Mark Carney Canada New PM: पूर्व केंद्रीय बैंकर मार्क कार्नी ने शुक्रवार को कनाडा के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ले ली. वे अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से शुरू किए गए व्यापार युद्ध, विलय के खतरे और संभावित आम चुनाव के बीच अपने देश को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे. कार्नी (59) ने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की जगह ली, जिन्होंने जनवरी में अपने इस्तीफे की घोषणा की थी. लिबरल पार्टी द्वारा नया नेता चुने जाने तक ट्रूडो सत्ता में बने रहे.
कनाडा में अगले कुछ हफ्तों में होंगे आम चुनाव
उम्मीद जताई जा रही है कि कार्नी आने वाले दिनों या हफ्तों में आम चुनाव की घोषणा कर सकते हैं. इस साल चुनाव में सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी की हार की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन ट्रंप ने शुल्क के रूप में ‘आर्थिक युद्ध’ की घोषणा कर दी. साथ ही पूरे देश को 51वें राज्य के रूप में अमेरिका में मिलाने की चेतावनी दी. अब इन बदले समीकरण के चलते लिबरल पार्टी को चुनाव में बढ़त मिलने के दावे किए जा रहे हैं. ट्रंप ने कनाडा के इस्पात और एल्युमीनियम पर 25 प्रतिशत शुल्क लगा दिया है.
अनुभवी बैंकर रहे हैं मार्क कार्नी
मार्क कार्नी को फाइनेंस और बैंकिंग सेक्टर के एक अनुभवी प्रोफेशनल के रूप में जाना जाता है. वे 2008 से बैंक ऑफ कनाडा के प्रमुख रहे. उस वक्त दुनिया आर्थिक मंदी से जूझ रही थी लेकिन कार्नी ने अपनी सूझबूझ से देश की इकोनॉमी को डूबने से बचा लिया. इसके बाद वर्ष 2013 में वे बैंक ऑफ इंग्लैंड के प्रमुख बने. यह उपलब्धि पाने वाले पहले गैर-ब्रिटिश थे. उन्होंने नई जिम्मेदारी निभाते हुए ब्रिटेन को ब्रेग्जिट के प्रभावों से बचाने में अहम भूमिका निभाई.
कई चुनौतियों का करना होगा सामना
अब कनाडा का नया प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्हें कई चुनौतियों से जूझना होगा. इनमें सबसे बड़ी चुनौती अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ तालमेल बिठाना होगा. हालांकि फिलहाल उन्होंने अमेरिकी वर्चस्ववाद के खिलाफ सख्त रुख दिखाया है लेकिन वे यूएस की अहमियत को जानते हुए उसके साथ संबंध सुधारने की कोशिश भी करते रहेंगे.
सूत्रों के मुताबिक, वे जल्द ही अपने मंत्रिमंडल का गठन करेंगे. उनकी कैबिनेट में करीब 15-20 मंत्री होने की संभावना है. जबकि अभी पीएम समेत 37 मंत्री सरकार में हैं. इसका मतलब ये हुआ कि मंत्रिमंडल की संख्या आधी घट जाएगी. अपने कार्यकाल में उन्हें अमेरिका के साथ ही भारत से बिगड़े रिश्तों को भी सुधारने की पहल करनी होगी, जिन्हें निवर्तमान पीएम जस्टिन ट्रूडो ने रसातल में पहुंचा दिया था.