CJI गवई को चुभ गई जस्टिस भुइयां की कौन सी बात? बताया सबसे खराब अनुभव

15 minutes ago

Last Updated:November 24, 2025, 07:48 IST

Supreme Court CJI Gavai : जस्टिस बीआर गवई दलित समुदाय से सुप्रीम कोर्ट के मुखिया बनने वाले दूसरे व्यक्ति हैं. उन्होंने सीजेआई के पद से रिटायर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में अपना खराब अनुभव भी साझा किया.

CJI गवई को चुभ गई जस्टिस भुइयां की कौन सी बात? बताया सबसे खराब अनुभवजस्टिस बीआर गवई CJI के पद से रिटायर हो गए हैं.

भारत के चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई (CJI Gavai) रिटायर हो गए हैं. सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के आखिरी दिन उन्होंने आरक्षण पर बड़ी बात की की है. उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि आरक्षण का लाभ वास्तविक रूप से वंचित और पिछड़े लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा. जस्टिस गवई ने कहा कि SC/ST समुदायों में सामाजिक और आर्थिक रूप से आगे निकल चुके वर्ग आरक्षण का बड़ा हिस्सा रोककर बैठ गए हैं. उन्होंने सीजेआई के पद से रिटायर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में अपना खराब अनुभव भी साझा किया.

जस्टिस गवई दलित समुदाय से सुप्रीम कोर्ट के मुखिया बनने वाले दूसरे व्यक्ति हैं. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्र और राज्य सरकारें SC/ST समुदायों को सब कैटेगरी में विभाजित करें, ताकि उन जातियों को नौकरी में आरक्षण का वास्तविक लाभ मिल सके जो आज भी शिक्षा, समाज और आर्थिक रूप से पिछड़ी हैं. उन्होंने कहा कि ‘क्रीमी लेयर’ वाले वर्ग को अब पीछे हटकर वंचितों को जगह देनी चाहिए, भले ही इसके लिए उनकी खुद की समुदाय से आलोचना क्यों न हो.

याद दिला दें कि सीजेआई गवई के नेतृत्व वाली सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संविधान पीठ ने हाल ही में फैसला दिया था कि राज्यों को एससी समुदाय के भीतर उप-श्रेणी बनाने का अधिकार है, ताकि आरक्षण का बड़ा हिस्सा सबसे पिछड़े वर्गों तक पहुंच सके.

सोशल मीडिया पर हेट स्पीच को लेकर चिंता

सीजेआई गवई ने सोशल मीडिया पर बढ़ती नफरत भरी भाषा पर चिंता जताई और कहा कि संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगाई गई ‘उचित पाबंदियां’ सोशल मीडिया पर फैल रहे हेट स्पीच की समस्या से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं हैं. उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर संसद को इस पर नए कानून और तंत्र बनाने पर विचार करना चाहिए. टीओआई के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘व्यक्तिगत तौर पर मैं मानता हूं कि इस पर कोई न कोई नियामक व्यवस्था जरूरी है.’

CJI गवई ने बताया अपना सबसे खराब अनुभव

कार्यकाल का सबसे अच्छा और सबसे खराब पल पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि ‘बुलडोजर जस्टिस’ के खिलाफ दिया गया फैसला उनकी सबसे संतुष्टिदायक उपलब्धि रही. वहीं एक हालिया फैसले में विधानसभा से पास विधेयकों पर सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले को पलटने वाली बहुमत राय पर जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की व्यक्तिगत टिप्पणी उनके लिए कार्यकाल का ‘सबसे खराब अनुभव’ रही. उन्होंने कहा, ‘वह मेरे निर्णय की आलोचना करते, तो कोई बात नहीं थी. लेकिन टिप्पणी व्यक्तिगत थी, जिसने बुरा स्वाद छोड़ा.’

कौन से फैसले दिल के करीब?

CJI गवई ने कहा कि पर्यावरण, पारिस्थितिकी और वनों की सुरक्षा से जुड़े फैसले उनके सबसे प्रिय हैं. इसके अलावा राष्ट्रपति संदर्भ में सर्वसम्मत फैसला, SC/ST उप-श्रेणीकरण वाला फैसला और ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स ऐक्ट को रद्द करने वाला फैसला भी उनके प्रमुख और चुनौतीपूर्ण निर्णयों में शामिल रहे.

वहीं सुप्रीम कोर्ट में महिलाओं की कम संख्या पर उन्होंने कहा कि समस्या यह है कि हाई कोर्ट में भी महिलाओं की संख्या देर से बढ़नी शुरू हुई. उन्होंने उम्मीद जताई कि ‘अगले पांच वर्षों में बड़ी संख्या में महिला हाई कोर्ट जज सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के दायरे में होंगी.’

इसके साथ ही न्यायिक नियुक्तियों को लेकर उन्होंने कहा कि कॉलेजियम व्यवस्था अच्छी तरह काम कर रही है, खासकर तब से जब कोलेजियम उम्मीदवारों से व्यक्तिगत बातचीत कर सूटेब्लिटी का आकलन करता है. उन्होंने NJAC जैसी व्यवस्था से सहमति नहीं जताई.

देश की निचली अदालतों में 5 करोड़ से अधिक लंबित मामलों पर उन्होंने कहा कि लगभग 21,000 ट्रायल कोर्ट जजों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए और यह प्रक्रिया लगातार और चरणबद्ध तरीके से चलनी चाहिए. CJI गवई ने न्यायपालिका के मुखिया के रूप में अपने कार्यकाल के अंतिम दिन कई महत्वपूर्ण कानूनी, सामाजिक और संस्थागत मुद्दों पर स्पष्ट और बेबाक रुख रखा.

Saad Omar

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

November 24, 2025, 07:18 IST

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