Last Updated:July 25, 2025, 07:03 IST
CAG Report : कैग ने बिहार सरकार की रिपोर्ट जारी की है. इसमें बताया गया है कि सरकार ने 71 हजार करोड़ रुपये कहां खर्च किए, इसका कोई जवाब नहीं दे सकी है. आशंका है कि इन पैसों को गबन कर लिया गया हो.

हाइलाइट्स
कैग रिपोर्ट में 71 हजार करोड़ का हिसाब नहींबिहार सरकार पर गबन का शकविधानसभा चुनाव के बीच कैग रिपोर्ट से हंगामानई दिल्ली. बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं. पक्ष-विपक्ष जहां जीत की कोशिश में जुट गए हैं, वहीं कैग की रिपोर्ट ने माहौल को गर्म कर दिया है. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि बिहार में करीब 71 हजार करोड़ रुपये का लेखाजोखा सरकार नहीं दे सकी है. इन पैसों को कहां इस्तेमाल किया गया, इसका सरकार ने कोई प्रमाण पत्र नहीं जमा कराया है. कैग ने साफ कहा है कि बिना सर्टिफिकेट के यह माना जा सकता है कि इन पैसों को गबन कर लिया गया हो.
कैग ने अपनी रिपोर्ट में बिहार सरकार की जमकर खिंचाई भी की है. राज्य विधानसभा में जब कैग की यह रिपोर्ट पेश की गई तो विपक्ष ने भी जमकर सवाल उठाए. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्धारित समय सीमा के भीतर उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा करने की शर्त के बावजूद 31 मार्च, 2024 तक महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी), बिहार को 70,877.61 करोड़ रुपये के 49,649 बकाया उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं मिले. कैग ने कहा है कि उपयोगिता प्रमाणपत्रों के अभाव में इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वितरित धनराशि का उपयोग इच्छित उद्देश्य के लिए किया गया है.
कहां गई इतनी मोटी रकम
कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आखिर इतनी मोटी रकम कहां चली गई. बिहार सरकार इस बात का जवाब नहीं पाई है कि इन पैसों को कहां खर्च किया गया. जिस मद के लिए इन पैसों को लिया गया था, उस मद में खर्च हाने का कोई प्रमाण भी नहीं दिख रहा है. लिहाजा उपयोगिता प्रमाणपत्रों के नहीं मिलने से इस धन के गबन, दुरुपयोग और धोखाधड़ी किए जाने का जोखिम बना रहता है. सरकार इस बात का भी जवाब नहीं दे सकी है कि आखिर इन पैसों का क्या हुआ है.
कब का है यह मामला
कैग ने कहा है कि बिहार सरकार के साथ लंबे समय से यह समस्या बनी हुई है. रिपोर्ट में खुलासा किए गए कुल 70,877.61 करोड़ रुपये में से 14,452.38 करोड़ रुपये वित्तवर्ष 2016-17 तक की अवधि के हैं. कैग ने कहा कि वित्तवर्ष 2023-24 के लिए राज्य का कुल बजट 3.26 लाख करोड़ रुपये था और राज्य ने केवल 2.60 लाख करोड़ रुपये यानी कुल बजट का 79.92 फीसदी ही खर्च किया है. इसका मतलब है कि बिहार सरकार को जितने धन का आवंटन किया गया, उन पैसों का इस्तेमाल विकास कार्य में नहीं कर सकी है.
सबसे ज्यादा गबन किस विभाग में
कैग की रिपोर्ट देखें तो पता चलता है कि सबसे ज़्यादा भुगतान न करने वाले विभागों में पंचायती राज (28,154.10 करोड़ रुपये), शिक्षा (12,623.67 करोड़ रुपये), शहरी विकास (11,065.50 करोड़ रुपये), ग्रामीण विकास (7,800.48 करोड़ रुपये) और कृषि (2,107.63 करोड़ रुपये) शामिल हैं. ये विभाग अपने हिस्से के इन पैसों का कोई हिसाब नहीं दे सके हैं. इससे आशंका है कि इन विभागों में पैसों की हेरफेर हुई है.
बचत का पैसा भी नहीं लौटाया
कैग ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि बिहार सरकार ने अपनी बचत में से भी महज 36 फीसदी रकम ही वापस लौटाई है. रिपोर्ट के अनुसार, राज्य ने अपनी कुल बचत 65,512.05 करोड़ रुपये में से केवल 23,875.55 करोड़ रुपये (36.44 फीसदी) ही लौटाए. वित्तवर्ष 2023-24 के दौरान राज्य की देनदारियों में पिछले वर्ष की तुलना में 12.34 फीसदी की वृद्धि हुई. हालांकि, इन पैसों का पता नहीं चलने पर सरकार के कामकाज पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
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