/घंटा स्पीड पर भी बुलेट ट्रेन में क्यों नहीं गिरता पानी का गिलास? जवाब हैरान कर देगा

1 hour ago

Why things not fall in bullet trains despite high speed: बहुत बार लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि जब बुलेट ट्रेन 300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही होती है, तब उसके अंदर रखा शैंपेन का गिलास कैसे इतना शांति से टिका रहता है. बाहर इतनी तेज हवा गुजर रही होती है, जमीन के कंपन अलग होते हैं और ट्रेन पलक झपकते ही शहर बदलने लगती है, लेकिन अंदर रखा एक हल्का-सा गिलास हिलता भी नहीं है. यह देखने में भले ही जादू जैसा लगता है लेकिन ऐसा आखिर होता कैसे है. 

300 किमी/घंटा स्पीड पर भी क्यों नहीं डगमगाती चीजें?

दरअसल, बुलेट ट्रेन जब अपनी तय स्पीड पकड़ लेती है, तो उसके बाद वह लगातार उसी स्पीड पर चलती रहती है. यह स्थिर रफ्तार गिलास को कोई झटका ही महसूस नहीं होने देती. जब कोई गाड़ी तेज होती है या ब्रेक लगाती है, तभी अंदर मौजूद चीजें डगमगाती हैं. लेकिन यहां न तेज होना है और न धीमा होना है. बस एक सीधी, तय रफ्तार में चलते जाना है. ऐसे में गिलास को लगता ही नहीं कि वह किसी तेज स्पीड वाली चीज पर रखा है. न्यूटन का पहला नियम यही कहता है कि चालू चीजें चलती ही रहेंगी और सभी चीजें एक ही स्पीड शेयर करेंगी, इसलिए अंदर बैठा इंसान हो या मेज पर रखा गिलास, सब एक जैसी स्थिरता महसूस करते हैं.

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बुलेट ट्रेन के डिब्बों की खास बनावट भी इस स्थिरता में बड़ी भूमिका निभाती है. उनमें लगाए जाते हैं ऐसे सस्पेंशन सिस्टम जो हर तरह की हलचल को अपने अंदर ही सोख लेते हैं. ट्रैक की कोई ऊंच-नीच या तेज कंपन अंदर तक पहुंचते-पहुंचते लगभग खत्म हो जाती है. इसलिए यात्री चाहे कॉफी पी रहा हो या लैपटॉप पर काम कर रहा हो, उसे महसूस होता है कि ट्रेन नहीं चल रही, बल्कि कोई मुलायम-सी हवा उसे आगे बढ़ा रही है. ऐसे माहौल में गिलास का हिलना तो दूर, उसकी सतह तक पर फर्क नहीं पड़ता.

तेज मोड़ों पर संतुलन कैसे बनाती हैं बुलेट ट्रेन?

इसके अलावा हाई-स्पीड ट्रेनों के ट्रैक भी बेहद खास तरीके से बनाए जाते हैं. इन ट्रैकों में तेज मोड़ लगभग न के बराबर होते हैं. घुमाव भी इतने चौड़े रखे जाते हैं कि ट्रेन मुड़े भी तो झटका महसूस न हो. पारंपरिक रेलों में अक्सर अचानक आए मोड़ या ढलान से डिब्बों में हलचल मच जाती है, लेकिन बुलेट ट्रेनें जिस ट्रैक पर दौड़ती हैं, वह मानो पूरी तरह 'स्ट्रेट लाइन' का अपग्रेडेड वर्जन होता है. इसलिए ट्रेन किसी भी दिशा में अचानक नहीं झटकती और टेबल पर रखी चीजों को हिलने का कोई मौका नहीं मिलता.

कुछ हाई-टेक ट्रेनें तो मोड़ आने पर खुद थोड़ा अंदर की तरफ झुक जाती हैं. यह बिल्कुल वैसा है, जैसे बाइक वाला मोड़ पर झुककर बैलेंस बनाता है. इस तकनीक की मदद से ट्रेन मोड़ पर भी संतुलन बनाए रखती है और अंदर बैठे लोगों को न झुकना पड़ता है, न किसी गिलास को गिरने का डर होता है. मोड़ पर मिलने वाली स्वाभाविक बाहरी ताकत इस झुकाव से बैलेंस हो जाती है, इसलिए ट्रेन के अंदर सब कुछ पहले जैसा शांत रहता है.

क्या बुलेट ट्रेनों में भी ठक-ठक की आवाज आती है?

पुरानी रेलों में ट्रैक के जोड़ पर जो ‘ठक-ठक’ की आवाज आती थी और हल्का उछाल महसूस होता था, वह भी हाई-स्पीड ट्रेनों में खत्म कर दिया गया है. यहां ट्रैक पूरी तरह वेल्डेड होते हैं और पहियों का डिजाइन इतना चिकना होता है कि ट्रेन के चलने की आवाज भी कम हो जाती है. जब कंपन कम हो, शोर कम हो और झटके लगभग गायब हों, तो कोई भी हल्की चीज आसानी से अपनी जगह स्थिर रह सकती है. यही कारण है कि ट्रेनों का अंदरूनी सफर बाहर की रफ्तार की तुलना में बिलकुल अलग लगता है - एकदम शांत और स्थिर.

इतनी तेज रफ्तार पर हवा का दबाव भी काफी बदलता है, लेकिन बुलेट ट्रेन का एरोडायनामिक डिज़ाइन इस समस्या को भी हल कर देता है. इसका नुकीला आगे का हिस्सा हवा को बिना ज्यादा विरोध के दो हिस्सों में बांट देता है, जिससे ट्रेन पर दबाव कम पड़ता है और अंदर कोई हलचल नहीं पहुंचती. ट्रेन जब किसी सुरंग से गुजरती है या सामने से कोई दूसरी हाई-स्पीड ट्रेन आती है, तब भी अचानक होने वाली वायु दबाव की लहरें अंदर तक नहीं पहुंचतीं.

पूरी यात्रा में स्थिर रहता है ट्रेन का फर्श

सबसे जरूरी बात - ट्रेन का फर्श पूरी यात्रा के दौरान लेवल और स्थिर रहता है. नीचे लगे सस्पेंशन और आधुनिक तकनीकों की वजह से फर्श किसी भी झटके या मोड़ पर अपने आप संतुलन बना लेता है. इसलिए गिलास के नीचे की सतह कभी टेढ़ी या हिलने-डुलने वाली नहीं बनती और गिलास अपनी जगह मजबूती से टिक सकता है.

इस तरह जब ट्रेन बाहर दुनिया से तेजी से मुकाबला कर रही होती है, अंदर का माहौल बिल्कुल उल्टा होता है, जैसे कोई शांत, स्थिर कमरा. यह विज्ञान और तकनीक का ऐसा मेल है जो रफ्तार को भी आराम में बदल देता है. यही वजह है कि 300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर भी शैंपेन का गिलास टेबल पर बिल्कुल शांत खड़ा रहता है, जैसे उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता कि बाहर क्या तूफान चल रहा है.

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