CJI चंद्रचूड़ ने मदरसों पर पूछा ऐसा सवाल, रह गए सब हक्‍के-बक्‍के

2 hours ago

मदरसों में पढ़ाई बंद करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर सवाल उठाए हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सुनवाई करते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, आप इस तरह 700 साल के इतिहास को बर्बाद नहीं कर सकते. वहां कैसी पढ़ाई होती है, इस पर बात हो सकती है. लेकिन इसी बीच सीजेआई ने ऐसा सवाल उठा द‍िया, जिसे सुनकर सबह हक्‍के बक्‍के रह गए.

मुख्‍य न्‍यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने ने पूछा कि क्या आरटीई विशेष रूप से मदरसों पर लागू होता है या नहीं? CJI ने कहा कि क्या भारत में हम कह सकते हैं कि शिक्षा के अर्थ में धार्मिक शिक्षा शामिल नहीं हो सकती? यह मूलतः एक धार्मिक देश है. मदरसों को बंद करने के आदेश पर सीजेआई ने कहा कि क्या यह आपके राष्ट्रीय हित में है कि आप मदरसों को विनियमित करें.

सीजेआई ने कहा, आप इस तरह 700 साल के इतिहास को बर्बाद नहीं कर सकते. सर्वोच्‍च अदालत ने पूछा, मान लीजिए कि हम हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हैं, फिर भी बच्चों के माता-पिता उन्हें मदरसा भेजेंगे, तब हम क्‍या करेंगे. इन सवालों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्ष‍ित रख ल‍िया.

क्‍या है पूरा मामला
सीजेआई की पीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मदरसों को असंवैधानिक घोषित किया गया था. साथ ही, राज्‍य सरकार को मदरसों के सभी बच्‍चों को स्‍कूल में दाख‍िला कराने को कहा था. इस पर दो द‍िन तक सर्वोच्‍च अदालत ने सुनवाई की. यूपी सरकार की ओर से एएसजी केएम नटराज, मुकुल रोहतगी समेत कई वकीलों की दलीलें सुनीं. याच‍िकाकर्ताओं के वकील अभ‍िषेक मनु सिंघवी, सलमान खुर्शीद, पी चिदंबरम, मेनका गुरुस्‍वामी समेत कई वर‍िष्‍ठ वकीलों अपने तर्क द‍िए. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्ष‍ित रख ल‍िया.

सलमान खुर्शीद का जवाब
एक द‍िन पहले कोर्ट ने कहा था क‍ि मदरसों में धार्मिक श‍िक्षा के साथ अच्‍छी श‍िक्षा सुन‍िश्च‍ित करना सरकार का दाय‍ित्‍व है, ताक‍ि छात्र सभ्‍य जीवन जी सकें. सलमान खुर्शीद ने कहा था क‍ि अनुच्छेद 28 के तहत मदरसे तभी आ सकते हैं, जब पूरा का पूरा खर्च सरकार उठाती हो, लेकिन यहां ऐसा कुछ भी नहीं है. यहां तो सरकार केवल श‍िक्षकों को सैलरी देती है. इसल‍िए वह कानून लागू ही नहीं हो सकता. मदरसा बोर्ड ही उनका माल‍िक है. वही न‍ियम लागू कर सकता है.

Tags: DY Chandrachud, Madarsa, Supreme Court

FIRST PUBLISHED :

October 22, 2024, 17:38 IST

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